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महान लेखक श्रंखला 15: डी.एच. लॉरेन्सन
महान लेखक श्रंखला 15: डी.एच. लॉरेन्सन
महान लेखक श्रंखला 15: डी.एच. लॉरेन्सन
Ebook36 pages17 minutes

महान लेखक श्रंखला 15: डी.एच. लॉरेन्सन

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About this ebook

डी. एच. लॉरेन्स का पूरा नाम डेविड हर्बर्ट लॉरेन्स था। उनका जन्म ११ सितंबर १८८५ को एन्ग्लैंड के नॉटिंघॅमशायर के ईस्टवुड में ८ ए विक्टोरीया स्ट्रीट में हुआ था।

इस महान अंग्रेज़ी उपन्यासकार, कवि, नाटककर, निबंधकार, और साहित्यिक समालोचक का अंग्रेज़ी और विश्व साहित्य में अपूर्व योगदान है। उनकी लिखी किताबें और निबंध विश्व के हर भाग में स्कूलों और कौलेज़ों में पढ़ाई जाती हैं।

उनकी संकलित रचनायें और पक्षों के साथ साथ आधुनिकता और औद्योगीकरण के अमानवीय प्रभावों को दर्शाती हैं। उन्होने अपनी रचनाओं में स्वास्थ्य, भावनाओं, शिक्षा, स्वभाव, और सजीवता का बहुत गंभीर अन्वेषण किया है।

लॉरेन्स के प्रगीतिशील और अपरंपरागत विचारों ने बहुत से लोगों को उनका शत्रु भी बना दिया था।

महान लेखक श्रंखला 15: डी.एच. लॉरेन्स
Copyright
परिचय
प्रारम्भिक जीवन
प्रारम्भिक पेशागत लेखन जीवन
निर्वासन
बाद का लेखन जीवन
अंतिम वर्ष और मृत्यु
लॉरेन्स की रचनाओं के बारे में
लॉरेन्स की प्रमुख साहित्यिक रचनायें

Languageहिन्दी
PublisherRaja Sharma
Release dateNov 17, 2014
ISBN9781310879777
महान लेखक श्रंखला 15: डी.एच. लॉरेन्सन
Author

Students' Academy

Easy study guides for the students of English literature.

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    महान लेखक श्रंखला 15 - Students' Academy

    महान लेखक श्रंखला 15: डी.एच. लॉरेन्स

    Copyright

    महान लेखक श्रंखला 15: डी.एच. लॉरेन्सन

    College Guide World

    Copyright@2014 College Guide World

    Smashwords Edition

    All rights reserved

    परिचय

    डी. एच. लॉरेन्स का पूरा नाम डेविड हर्बर्ट लॉरेन्स था। उनका जन्म ११ सितंबर १८८५ को एन्ग्लैंड के नॉटिंघॅमशायर के ईस्टवुड में ८ ए विक्टोरीया स्ट्रीट में हुआ था।

    इस महान अंग्रेज़ी उपन्यासकार, कवि, नाटककर, निबंधकार, और साहित्यिक समालोचक का अंग्रेज़ी और विश्व साहित्य में अपूर्व योगदान है। उनकी लिखी किताबें और निबंध विश्व के हर भाग में स्कूलों और कौलेज़ों में पढ़ाई जाती हैं।

    उनकी संकलित रचनायें और पक्षों के साथ साथ आधुनिकता और औद्योगीकरण के अमानवीय प्रभावों को दर्शाती हैं। उन्होने अपनी रचनाओं में स्वास्थ्य, भावनाओं, शिक्षा, स्वभाव, और सजीवता का बहुत गंभीर अन्वेषण किया है।

    लॉरेन्स के प्रगीतिशील और अपरंपरागत विचारों ने बहुत से लोगों को उनका शत्रु भी बना दिया था।

    उनको सरकारी अत्याचार, निषेध, और बहुत ही कटु आलोचना सहनी पड़ी थी। उनके जीवन के दूसरे अर्धभाग में वो बिल्कुल ही अकेले से हो गये थे। उन्होने अपने जीवन के दूसरे अर्धभाग का जीवन निर्वासन में ही गुजारा था। इस निर्वासन के जीवन को लॉरेन्स सेवेज पिलग्रिमेज या जंगली तीर्थयात्रा कहते थे।

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