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तपोभूमि
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Ebook361 pages3 hours

तपोभूमि

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About this ebook

Siddharth is a police officer. His bravery and intelligence related to a terrorist attack in Baramula results in his transfer to Rajnagar. Rajnaget is controlled by a violence spreading group 'Kala Dasta'. This organisation demands from ransom from the common people and pretends to work in the benefit of those people. In reality, it speads terrorism and fear among the people. No person of Rajnager dares to disobey the commands of this organisation. Now Siddharth has a challenge to finish this organisation.

Languageहिन्दी
Release dateJun 6, 2019
ISBN9798201840358
तपोभूमि
Author

Rajiv Ranjan Sinha

Rajiv Rajan Sinha has done M.A. in Political Science and P.G. Diploma in Journalism and Mass Communication. He then started his carrer as a reporter and has been in the field of jounalism for almost 20 years. Now he has entered the field of writing. राजीव रंजन सिन्हा ने पौलिटिकल साइन्स में एम.ए. और पीजीडीजेएमसी किया है। इसके बाद वे पत्रकारिता के क्षेत्र में चले गए जहां उनहों ने बीस साल तक रिपोर्टिंग की। अब वे लेखन के क्षेत्र में प्रवेश कर चुके हैं । 

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    तपोभूमि - Rajiv Ranjan Sinha

    राजीव रंजन सिन्हा

    श्रद्धांजलि

    नमन के साथ यह उपन्यास उन जांबाज़  सिपाहियों को श्रद्धांजलि है जिन्होंने समाज और देश के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दियें ।

    समर्पित  

    यह उपन्यास पत्नी,श्वेता सिन्हा, को समर्पित है।

    प्रेरणा

    उपन्यास लिखने के लिए मुझे एक ऐसी महिला ने प्रेरित किया,जो पहले मेरी दोस्त बनी और फिर परिणय सूत्र मे बंधकर पत्नी I मेरे दो बच्चे श्वेतांशु और दिव्यान्शु की माँ ‘श्वेता’ की इच्छा थी की मैं उपन्यास लिखूं I

    खंड-१

    जनवरी महीने की पूरनमासी की रात I आकाश में खिला हुआ चाँद और उसकी दूधिया रोशनी से नहा रही पहाड़ की तलहटी यानी पहाड़ का निचला हिस्सा I तलहटी में बनी कंक्रीट की सड़क पर तेज रफ़्तार से काले रंग की एक स्कार्पियो दौड़ती जा रही है I स्कार्पियो जैसे ही एक गाँव से होकर गुजरती है, सड़क के किनारे बनी झोपड़ियों की दीवारों से दुबके पड़े कुछ कुत्ते भौंकते हुए उसके पीछे लग जाते हैं I कुछ दूर पीछा करने के बाद वे ठहर जाते हैं और अंगराई लेने के बाद वापस लौट चलते हैं I मानो वे मन ही मन यही सोचते जा रहे हों कि हमें कौन-सी गाड़ी में बैठना था I हम तो दौड़ इसलिए रहे थें कि दौड़ते हुए गर्मी आ जाएगी और इससे थोड़ी देर के लिए ही सही इस कड़ाके की ठंड से निजात तो मिलेगी I तेज रफ़्तार से भाग रही स्कार्पियो आगे जाकर कड़कड़ाती हुई आवाज़ करके खड़ी हो जाती हैI गाड़ी इस तरह से आवाज करके तभी रूकती है जब उसे अचानक से रोका गया हो । क्योंकि ऐसे में हैण्ड और फूट ब्रेक का इस्तेमाल एक साथ किया जाता है I गाड़ी को इस तरह से रोके जाने पर गाड़ी जोर का झटका खाती है ।  जिससे पिछली सीट पर बैठकर झपकी ले रहे शख़्स का सिर अगली सीट के पिछले हिस्से से टकरा जाता है I इससे उस  शख़्स की आँखें खुल जाती है I सावंला रंग, सिर पर सफ़ेद  और काले बालों का मिश्रण, लम्बा चेहरा, क्लीन शेव, क्रीम रंग का प्रिंस कोट पहने हुए वह शख़्स झल्लाते हुए ड्राईवर से कहता है , ‘‘ इस तरह से गाड़ी क्यों रोकते हो , मुनीम ? ’’  

    मुनीम कापंती हुई आवाज में कहता है , ‘‘ सा....ह...ब आ...गे आ...गे ..... देखि....ये I ’’

    दोनों आँखों को मलते हुए आगे देखता है तो वह डर जाता हैI हेड लाइट की रोशनी में उसे कुछ लोग काली पोशाक में दिखलाई पड़ते हैं I उन्होंने अपने चेहरे पर नकाब चढ़ा रखा है और उनके हाथों में हथियार चमक रहे हैं I

    वह कहता है , ‘‘ मुनीम.... यह तो लुटेरे लगते हैं I जल्दी से गाड़ी पीछे करो I ’’

    मुनीम पिछला गेयर लगाकर गाड़ी को पीछे करता है । और, फिर एक नंबर गेयर लगाकर स्टेयरिंग को बाएं घुमाते हुए गाड़ी का रुख विपरीत दिशा की ओर मोड़ देता है । लेकिन, रफ़्तार बढ़ाने के लिए एक्सेलेटर पर पैर रखने के बजाये वह ब्रेक पर पैर रख देता है I ब्रेक लगते ही गाड़ी रुक जाती है I

    पीछे की ओर देख रहा वह शख़्स सिर घुमाते हुए फिर झल्लाकर पूछता है , ‘‘ अब क्या हुआ ? अब क्यों गाड़ी रोक दी ? ’’

    तब तक उसकी नज़र आगे की ओर चली जाती है और वह खामोश हो जाता है I लुटेरे उसे उधर भी खड़े दिखलाई पड़ते हैं I पहले से तेज चल रही उस शख़्स के दिल की धड़कन की रफ़्तार और तेज हो जाती है I

    वह बुदबुदाते हुए कहता है , ‘‘ दोनों तरफ से हम घिर चुके हैंI अब क्या करें ? ’’

    वह इधर-उधर देखने लगता है I चाँद की रोशनी में उसे पास में एक जंगल दिखलाई देता है I वह मुनीम को जंगल की ओर चलने का इशारा करता है I मुनीम गाड़ी को जंगल की ओर मोड़ देता है I उबर-खाबड़ रास्ते से होती हुई गाड़ी घने जंगल के समीप पहुंचती है । तो , वह शख्स मुनीम के कंधे पर हाथ रखते हुए गाड़ी को रोकने का इशारा करता है I गाड़ी के रुकते ही दोनों गाड़ी का दरवाजा खोलकर जंगल के अन्दर चले जाते हैं । और , पेड़ों की ओट में छिपकर लम्बी-लम्बी सांसे लेने लगते हैं I थोड़ी देर में सूखे पत्तों पर एक साथ कई लोगों के चलने का आभास होता है I दोनों आंखे खोलकर इधर-उधर देखने की कोशिश करते हैं । लेंकिन , अँधेरे की वजह से उन्हें कुछ नहीं दिखता I कुछ समय तक आवाजें होती रहती है I फिर वहां शांति छा जाती है I

    मुनीम धीमी आवाज में कहता है , ‘‘ लगता है कोई जंगली जानवर था ! ’’

    एकाएक किसी के चिल्लाने की आवाज़ आती है , ‘‘ मशाल   जलाओ I ’’

    एक-एक करके कई मशालें जल पड़ती है I

    मशालों के जलते ही एक आवाज़ आती है , ‘‘ कैसे हो दर्शन बाबू ? मगराज के जंगल में तुम्हारा स्वागत है I ’’

    मुनीम के साथ जो शख्स है उसका ही नाम दर्शन है I जंगल में इस तरह अपना नाम सुनकर वह हैरत में पड़ जाता है ।  और , आ रही आवाज की दिशा की ओर वह देखने लगता हैI दर्शन मशाल की लौ में देखता है कि वहां पर बहुत सारे लोग खड़े हैं I कुछ ने हथियार पकड़ रखा है और कुछ ने मशाल I उन सब ने वैसी ही पोशाक पहन रखी है जैसी पोशाक सड़क लुटेरों ने पहन रखी थी I कहीं ये लोग वही तो नहीं ! फिर उसकी नजर एक लम्बे कद वाले व्यक्ति पर पड़ती है ।  जो नकाबपोशों की भीड़ से आगे खड़ा है I उसकी पोशाक भी कुछ अलग है I तन पर काले रंग का लॉन्ग कोट , काला पतलून और काले रंग का बूट I हथेलियों में काले दस्ताने , काली टोपी और आँखों पर काला चश्मा , काली घनी दाढ़ी और मूंछ I इस वेश-भूषे से उसका चेहरा साफ नहीं दिख रहा I

    वह धीरे-धीरे चलते हुए दर्शन के पास पहुंचता है और जोरदार आवाज में कहता है , ‘‘ बीड़ी ’’

    मशाल लिए एक नकाबपोश उसके पास आकर बीड़ी देते हुए कहता है,-‘‘ कमांडर ’’

    कमांडर बीड़ी लेकर मशाल से सुलगाता है और होठों से दबाकर जोर का कश लेता है I फिर होठों को गोल करते हुए धुआँ ऊपर की ओर उड़ा देता है I

    ललाट पर खुजली करते हुए वह कहता है,- ‘‘ दर्शन, बहुत मुश्किल से हुआ तेरा दर्शन I तुमने हमें बहुत छकाया,बहुत परेशान किया I ’’

    किसी अजनबी से अपना नाम सुनकर दर्शन सोचता है कि  अगर इस व्यक्ति को मेरा नाम पता है तो मेरे बारे में उसके पास काफी जानकारी भी हो सकती है ! आखिर कौन है ये ?

    वह हैरत भरी निगाहों से उससे सवाल करता है,- ‘‘ कौन हो तुम ? और तुम्हे मेरा नाम कैसे पता ? ’’

    कमांडर होठों से दबे हुए बीड़ी को दायें हाथ के अंगूठे और तर्जनी से बाहर निकालकर दर्शन के सीने पर उछाल देता हैI उसकी इस हरकत से दर्शन डरकर दो कदम पीछे हट जाता है I

    दर्शन को डरते देखकर कमांडर उसके पास जाता है और उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहता है,- ‘‘ घबराओ मत, दर्शन I मेहमान हो हमारे I ऐसे तो यहाँ पर सवाल करने का अधिकार हमारा है । लेकिन , हम तुम्हें निराश नहीं करेंगे I बड़े लोगों के नाम और पते की जानकारी रखना हमारा पेशा है I ’’

    कुछ कदम पीछे हटकर अपने दोनों हाथों को फैलाते हुए  वह चिल्लाकर कहता है,- ‘‘ जंगल और पहाड़ों के राजा हैं हम । और , अपने मेहमानों की मेहमाननवाज़ी इन्हीं जगहों पर किया करते हैं I ’’

    हाथों को दर्शन की ओर लक्ष्य करके वह कहता है,- ‘‘ तुम यहाँ तक आओ । इसके लिए मैंने अपने आदमियों को सड़क पर भेजा I चलो अब मतलब की बात कर ली जाये I ’’

    हाथों को अपने लॉन्ग कोट के पॉकेट में डालकर वह पूछता है,- ‘‘ दर्शन वह टेप और फाइल कहाँ है ? ’’

    दर्शन,- ‘‘ कौन-सा टेप और कौन सी फाइल ? मैं नहीं जानता कि तुम किस टेप और फाइल की बात कर रहे हो ? ’’

    कमांडर , ‘‘ वही जिसे दिखाकर तुम शूरवीर बनना चाहते होI ’’

    दर्शन,- ‘‘ मेरे पास ऐसा कुछ नहीं है I ’’

    ‘‘ टेप और फाइल तो उस पत्रकार के पास भी नहीं है I तब आखिर वो सब गया कहाँ ? ’’  कमांडर झल्लाते हुए अपने आदमियों से कहता है , ‘‘ तलाशी लो इसकी I ’’

    एक नकाबपोश उसकी तलाशी लेता है I तलाशी लेने के बाद वह हाथ से ‘ नहीं ’ होने का इशारा करता है I

    कमांडर चेहरे पर कुटिल मुस्कान बिखेरते हुए कहता है , ‘‘नहीं मिला, तब हमने इसे क्यों पकड़ रखा है ? जाने दो इसे,इसकी बीवी और बच्चे इंतजार कर रहे होंगे I’’

    वह दर्शन को बायां हाथ दिखाकर चले जाने का इशारा करता है I

    दर्शन के साथ मुनीम भी जाने लगता है। तब कमांडर कहता है,- ‘‘ नहीं मुनीम, तुम नहीं I ’’

    दर्शन बिना पीछे देखे तेज गति से कदम बढ़ाते हुए वहां से चल पड़ता है I

    कुछ दूर आगे निकलने के बाद कमांडर चिल्लाकर कहता है,- ‘‘ खाली हाथ जाओगे दर्शन ?’’

    यह सुनकर दर्शन पीछे मुड़ जाता है I उसके पीछे मुड़ते ही कमांडर उसके सीने में दो गोलियां दाग देता है I गोलियां लगते ही दर्शन वहीं पर गिर पड़ता है I

    यह देखकर मुनीम कमांडर का पैर पकड़कर जोर-जोर से चिल्लाते हुए कहता है,- ‘‘मुझे मत मारना ....... मुझे मत मारना I’’

    कमांडर कोट के पॉकेट से मोबाइल निकालकर एक बटन दबाता है I

    उधर से कॉल उठते ही वह बोल पड़ता है,- ‘‘ महामहिम, दर्शन के पास सामान नहीं मिला I फिर मैंने उसके साथ वैसा ही किया जैसा आपने कहा था I अब मुनीम का क्या करना है? ’’

    दूसरी तरफ से कुछ सुनने के बाद कमांडर मोबाइल काट देता है I

    अपने पैरों पर पड़े मुनीम को वह उठाते हुए कहता है, ‘‘ चलो मुनीम, हमने तुम्हारे लिए एक खास इंतजाम किया है I’’

    ‘‘ ले चलो इसे ’’  कमांडर के आदेश पर एक नकाबपोश उसके हाथों को पीछे करके गमछा से बांध देता है I फिर एक-एक करके सारी मशालें बुझ जाती है I

    खंड-२

    रात का पहला पहर बीतने को है I हसनपुर गाँव के निवासी पूरी तरह से नींद की आगोश में है I कुत्तों की रह-रहकर भौंकने की आवाज गाँव में पसरे सन्नाटे में खलल डाल रही हैI गाँव के एक किनारे में है थाना I थाने की दीवारें ईंट की है। जबकि छत खपरैल की है I मुंडेर पर लालटेन टंगा है I यहाँ बिजली की हालत काफी ख़राब है I लोगों को रात का अँधेरा दूर करने के लिए ढिबरी और लालटेन का ही सहारा है I हाँ, दिन-भर में आधे-एक घंटे के लिए बिजली आ जाती है । यह बताने के लिए कि इस देश में बिजली नाम की भी कोई चिड़िया वास करती है I थाने में बिजली की कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं है I बस यही लालटेन है जिसके सहारे रात में थाने का जरूरी कामकाज निपटाया जाता है I एक राईफलधारी गेट पर तैनात है । जबकि अन्दर ड्यूटी पर तैनात हवलदार चौकस रहने के बजाये बेंच पर कम्बल ताने सो रहा है I सोने के दौरान वह खर्राटे भी लिए जा रहा है I

    बीच-बीच में उसके खर्राटे की आवाज इतनी तेज हो जाती है कि गेट पर खड़ा रईफलधारी बुदबुदाते हुए कहता है, ‘‘ एकर खर्राटा से तो गाँव से भागल चोर वापस आ जईअन I ’’

    थोड़ी देर में फोन की घंटी घनघनाने लगती है I ऐसे में कभी ट्रीन-ट्रीन की आवाज सुनाई पड़ती है । तो ,कभी खर्राटे की I इससे ऐसा लगता है कि मानो हवालदार के खर्राटे और फोन की घंटी के बीच जुगलबंदी शुरू हो गयी हो I लगातार फोन की घंटी बजते सुनकर राईफलधारी जवान हवलदार के पास जाकर उसे झकझोर कर जगाते हुए कहता है,- ‘‘ ए हवलदार साहेब उठिए, देखिये कितने देर से फोनवा टूनटूनाए जा रहा है......उठिए I’’

    जवान की आवाज सुनकर हवलदार कम्बल के अन्दर से पूछता है,- ‘‘ का भईल मुरैना ......सोबे द I ’’

    मुरैना,- ‘‘ फोनवा जाकर उठाइए I ’’

    हवलदार खीझकर कम्बल हटाते हुए बेंच पर से उठता है और सिरहाने रखे चादर को ओढ़ते हुए बिना फीते वाले जूतों में पांव डाल देता है I आगे बढ़कर मुंडेर पर टंगे लालटेन को उतारता है और थानेदार के कक्ष की ओर चल पड़ता है I साथ ही वह बड़बड़ाता जा रहा है,- ‘‘ ससुरी फोनवा को का हुआ ? इ तो पांच-छ दिनवा से मरल परल थी I अचानक से इ में जनवा कैसे आयी गवा ?’’

    हवलदार वास्तव में सही कह रहा है I कुछ दिन पहले पेड़ से एक टहनी टूटकर टेलीफोन के पोल पर गिर पड़ी थी,जिससे टेलीफोन का तार टूट गया था I टेलीफोन मिस्त्री दिन में इसे बनाकर गया था I हवलदार की ड्यूटी रात में होने की वजह से उसे नहीं पता था कि फोन बन गया है I

    फोन का रिसीवर उठाते हुए वह कहता है,- ‘‘ हलू.... हसनपुर थाने से हम हवलदार रामाधार बोलत हैं I’’

    दूसरी तरफ से एक आवाज आती है,- ‘‘ हवलदार साहेब,मेसरा गाँव से हम बुद्धन चोकीदार......I’’

    नींद में पड़ी खलल से रामाधार उसकी पूरी बात भी नहीं सुनता I

    वह अपनी सारी झल्लाहट उस पर उड़ेल डालता है,- ‘‘ तब हम का करी.....तू कहीं के गभर्नर ह ....... अरे बुद्धनवा रतओ में तोहार बदनवा खुजलात रहेला का रे ..... दिनवा में तोहरा फोनवा करे में लाज लागत रहे..... निंदवा में हम अपन सादी के सपनवा देखत रहें....... अभी हम अपन होवे वाली लुगाई के मंगवा में सिंदुरवा भरे ही वाले थे कि बीचवा में तू फोनवा बजा के सब भार दिया रे..... अरे तू कुछ बकवो  करेगा ....... काहे लगी फोनवा किया है I’’

    रामाधार की झल्लाहट भरी बातें सुनकर बुद्धन सकपका जाता है I

    उसकी चुप्पी पर रामाधार फिर झल्लाता है,- ‘‘ हमरा जगा के तू सोई गवा का रे ?’’

    यह सुनते ही बुद्धन हड़बड़ाकर कहता है,- ‘‘ न ...न  हम जागत है ......हवलदार साहेब ,का कहीं एक बरल घटना होई गवा है I’’

    रामाधार फिर झल्लाते हुए कहता है,- ‘‘ त जल्दी बक न I’’

    ‘‘ हाकिम, दर्शन बाबू का हत्या होई गवा है,’’ – बुद्धन के ऐसा कहने पर रामाधार जम्हाई लेते हुए पूछता है,- ‘‘ कौन दर्शन बाबू, बुद्धन ?’’

    बुद्धन,- ‘‘ पिछलका सांसद I’’

    पूर्व सांसद का नाम सुनते ही जम्हाई ले रहे रामाधार का मुंह खुला का खुला रह जाता है I

    खंड-३

    घटना बड़ी है I इसलिए इसकी जानकारी देने के लिए हवलदार रामाधार थाना परिसर से बाहर निकल पड़ता है I थानेदार का निवास-स्थान थाने से कुछ दूरी पर है I थाने  और थानेदार के निवास के बीच आम का एक बड़ा-सा बगीचा है I उसने कई लोगों से सुन रखा है कि आम के बगीचे में भूतों का वास है I रात में वहां से गुजरने वालों को भूत तंग किया करते हैं I रामाधार को भूत-प्रेत के नाम से बड़ा डर लगता है I चाँदनी रात में भी वह लालटेन लेकर निकला है I उसके बाएं हाथ में लालटेन और और दायें हाथ में लाठी है I ठंड में भी उसके माथे से पसीने टपक रहे हैं I वह जोर-जोर से हनुमान चालीसा पढ़ता जा रहा है I आम के बगीचे में पहुंचते ही उसकी हालत ख़राब हो जाती है I वह जोर-जोर से कांपने लगता है I डर से वह हनुमान चालीसा भी पढ़ना भूल जाता है I अब तक धीमी चाल से चल रहे रामाधार की चाल तेज हो जाती है I एक जगह उसे ऐसा महसूस होता है कि किसी ने उसकी धोती को कसकर पकड़ लिया है I इससे वह और डर जाता है I वह पलटकर देखता भी नहीं है कि किसने उसकी धोती को पकड़ रखा है I वह दौड़ने लगता है I कुछ समय दौड़ने के बाद वह एक घर के बाहर पहुंचकर रुक जाता है और हाफंते हुए लकड़ी के बने दरवाजे को लाठी से जोर-जोर से पीटने लगता है I

    साथ ही वह हांफते हुए कह रहा है,- ‘‘ थानेदार साहेब ......ओ थानेदार साहेब ..... दरबजवा जल्दी से खोली दिअब ......हमर पीछे भूतवन पड़ल है ....जल्दी से खोली सरकार ....I

    तभी एक भारी-भरकम आवाज़ अन्दर से आती है, ‘‘ कौन है ..... कौन है जो इस तरह से दरवाजे को पीटे जा रहा है ?’’

    रामाधार तो अपने ही धुन में है I डर से उसकी हालत इतनी ख़राब हो चुकी है कि उसे थानेदार की आवाज़ भी सुनाई नहीं दे रही है I वह आँखे बंद करके दरवाजे को लगातार बस पीटे जा रहा है I अबतक बिस्तर से उठ चुके थानेदार आँखे मलते हुए दरवाजा खोल देते हैं I दरवाजे के खुलते ही लाठी उनके सिर पर जा लगती है I

    लाठी की चोट से थानेदार तिलमिला जाते हैं और जोर से चिल्लाते हुए कहते हैं,- ‘‘ कौन है तू ?’’

    थानेदार की चिल्लाहट से रामाधार की आँखे खुल जाती है I

    वह लालटेन और लाठी छोड़कर उछलते हुए थानेदार से जा लिपटता है और कहता है,- ‘‘ हजुर ....माई-बाप हमरा के भुतवन सब से बचाई लियो..... वो सब हमर पीछे परल है .......बचाई लियो महाराज .......बचाई लियो .....I

    रामाधार की इस हरकत से थानेदार को गुस्सा आ जाता है I

    वे उसे अपने से अलग करते हुए उसके गाल पर एक झापड़ लगा देते हैं और कड़कती हुई आवाज में

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