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मानव
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Ebook81 pages32 minutes

मानव

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About this ebook

..यह राजनीति और अपराध की एक ऐसी कहानी है जो पाठकों को जानी पहचानी सी लगते हुए भी नया अनुभव देगी।

Languageहिन्दी
Release dateSep 5, 2020
ISBN9781393231189
मानव
Author

Ravi Ranjan Goswami

रवि रंजन गोस्वामी भारतीय राजस्व सेवा में सहायक आयुक्त (सीमाशुल्क) हैं। साथ ही आप एक लोकप्रिय कहानीकार और कवि हैं। आप झाँसी निवासी है। सम्प्रति कोचीन ,केरल , भारत में निवास करते हैं। 

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    मानव - Ravi Ranjan Goswami

    कवर मॉडल  मौसम दीवोलिया

    कवर डिजाइन रवि रंजन गोस्वामी

    समर्पण

    न मो

    हरीकृष्णन मेनन

    दिविता हरी  

    केश कुमारी गोस्वामी

    मौसम दीवोलीया  

    यह एक काल्पनिक कृति है। वास्तविक लोगों, स्थानों, या घटनाओं से समानताएं पूरी तरह से संयोग हैं।  मानव कॉपीराइट © 2020 रवि रंजन गोस्वामी।

    आमुख

    छगन एक बाहुबली नेता थे । छगन बाहुबल का प्रयोग अपने स्वार्थ के लिए बुद्धिमानी से करते थे। बाकी समय उनकी बात व्यवहार मीठा और विनम्र होता था। फिर भी उनके इलाके में उनके  सामने सर उठाने की कोई हिम्मन नहीं करता था । उस इलाके में उसका एक ही मुखर विरोधी था मानव, इलाके का दूसरा बाहुबली नेता था। उसको बाहुबली बनाने में छगन का ही  हाथ था।

    1

    15 मई 2002 हरीनगर

    छगन विधायक अपनी बैठक में उद्विग्न बैठे थे । शंकरलाल, उनके निजी सचिव भी उपस्थित थे ।

    घर कहो या महल , उसके बाहर जनता की भीड़ नारे लगा रही थी, "छगन भैया जिन्दाबाद, जिंदाबाद, जिन्दाबाद.

    बीच बीच में कोई उनके छोटे भाई मगन के लिये भी जिदाबाद का नारा लगा देता ।

    राजन भी वहां था । वह छगन का खास आदमी था। उसने चुनाव में उसको जिताने के लिए जी जान एक कर दिया था। 

    शंकरलाल ने विधायक से कहा, " आप पंडित जी से फोन पर भी तो परामर्श ले सकते थे । वे सदानंद शास्त्री एस्ट्रोलोजर को पंडितजी ही कहते थे।

    विधायक, " मुझे उसमें संतोष नहीं होता । रूबरू मिलकर बात करने से भरोसा अधिक मिलता है।

    तभी शास्त्री ने कमरे में प्रवेश किया । दरवाजा पहले से खुला हुआ था।

    विधायक और सचिव दोनों खड़े हो गये । सभी जन एक दूसरे से नमस्कार करके बैठ गये ।

    पंडितजी  सोफ़े पर विधायक के बगल में बैठ गये । उनके सामने एक मेज थी ।

    विधायक ने जेब से एक पर्ची निकाल कर पंडितजी को दी । उस पर्ची में विधायक जी की जन्म तिथि ,जन्म स्थान और जन्म समय लिखा था ।

    पंडित जी ने अपने पीले रंग के झोले से पत्रा निकाला और विधायक जी की जन्म कुंडली बनायी।

    फिर थोड़ी देर उँगलियों पर कुछ गणना की । उनका चेहरा थोड़ा गंभीर हो गया था ।

    पंडितजी ने कहा, नेताजी कल का दिन शपथ लेने के लिये श्रेष्ट नहीं है। क्या आप इस कार्यक्रम में कुछ परिवर्तन कर सकते है।

    विधायक जी के चहरे पर भी हल्का सा खिचाव था।

    वह बोले, शपथ तो कल ही लेना होगी। किसी वजह से अवसर चूक गये तो पता नहीं फिर कब अवसर मिले।लेकिन आपकी बात से मन विचलित भी हो रहा है।

    पंडित जी ने सांत्वना दी , इतनी विकट  समस्या भी नहीं है। एक ग्रह की चाल थोड़ी टेड़ी है। मैं उपाय कर दूंगा।

    विधायक जी ने सचिव को इशारा किया। सचिव ने पांच हज़ार

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