यहाँ अधिकारी शर्म से नहीं मरते!
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मैं यह संस्मरण शासन और प्रशासन के उन सभी अंगों अथवा हिस्सों को समर्पित कर रहा हूँ, जिनके कुसंस्कारों की गंदगी से भारतमाता साँस तक नहीं ले पा रही है। मैं यह संस्मरण शासन और प्रशासन के उन सभी अंगों अथवा हिस्सों को समर्पित कर रहा हूँ, जिनके कुसंस्कारों की गंदगी से भारतमाता साँस तक नहीं ले पा रही है। मैं यह संस्मरण शासन और प्रशासन के उन सभी अंगों अथवा हिस्सों को समर्पित कर रहा हूँ, जिनके कुसंस्कारों की गंदगी से भारतमाता साँस तक नहीं ले पा रही है। मैं यह संस्मरण शासन और प्रशासन के उन सभी अंगों अथवा हिस्सों को समर्पित कर रहा हूँ, जिनके कुसंस्कारों की गंदगी से भारतमाता साँस तक नहीं ले पा रही है। मैं यह संस्मरण शासन और प्रशासन के उन सभी अंगों अथवा हिस्सों को समर्पित कर रहा हूँ, जिनके कुसंस्कारों की गंदगी से भारतमाता साँस तक नहीं ले पा रही है। मैं यह संस्मरण शासन और प्रशासन के उन सभी अंगों अथवा हिस्सों को समर्पित कर रहा हूँ, जिनके कुसंस्कारों की गंदगी से भारतमाता साँस तक नहीं ले पा रही है। मैं यह संस्मरण शासन और प्रशासन के उन सभी अंगों अथवा हिस्सों को समर्पित कर रहा हूँ, जिनके कुसंस्कारों की गंदगी से भारतमाता साँस तक नहीं ले पा रही है। मैं यह संस्मरण शासन और प्रशासन के उन सभी अंगों अथवा हिस्सों को समर्पित कर रहा हूँ, जिनके कुसंस्कारों की गंदगी से भारतमाता साँस तक नहीं ले पा रही है।मैं यह संस्मरण शासन और प्रशासन के उन सभी अंगों अथवा हिस्सों को समर्पित कर रहा हूँ, जिनके कुसंस्कारों की गंदगी से भारतमाता साँस तक नहीं ले पा रही है। मैं यह संस्मरण शासन और प्रशासन के उन सभी अंगों अथवा हिस्सों को समर्पित कर रहा हूँ, जिनके कुसंस्कारों की गंदगी से भारतमाता साँस तक नहीं ले पा रही है।
वर्जिन साहित्यपीठ
सम्पादक के पद पर कार्यरत
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यहाँ अधिकारी शर्म से नहीं मरते! - वर्जिन साहित्यपीठ
राष्ट्रीय संग्रहालय:
यहाँ अधिकारी शर्म से नहीं मरते!
(संस्मरण)
✍
ललित कुमार मिश्र
वर्जिन साहित्यपीठ
प्रकाशक
वर्जिन साहित्यपीठ
virginsahityapeeth@gmail.com; 9971275250
सर्वाधिकार सुरक्षित
प्रथम संस्करण - सितंबर, 2019
कॉपीराइट © 2019 लेखक
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