Jadi Bution se Ilaj (जड़ी-बूटियों से इलाज)
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Book preview
Jadi Bution se Ilaj (जड़ी-बूटियों से इलाज) - Rajeev Sharma
1998
आंखों के रोग
गुहेरी होने पर
छुआरे की गुठली को घिसकर फुंसी पर लगाएं ।
इमली के बीज की गिरी को साफ पत्थर पर घिसकर गुहेरी पर लगाने से लाभ मिलता है । यह नुस्खा तभी आजमाएं जब फुंसी बाहर की तरफ हो।
दो लौंग पानी में घिसकर गुहेरी पर लगाएं ।
नजर की कमजोरी
पचास ग्राम काला सुरमा, प्याज के पाँच सौ ग्राम रस में खरल करके, छानकर शीशी में भर लें । इस सुरमे की एक-एक सलाई सुबह-शाम आँख में लगाएं । यह नजर की कमजोरी के अलावा धुंध, जाला, रोहे आदि में भी कारगर है ।
आंखों की गुहेरी, रतौंधी व मोतियाबिंद
आंख की फुंसी (गुहेरी) के उपचार के लिए आम के पेड़ से पत्ता तोड़ने पर जो रस निकलता है, सावधानीपूर्वक उसे गुहेरी पर लगा लें । दो-तीन दिन उस गुहेरी वाली जगह पर कालापन रहेगा, पर बाद में ठीक हो जाएगा ।
रतौंधी (रात में न दिखाई पड़ना) में नीम की दस ताजा पत्तियां बीस ग्राम गुड़ मिलाकर सुबह खाली पेट और रात में सोते समय खाएं । पन्द्रह दिन सेवन करने से लाभ मिलता है ।
काली मिर्च को दही में पीसकर आंखों में लगाएं । रतौंधी में उपयोगी है ।
मोतियाबिंद होने पर सफेद फिटकरी लगभग पैंतीस ग्राम, नीला थोथा आधा ग्राम और छोटी इलायची लगभग साढ़े पांच ग्राम- तीनों को खूब बारीक पीसकर कपड़छन कर लें और फिर एक 750 मिली० वाली बोतल में डालकर, बोतल को गंगा जल से भरकर, ढक्कन लगाकर रख दें । दस दिन तक बोतल को दिन में तीन-चार बार हिलाते रहें । ग्यारहवें दिन से दवा का इस्तेमाल शुरू करें । रोजाना सोते समय 2-3 बूंद दवा आंख में डालें । उपयोगी नुस्खा है ।
आंख आने पर
अमरूद के पत्तों का रस दोनों आंखों में डालें व बर्फ से आँखों की सिकाई करें ।
आंखों की रोशनी कम होना
पाव भर दूध में थोड़ा शुद्ध घी मिलाकर अथवा गाय के ताजे घी में मिश्री मिलाकर सेवन करने से आँखों की रोशनी बढ़ती है ।
काली मिर्च एक ग्राम, हल्दी तीन ग्राम और हरड़ दो ग्राम, गुलाबजल में मिलाकर आंखों पर लगाएं ।
जायफल को पानी में घिसकर आँखों की पलकों के ऊपर कुछ देर तक, दिन में एक बार लगाने से फायदा होता है ।
असगंध का चूर्ण और मुलैठी का चूर्ण बराबर-बराबर (चार-चार ग्राम) और आंवले का रस आठ ग्राम; तीनों को मिलाकर रोजाना एक बार सेवन करने से 6-7 माह में आंखों की रोशनी बढ़ जाती
रोज सवेरे आंखों में शुद्ध शहद की काजल को तरह लगाने से फायदा होता है ।
आंखें दुखना
गरम पानी में जस्ते का फूला डालकर सेंकने से दर्द बंद होता है ।
गेंदे के पत्ते पीसकर उसकी टिकिया आँखों पर बांधे ।
रुई के फाहों पर दूध की मलाई रखकर बांधे ।
हल्दी के पानी में कपड़ा भिगोकर आंखों पर रखें ।
गुलाबजल में थोड़ा फिटकरी का फूला डालकर उसे कई बार आँखों में बूंद-बूंद टपकाएं ।
हल्दी, आमा हल्दी, रसौत, फिटकरी, लोध्र, इन्द्र जौ, अफीम, ग्वारपाठे का गूदा-इन्हें पीसकर पलकों पर व आंखों के आस-पास लेप करें । हरड़-बहेड़ा, आंवला और पोस्ते के डोडे में घोलकर छान लें और गर्म पानी में उबाली गई शीशी में रखें । दुखती हुई आंखों में दिन में चार बार दो-दो बूंद दवा डालने से लाभ होता है ।
अनार के पत्ते या कीकर के मुलायम पत्ते पानी में पीसकर टिकिया बनाकर रात को आंख पर रखकर बांधे । इससे आंखों की दुखन व जलन में लाभ मिलता है ।
पचास ग्राम गुलाब जल में एक मध्यम आकार की हल्दी की गांठ कूटकर डालें । दूसरे दिन छानकर शीशी में रख लें । आँख में लाली बहुत हो, कड़कड़ाहट महसूस हो तो दो-दो बूंद, दिन में तीन-चार बार डालें । आंख के रोगी को भुने चने नहीं खाने चाहिए ।
आंखों की सूजन
इमली के फूलों बनी पुल्टिश आँखों पर बांधने से आंखों की सूजन दूर होती है ।
सुपारी (पान वाली) को पानी में सिल पर घिसकर लगाने से आंखों की सूजन दूर होती है । इसका लेप आँखों के ऊपर करना चाहिए ।
अडूसा के ताजे फूलों को गरम करके आँखों पर बांधने से आंखों की सूजन दूर होती है ।
ढलका
इसमें बिना किसी कष्ट के आंखों से पानी बहता रहता है ।
फिटकरी दो रत्ती, एक तोला गुलाब के अर्क में घोलकर आँखों में टपकाएं और इसी में रुई का फाहा भिगोकर आंख पर रखें ।
पीली हरड़ का छिलका, बहेड़े का छिलका, आंवला गुठली निकला हुआ-ये तीनों वस्तुएं पांच-पांच तोला लेकर कूट-छानकर, दुगुने शहद में मिलाएं और बराबर मात्रा का घी मिलाकर प्रतिदिन एक तोला खाएं । आंखों से पानी आना रुक जाता है ।
रोहे
इन्हें कुकरे भी कहते हैं । इस रोग में आंख की पलक के अंदर बारीक-बारीक दाने निकल आते है जो चुभते हैं । इनकी वजह से आंखें लाल रहती हैं और आंखों से पानी बहता रहता है । आंखों में खुजली बनी रहती है ।
उपचार
रोहों के इलाज के लिए रसौत दस ग्राम, फिटकरी तीन ग्राम, हल्दी तीन ग्राम और गुलाब-जल अर्क दस ग्राम--इन सभी वस्तुओं को रात में सोते समय किसी कांच के बर्तन में भिगो दें । प्रातःकाल इन्हें खूब मसलकर मोटे कपड़े से छान लीजिए । दिन में पांच-छः बार ड्रापर से दो-दो बूंद दोनों आंखों में डालने से रोहे और ढलके ठीक हो जाते हैं ।
माजू को बारीक खरल करके रखें और पलकों को उलटकर चुटकी से इसे रोहों पर छिड़के अथवा सलाई से रोहों पर लगाएं ।
सुहागा व फिटकरी छः-छः माशा, शोरा कलमी तीन माशा को बारीक पीसकर रोहों पर छिड़कें । थोड़ी देर बाद ठंडे पानी से धोएं ।
कान के रोग
कान का बहना
फूले हुए सुहागे को पाउडर करके, कपड़े में छानकर रख लें । इस पाउडर को दिन में एक बार रोजाना, चार दिन तक छिड़कें ।
बच्चों का कान बहता हो तो एक-दो बूंद चूने का पानी ड्रापर से डालें ।
कान का दर्द
आम के पत्तों का रस गुनगुना करके कान में डालने से फायदा होता है ।
गाय के शुद्ध देशी घी में अजवायन डालकर अच्छी तरह पका लें । छानकर, गुनगुना एक-दो बूंद कान में टपकाएं ।
बच्चों में कान दर्द महसूस हो तो मां के दूध में समान मात्रा में कद्दू का रस मिलाकर दो बूंद कान में टपकाएं ।
गेंदे के पत्तों का ताजा रस की कुछ बूंदें कान में डालने पर तुरंत राहत महसूस होती है ।
अदरक के रस में शहद तथा नमक (थोड़ा-सा) डालकर अच्छी तरह मिला लें । उसे गुनगुना करके कानों में टपकाएं ।
चुकंदर के पत्तों का रस गुनगुना करके दो-दो बूंद दोनों कानों में, तीन-तीन घंटे के अंतर से डालने से कान का दर्द दूर होता है ।
तुलसी के पत्तों का रस या गंदे के फूलों का रस कान में टपकाने से (दो बूंद) दर्द ठीक होता है ।
पीली सरसों के तेल में लहसुन गरम करके गुनगुने तेल की दो-दो बूंद कान में डालने से कान का दर्द ठीक होता है ।
बहरापन
लगभग छियालीस ग्राम कड़वे बादाम के तेल में लहसुन की बारह मध्यम आकार वाली कलियां डालकर तब तक पकाएं, जब तक कलियां जल न जाएं । इसके बाद लहसुन की कलियां निकालकर फेंक दें और तेल को छानकर रख लें । इस तेल को गुनगुना करके दो बूंद की मात्रा में रोजाना कान में डालें । इससे बहरेपन में लाभ होता है ।
कान के दर्द में पुदीना का रस डालने से लाभ मिलता है ।
केले के पत्तों के रस में समुद्रफेन मिलाकर डालने से आराम मिलता है ।
कान का बहना
प्याज का रस थोड़ा-सा गर्म करके एक या दो बूंद कान में डालें । इससे कान का बहना, बहरापन व दर्द आदि रोग दूर होते हैं ।
सरसों का तेल दस तोला लेकर उसमें रतनजोत एक तोला डालकर पकाएं । जब जलने लगे तो इस तेल को साफ शीशी में भरकर रख लें । कान बहे या दर्द करे, सभी परिस्थितियों में यह प्रयोग लाभ पहुंचाता है ।
फिटकरी 20 माशा, हल्दी एक माशा पीसकर रख लें । आवश्यकता पड़ने पर कान को रुई से साफ करके दो रत्ती दवा डालें । लाभ मिलता है ।
कान का बहरापन
यदि कोई व्यक्ति/महिला जन्मजात बहरा हो तो वह मात्र दवाओं से ठीक नहीं होता । किन्तु ऊंचा सुनने वालों के लिए ये नुस्खे लाभदायक हो सकते हैं-
प्याज का रस, हलका गरम डालने से लाभ मिलता है ।
कड़वे बादाम का तेल कान में टपकाने से बहरापन ठीक हो जाता है ।
नाक की बीमारियां
नजला (पुराना जुकाम)
भुने चने का छिलका उतरा हुआ आटा 20 ग्राम, मलाई/रबड़ी 20 ग्राम थोड़े शहद में मिलाकर, 4 बूंद अमृतधारा असली मिलाकर कुछ दिन रात में खाने से पुराने-से-पुराने नजले में लाभ पहुंचाता है ।
नाक से दुर्गंध
कद्दू का रस नाक में टपकाने से लाभ मिलता है । कद्दू का रस सुबह-शाम, पीस-छानकर नाक में टपकाएं । हाजमा ठीक रखें ।
नकसीर
नाक से खून आने को नकसीर कहते हैं ।
माजूफल को बारीक पीसकर नाक में सुंघाने से नकसीर बंद हो जाती है ।
सूखा आंवला 25 ग्राम पानी में भिगोकर रख दें । सुबह छानकर पानी पिएं तथा आंवले को पीसकर तालू और माथे पर लेप करें ।
10 ग्राम मुल्तानी मिट्टी कूट लें और एक प्याला पानी में भिगो दें । सुबह ऊपर का पानी पीने को दें तथा नीचे बैठी मिट्टी का माथे पर लेप करें ।
यदि गर्मी के कारण नाक से खून आए तो चार आंवले उबालकर शुद्ध घी में भूनने के बाद सिर पर लेप करने से लाभ मिलता है ।
मेंहदी की ताजी पत्तियां पानी में पीसकर तलवों में लगाने से नकसीर बंद हो जाती है ।
छोटी कटेरी के ताजे पत्तों को कुचलकर उनका रस निकाल लें । इस रस को दो-दो बूंद नाक में टपकाने से लाभ होता है ।
हरी दूब का ताजा रस या प्याज का रस निकालकर सूंघें ।
अनार के फूल और हरी दूब समान मात्रा में पीस लें और दिन में दो बार दो-दो चम्मच लें ।
जुकाम होना
पांच ग्राम अदरक के रस में पांच ग्राम तुलसी का रस मिलाकर दस ग्राम शहद से लें ।
एक गिलास गर्म दूध में पांच काली मिर्च पकाएं और सुबह-शाम सेवन करें ।
सुहागे को तवे पर फुलाकर महीन पीस लें । आधा ग्राम की मात्रा में दिन में तीन बार गरम पानी के साथ लें । तीन दिनों में फायदा हो जाएगा ।
अडूसा के पत्तों का काढ़ा बनाकर पीने से सर्दी-जुकाम मिटता
अमरूद के पत्ते चाय की तरह उबाल लें और पानी पिएं ।
बार-बार नकसीर फूटे तो आंवले का रस बीस-बीस ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम सेवन करें ।
मुंह के रोग
मुंह में छाले होने पर दो चम्मच हल्दी चूर्ण दो गिलास पानी में खूब उबालें । इसके बाद ठंडा करके उस पानी से गरारे करें । मुंह के छालों में उपयोगी है ।
चमेली के पत्ते चबाने से मुंह के छाले ठीक होते हैं ।
मुंह के छाले होने पर मुलेठी चूसें ।
मुंह के छालों में पेट साफ रखना भी जरूरी है । इसके लिए रात को सोते समय एक कप मीठे गर्म दूध में आधा चम्मच देशी घी डालकर पिएं ।
कत्थे के साथ अमरूद की पत्तियां चबाने से मुंह के छाले ठीक हो जाते हैं ।
एक ग्राम कत्थे को एक छोटी चम्मच शहद में मिलाकर रख लें । छालों पर उगली से दिन में तीन बार लगाएं । साथ ही आधा चम्मच गुलकंद दिन में दो बार, दूध में मिलाकर पिएं ।
मुंह, दांत, मसूढ़े व गले के रोग
दाढ़ में दर्द
थोड़ी-सी भुनी हुई हींग लेकर राई के फाहे में लपेटकर दाढ़ पर रखें । तुरन्त राहत मिलेगी ।
सेंधा नमक लेकर खूब बारीक पीस लें और उसमें सरसों का तेल मिलाकर उंगली या नर्म ब्रश से दांतों पर मले । फिर गुनगुने पानी से कुल्ला कर लें । कुछ दिन तक यह प्रयोग करने से दांतों का हिलना, मसूढ़ों का दर्द आदि शिकायतें दूर हो जाती हैं ।
अडूसा के पत्ते पानी में खौलाकर कुल्ले करने से मसूढ़ों का दर्द मिटता है ।
थूक में खून आना
तरबूज के दस ग्राम बीज लेकर पीस लें और पांच ग्राम शहद मिलाकर सेवन करें ।
दांतों से खून आने पर