Apna Dost Narendra Modi - (अपना दोस्त नरेन्द्र मोदी)
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About this ebook
एम.ए. करने के बाद भाषा निदेशालय - गांधीनगर में जशभाई को भाषांतरकाल की नौकरी मिली और 1990 में Regional Elements in Gujarati Novels में Ph.D की पदवी हासिल की। परंतु 1993 में डॉ. जशभाई की नौकरी छूट गई।
एम.ए. का अभ्यास करते-करते अपने वतन चरोतर प्रदेश का चितार देने वाली सामाजिक उपन्यास 'पवित्र प्रेम' 2010 में प्रकाशित हुई। इस उपन्यास की प्रस्तावना गुजरात राज्य के तत्कालीन आदरणीय मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्रभाई मोदीजी ने लिखी। इस तरह डॉ. जशभाई के उत्साह-आनंद-खुशी में और बढ़ावा हुआ।
आदरणीय मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्रभाई मोदी जैसी विराट अंतर्राष्ट्रीय प्रतिभा को शब्दस्थ करके गुजराती में “आपणो भेरुबंध-नरेन्द्र मोदी” वर्ष 2012 में पुस्तक प्रकाशित किया।
गुजरात में भाईचारा, एकता, शांति और सद्भाव को, एक मंच पर गुजरात की जनता को लाने के लिए श्री नरेन्द्रभाई मोदीजी ने सद्भावना मिशन शुरू किया था। मुख्यमंत्री कार्यालय में सेवारत होने के कारण फर्ज के भागरूप डॉ. जशभाई पटेल को सभी सद्भावना में जाना पड़ता था, इसलिए डॉ. जशभाई सद्भावना के साक्षी बन गए। साक्षीभाव के रूप में डॉ. जशभाई पटेल ने “सद्भावना की सरिता- नरेन्द्र मोदी” नामक दूसरी पुस्तक का सृजन किया है जो अभी प्रकाशन
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Apna Dost Narendra Modi - (अपना दोस्त नरेन्द्र मोदी) - Dr. Jashbhai Patel
देवता
1. सच्ची सेवा
आपने पढ़ा ! नरेन्द्र मोदी ने तो नया तूत खड़ा किया है। ले पढ़ यह अखबार।
चार-पाँच आदमी गाँव के चौराहे पर बैठे थे उसके पास आकर अखबार देते हुए मगन चाचा ने कहा।
अरे ये पढ़ने की भेजामारी कौन करे? आप ही कह दो कि तूत कैसा है?
जगदीश ने मगन चाचा को कहा।
अरे ! पढ़ तो सही। तुझे पता हो जायेगा। तू तो हर रोज नरेन्द्र मोदी, नरेन्द्र मोदी की माला जपता है न इसलिए तुझे ही पढ़वाने लाया हूँ। ले पढ़।
ऐसा कहकर मगन चाचा ने जगदीश के हाथ में अखबार थमा दिया।
जगदीश और इनके साथ चौराहे पर बैठे हुए चार-पाँच आदमी अखबार पढ़ने में मशगूल (मग्न) हो गये, किन्तु इनको कोई तूत जैसा पढ़ने को नहीं मिला, इसलिए शांति से अखबार पढ़ने लगे। इसी दौरान मगन चाचा बोलते ही जा रहे थे :
क्या कलियुग आया है। ये नरेन्द्र मोदी ने तो न जाने रुपये पेड़ पर लगते हों, इसी तरह से खर्च किये जा रहे है। आज गुजरात राज्य में ऐसा करेंगे, गुजरात राज्य में वैसा करेंगे, किन्तु बोलने से कुछ होने वाला नहीं है। अपनी जेब में हाथ डालना नहीं और फलानी योजना के पीछे इतने रुपये खर्चा किया जाएगा और ढिकानी योजना के पीछे उतना रुपये खर्चा किया जायेगा। उनको क्या पता कि रुपये कैसे कमाये जा सकते हैं। उनको तो बस हुक्म करने का। इनसे तो झवरलाल की सरकार अच्छी थी।
मगन चाचा ने अपनी वेदना व्यक्त करते हुए कहा।
किन्तु मगन चाचा सारे अखबार में कहीं भी तूत जैसा कुछ भी नहीं लिखा है। आप किस को तूत कहते हो, ये तो कहो?
जगदीश ने प्रश्न किया।
अरे ! तेरी भी आंखें फूट गई हैं क्या? अंधे को दिखाई दे ऐसे बड़े-बड़े चोटी जैसे अक्षरों में लिखा है ये तू नहीं देखता? ले ये पढ़।
मगन चाचा ने क्रोध में आकर मुंह टेढ़ा करते हुए ऊंगली शीर्षक पर रखकर बताते हुए कहा।
अरे ! मगन चाचा ये तो नरेन्द्र मोदी ने एक नयी योजना जाहिर की है, ये है। इसमें तूत कहाँ है, आप तूत-तूत लेकर लगे हो?
जगदीश ने सहज भाव से कहा।
यह इसकी तो रामायण है। तू शिक्षक हो गया, किन्तु तुझे समझ नहीं और बीच में बक-बक करता है। चुप होकर बैठ। ये तेरे जैसा थोड़ा पढ़ा हुआ, तुरन्त ही नरेन्द्र मोदी की शरण में आ जाता है। ये तूत नहीं तो और क्या है, ये तू मुझे बता सकता है?
मगन चाचा ने क्रोध में आकर जगदीश को जैसे धमकाते हो, इस तरह