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Jadi Bution se Ilaj (जड़ी-बूटियों से इलाज)
Jadi Bution se Ilaj (जड़ी-बूटियों से इलाज)
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Ebook298 pages2 hours

Jadi Bution se Ilaj (जड़ी-बूटियों से इलाज)

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About this ebook

Dr. Rajiv Sharma, the author has laid down how the herbs can be beneficial for the treatment of minor diseases without harming our body. Usually, for the treatment of minor diseases, you visit the doctor frequently. A huge amount of money is spent in such minor diseases, which we can treat them with the items available in our home. By repeatedly consuming the medicines, as prescribed by the doctor may cause harmful effect to our body and moreover many other diseases may also develop within our body. Therefore, by treating with the herbs you can save money as well as save the body from other diseases. More so, herbs do not cause any harm or side effect to the body and our body remains healthy as well. The book provides the use of herbs in treating minor diseases, making it unmatched for first aid. A must have health book for everyone.
Languageहिन्दी
PublisherDiamond Books
Release dateJul 30, 2020
ISBN9789352784226
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    Jadi Bution se Ilaj (जड़ी-बूटियों से इलाज) - Rajeev Sharma

    1998

    आंखों के रोग

    गुहेरी होने पर

    छुआरे की गुठली को घिसकर फुंसी पर लगाएं ।

    इमली के बीज की गिरी को साफ पत्थर पर घिसकर गुहेरी पर लगाने से लाभ मिलता है । यह नुस्खा तभी आजमाएं जब फुंसी बाहर की तरफ हो।

    दो लौंग पानी में घिसकर गुहेरी पर लगाएं ।

    नजर की कमजोरी

    पचास ग्राम काला सुरमा, प्याज के पाँच सौ ग्राम रस में खरल करके, छानकर शीशी में भर लें । इस सुरमे की एक-एक सलाई सुबह-शाम आँख में लगाएं । यह नजर की कमजोरी के अलावा धुंध, जाला, रोहे आदि में भी कारगर है ।

    आंखों की गुहेरी, रतौंधी व मोतियाबिंद

    आंख की फुंसी (गुहेरी) के उपचार के लिए आम के पेड़ से पत्ता तोड़ने पर जो रस निकलता है, सावधानीपूर्वक उसे गुहेरी पर लगा लें । दो-तीन दिन उस गुहेरी वाली जगह पर कालापन रहेगा, पर बाद में ठीक हो जाएगा ।

    रतौंधी (रात में न दिखाई पड़ना) में नीम की दस ताजा पत्तियां बीस ग्राम गुड़ मिलाकर सुबह खाली पेट और रात में सोते समय खाएं । पन्द्रह दिन सेवन करने से लाभ मिलता है ।

    काली मिर्च को दही में पीसकर आंखों में लगाएं । रतौंधी में उपयोगी है ।

    मोतियाबिंद होने पर सफेद फिटकरी लगभग पैंतीस ग्राम, नीला थोथा आधा ग्राम और छोटी इलायची लगभग साढ़े पांच ग्राम- तीनों को खूब बारीक पीसकर कपड़छन कर लें और फिर एक 750 मिली० वाली बोतल में डालकर, बोतल को गंगा जल से भरकर, ढक्कन लगाकर रख दें । दस दिन तक बोतल को दिन में तीन-चार बार हिलाते रहें । ग्यारहवें दिन से दवा का इस्तेमाल शुरू करें । रोजाना सोते समय 2-3 बूंद दवा आंख में डालें । उपयोगी नुस्खा है ।

    आंख आने पर

    अमरूद के पत्तों का रस दोनों आंखों में डालें व बर्फ से आँखों की सिकाई करें ।

    आंखों की रोशनी कम होना

    पाव भर दूध में थोड़ा शुद्ध घी मिलाकर अथवा गाय के ताजे घी में मिश्री मिलाकर सेवन करने से आँखों की रोशनी बढ़ती है ।

    काली मिर्च एक ग्राम, हल्दी तीन ग्राम और हरड़ दो ग्राम, गुलाबजल में मिलाकर आंखों पर लगाएं ।

    जायफल को पानी में घिसकर आँखों की पलकों के ऊपर कुछ देर तक, दिन में एक बार लगाने से फायदा होता है ।

    असगंध का चूर्ण और मुलैठी का चूर्ण बराबर-बराबर (चार-चार ग्राम) और आंवले का रस आठ ग्राम; तीनों को मिलाकर रोजाना एक बार सेवन करने से 6-7 माह में आंखों की रोशनी बढ़ जाती

    रोज सवेरे आंखों में शुद्ध शहद की काजल को तरह लगाने से फायदा होता है ।

    आंखें दुखना

    गरम पानी में जस्ते का फूला डालकर सेंकने से दर्द बंद होता है ।

    गेंदे के पत्ते पीसकर उसकी टिकिया आँखों पर बांधे ।

    रुई के फाहों पर दूध की मलाई रखकर बांधे ।

    हल्दी के पानी में कपड़ा भिगोकर आंखों पर रखें ।

    गुलाबजल में थोड़ा फिटकरी का फूला डालकर उसे कई बार आँखों में बूंद-बूंद टपकाएं ।

    हल्दी, आमा हल्दी, रसौत, फिटकरी, लोध्र, इन्द्र जौ, अफीम, ग्वारपाठे का गूदा-इन्हें पीसकर पलकों पर व आंखों के आस-पास लेप करें । हरड़-बहेड़ा, आंवला और पोस्ते के डोडे में घोलकर छान लें और गर्म पानी में उबाली गई शीशी में रखें । दुखती हुई आंखों में दिन में चार बार दो-दो बूंद दवा डालने से लाभ होता है ।

    अनार के पत्ते या कीकर के मुलायम पत्ते पानी में पीसकर टिकिया बनाकर रात को आंख पर रखकर बांधे । इससे आंखों की दुखन व जलन में लाभ मिलता है ।

    पचास ग्राम गुलाब जल में एक मध्यम आकार की हल्दी की गांठ कूटकर डालें । दूसरे दिन छानकर शीशी में रख लें । आँख में लाली बहुत हो, कड़कड़ाहट महसूस हो तो दो-दो बूंद, दिन में तीन-चार बार डालें । आंख के रोगी को भुने चने नहीं खाने चाहिए ।

    आंखों की सूजन

    इमली के फूलों बनी पुल्टिश आँखों पर बांधने से आंखों की सूजन दूर होती है ।

    सुपारी (पान वाली) को पानी में सिल पर घिसकर लगाने से आंखों की सूजन दूर होती है । इसका लेप आँखों के ऊपर करना चाहिए ।

    अडूसा के ताजे फूलों को गरम करके आँखों पर बांधने से आंखों की सूजन दूर होती है ।

    ढलका

    इसमें बिना किसी कष्ट के आंखों से पानी बहता रहता है ।

    फिटकरी दो रत्ती, एक तोला गुलाब के अर्क में घोलकर आँखों में टपकाएं और इसी में रुई का फाहा भिगोकर आंख पर रखें ।

    पीली हरड़ का छिलका, बहेड़े का छिलका, आंवला गुठली निकला हुआ-ये तीनों वस्तुएं पांच-पांच तोला लेकर कूट-छानकर, दुगुने शहद में मिलाएं और बराबर मात्रा का घी मिलाकर प्रतिदिन एक तोला खाएं । आंखों से पानी आना रुक जाता है ।

    रोहे

    इन्हें कुकरे भी कहते हैं । इस रोग में आंख की पलक के अंदर बारीक-बारीक दाने निकल आते है जो चुभते हैं । इनकी वजह से आंखें लाल रहती हैं और आंखों से पानी बहता रहता है । आंखों में खुजली बनी रहती है ।

    उपचार

    रोहों के इलाज के लिए रसौत दस ग्राम, फिटकरी तीन ग्राम, हल्दी तीन ग्राम और गुलाब-जल अर्क दस ग्राम--इन सभी वस्तुओं को रात में सोते समय किसी कांच के बर्तन में भिगो दें । प्रातःकाल इन्हें खूब मसलकर मोटे कपड़े से छान लीजिए । दिन में पांच-छः बार ड्रापर से दो-दो बूंद दोनों आंखों में डालने से रोहे और ढलके ठीक हो जाते हैं ।

    माजू को बारीक खरल करके रखें और पलकों को उलटकर चुटकी से इसे रोहों पर छिड़के अथवा सलाई से रोहों पर लगाएं ।

    सुहागा व फिटकरी छः-छः माशा, शोरा कलमी तीन माशा को बारीक पीसकर रोहों पर छिड़कें । थोड़ी देर बाद ठंडे पानी से धोएं ।

    कान के रोग

    कान का बहना

    फूले हुए सुहागे को पाउडर करके, कपड़े में छानकर रख लें । इस पाउडर को दिन में एक बार रोजाना, चार दिन तक छिड़कें ।

    बच्चों का कान बहता हो तो एक-दो बूंद चूने का पानी ड्रापर से डालें ।

    कान का दर्द

    आम के पत्तों का रस गुनगुना करके कान में डालने से फायदा होता है ।

    गाय के शुद्ध देशी घी में अजवायन डालकर अच्छी तरह पका लें । छानकर, गुनगुना एक-दो बूंद कान में टपकाएं ।

    बच्चों में कान दर्द महसूस हो तो मां के दूध में समान मात्रा में कद्दू का रस मिलाकर दो बूंद कान में टपकाएं ।

    गेंदे के पत्तों का ताजा रस की कुछ बूंदें कान में डालने पर तुरंत राहत महसूस होती है ।

    अदरक के रस में शहद तथा नमक (थोड़ा-सा) डालकर अच्छी तरह मिला लें । उसे गुनगुना करके कानों में टपकाएं ।

    चुकंदर के पत्तों का रस गुनगुना करके दो-दो बूंद दोनों कानों में, तीन-तीन घंटे के अंतर से डालने से कान का दर्द दूर होता है ।

    तुलसी के पत्तों का रस या गंदे के फूलों का रस कान में टपकाने से (दो बूंद) दर्द ठीक होता है ।

    पीली सरसों के तेल में लहसुन गरम करके गुनगुने तेल की दो-दो बूंद कान में डालने से कान का दर्द ठीक होता है ।

    बहरापन

    लगभग छियालीस ग्राम कड़वे बादाम के तेल में लहसुन की बारह मध्यम आकार वाली कलियां डालकर तब तक पकाएं, जब तक कलियां जल न जाएं । इसके बाद लहसुन की कलियां निकालकर फेंक दें और तेल को छानकर रख लें । इस तेल को गुनगुना करके दो बूंद की मात्रा में रोजाना कान में डालें । इससे बहरेपन में लाभ होता है ।

    कान के दर्द में पुदीना का रस डालने से लाभ मिलता है ।

    केले के पत्तों के रस में समुद्रफेन मिलाकर डालने से आराम मिलता है ।

    कान का बहना

    प्याज का रस थोड़ा-सा गर्म करके एक या दो बूंद कान में डालें । इससे कान का बहना, बहरापन व दर्द आदि रोग दूर होते हैं ।

    सरसों का तेल दस तोला लेकर उसमें रतनजोत एक तोला डालकर पकाएं । जब जलने लगे तो इस तेल को साफ शीशी में भरकर रख लें । कान बहे या दर्द करे, सभी परिस्थितियों में यह प्रयोग लाभ पहुंचाता है ।

    फिटकरी 20 माशा, हल्दी एक माशा पीसकर रख लें । आवश्यकता पड़ने पर कान को रुई से साफ करके दो रत्ती दवा डालें । लाभ मिलता है ।

    कान का बहरापन

    यदि कोई व्यक्ति/महिला जन्मजात बहरा हो तो वह मात्र दवाओं से ठीक नहीं होता । किन्तु ऊंचा सुनने वालों के लिए ये नुस्खे लाभदायक हो सकते हैं-

    प्याज का रस, हलका गरम डालने से लाभ मिलता है ।

    कड़वे बादाम का तेल कान में टपकाने से बहरापन ठीक हो जाता है ।

    नाक की बीमारियां

    नजला (पुराना जुकाम)

    भुने चने का छिलका उतरा हुआ आटा 20 ग्राम, मलाई/रबड़ी 20 ग्राम थोड़े शहद में मिलाकर, 4 बूंद अमृतधारा असली मिलाकर कुछ दिन रात में खाने से पुराने-से-पुराने नजले में लाभ पहुंचाता है ।

    नाक से दुर्गंध

    कद्दू का रस नाक में टपकाने से लाभ मिलता है । कद्दू का रस सुबह-शाम, पीस-छानकर नाक में टपकाएं । हाजमा ठीक रखें ।

    नकसीर

    नाक से खून आने को नकसीर कहते हैं ।

    माजूफल को बारीक पीसकर नाक में सुंघाने से नकसीर बंद हो जाती है ।

    सूखा आंवला 25 ग्राम पानी में भिगोकर रख दें । सुबह छानकर पानी पिएं तथा आंवले को पीसकर तालू और माथे पर लेप करें ।

    10 ग्राम मुल्तानी मिट्टी कूट लें और एक प्याला पानी में भिगो दें । सुबह ऊपर का पानी पीने को दें तथा नीचे बैठी मिट्टी का माथे पर लेप करें ।

    यदि गर्मी के कारण नाक से खून आए तो चार आंवले उबालकर शुद्ध घी में भूनने के बाद सिर पर लेप करने से लाभ मिलता है ।

    मेंहदी की ताजी पत्तियां पानी में पीसकर तलवों में लगाने से नकसीर बंद हो जाती है ।

    छोटी कटेरी के ताजे पत्तों को कुचलकर उनका रस निकाल लें । इस रस को दो-दो बूंद नाक में टपकाने से लाभ होता है ।

    हरी दूब का ताजा रस या प्याज का रस निकालकर सूंघें ।

    अनार के फूल और हरी दूब समान मात्रा में पीस लें और दिन में दो बार दो-दो चम्मच लें ।

    जुकाम होना

    पांच ग्राम अदरक के रस में पांच ग्राम तुलसी का रस मिलाकर दस ग्राम शहद से लें ।

    एक गिलास गर्म दूध में पांच काली मिर्च पकाएं और सुबह-शाम सेवन करें ।

    सुहागे को तवे पर फुलाकर महीन पीस लें । आधा ग्राम की मात्रा में दिन में तीन बार गरम पानी के साथ लें । तीन दिनों में फायदा हो जाएगा ।

    अडूसा के पत्तों का काढ़ा बनाकर पीने से सर्दी-जुकाम मिटता

    अमरूद के पत्ते चाय की तरह उबाल लें और पानी पिएं ।

    बार-बार नकसीर फूटे तो आंवले का रस बीस-बीस ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम सेवन करें ।

    मुंह के रोग

    मुंह में छाले होने पर दो चम्मच हल्दी चूर्ण दो गिलास पानी में खूब उबालें । इसके बाद ठंडा करके उस पानी से गरारे करें । मुंह के छालों में उपयोगी है ।

    चमेली के पत्ते चबाने से मुंह के छाले ठीक होते हैं ।

    मुंह के छाले होने पर मुलेठी चूसें ।

    मुंह के छालों में पेट साफ रखना भी जरूरी है । इसके लिए रात को सोते समय एक कप मीठे गर्म दूध में आधा चम्मच देशी घी डालकर पिएं ।

    कत्थे के साथ अमरूद की पत्तियां चबाने से मुंह के छाले ठीक हो जाते हैं ।

    एक ग्राम कत्थे को एक छोटी चम्मच शहद में मिलाकर रख लें । छालों पर उगली से दिन में तीन बार लगाएं । साथ ही आधा चम्मच गुलकंद दिन में दो बार, दूध में मिलाकर पिएं ।

    मुंह, दांत, मसूढ़े व गले के रोग

    दाढ़ में दर्द

    थोड़ी-सी भुनी हुई हींग लेकर राई के फाहे में लपेटकर दाढ़ पर रखें । तुरन्त राहत मिलेगी ।

    सेंधा नमक लेकर खूब बारीक पीस लें और उसमें सरसों का तेल मिलाकर उंगली या नर्म ब्रश से दांतों पर मले । फिर गुनगुने पानी से कुल्ला कर लें । कुछ दिन तक यह प्रयोग करने से दांतों का हिलना, मसूढ़ों का दर्द आदि शिकायतें दूर हो जाती हैं ।

    अडूसा के पत्ते पानी में खौलाकर कुल्ले करने से मसूढ़ों का दर्द मिटता है ।

    थूक में खून आना

    तरबूज के दस ग्राम बीज लेकर पीस लें और पांच ग्राम शहद मिलाकर सेवन करें ।

    दांतों से खून आने पर

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