तेरे बगैर
By प्रिंस सिंह
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About this ebook
इस किताब में आपको ग़ज़ल नज़्म और शायरी इत्यादि बोहोत ख़ूबसूरत ढंग से लिखे हुए मिलेंगे | अगर आपने अपने स्कूल के दोरान या कभी भी इश्क़ किया है तो आपको मेरी यह पुस्तक काफी पसंद आने वाली है | इस पुस्तक में दोस्ती और प्यार के ऊपर काफी कुछ लिखा है जिससे आप काफी जुड़ा हुआ मेहसूस करेंगे |अगर आप दोस्ती vs प्यार के ऊपर पुस्तक पढना चाहते है तो यह पुस्तक आपके लिए ही है | आशा करूँगा की आपको मेरी यह पुस्तक काफी पसंद आएगी |
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तेरे बगैर - प्रिंस सिंह
Gajal …
तुम समजती क्यों नहीं…
दोस्ती कितनी गहरी है हमारी तुम समझती क्यों नहीं
ये सब खुदा की कलाकारी तुम समझती क्यों नहीं |
मै सिर्फ दिल बहलाने के लिए बात नहीं करता था
मुझे जरूरत है तुम्हारी तुम समझती क्यों नहीं |
एक लड़का और लड़की कभी दोस्त नहीं हो सकते
ये सब दुनियादारी तुम समझती क्यों नहीं |
डॉक्टर बनने का सपना है मेडिकल कॉलेज में पढ़ती हो
फिर ये इश्क की बिमारी तुम समझती क्यों नहीं |
हर बार बात की शुरुवात मै ही नहीं कर सकता
एक लड़के की खुद॒दारी तुम समझती क्यों नहीं |
हर लोग सड़क पर चलते तुमको पाक नहीं कहेँगे
है इश्क पर धिक््कारी तुम समझती क्यों नहीं |
तुम्हे मुझसे बेहतर कोई मित्र जाए कहना कितना आसान है
पर मुझे आदत है तुम्हारी तुम समझती क्यों नहीं |
माना की हफ्तों में ज्यादा वक़्त नहीं दे सकता
है नौकरी सरकारी तुम समझती क्यों नहीं |
तुम्हे राजा जैसा लड़का मिले तुम्हारे पापा का सपना है
फिर इस प्रिंस की लाचारी तुम समझती क्यों नहीं ||
स्कूल वाला इश्क….
बड़ी छोटी उमर में हो गया स्कूल वाला इश्क़
पहले सफ़र में हो गया स्कूल वाला इश्क़ |
और वो छुट्टी के वक़्त उसने पीछे मुड़ के जो देखा
उसी नज़र में हो गया स्कूल वाला इश्क़ |
सुना है ल्रोग प्यार में राते बर्बाद करते है
मुझे दोपहर में हो गया स्कूल वाला इश्क़ |
कई साल गुजार दिए सिर्फ उसे देखते हुए
इतनी फुर्सत में हो गया स्कूल्र वाला इश्क़ |
पहली दफ़ा जब उसने आँखों में आंसू मेरे देखे
फिर असर में हो गया स्कूल वाला इश्क़ |
दुल्हन बना कर उसे जब अपने घर मैं ले आया
फिर सबके खबर में हो गया स्कूल वाला इश्क़ |
लोग अंदाज़े लगाते रह गए पर किसीको क्या पता
प्रिंस के चक्कर में हो गया स्कूल वाला इश्क़ ||
हां बोल कर ही ये हालत है
अपने वादों से मुकरना चाहिए था |
तनहा गली से गुज़रना चाहिए था |
एक मोड़ पर ज़िन्दगी के जा कर पता चला
हर मोड़ पर संभल्नना चाहिए था |
नीचा दिखा ही देते है अक्सर बड़ी गाड़ी वाले
पैदल ही चलना चाहिए था |
उसी गली में जाकर हमको मोहब्बत का शोौंख़ हुआ
अपना रास्ता बदलना चाहिए था |
मै भी निकल पड़ा क्लास से दोस्तों के कहने पर
उसका इंतज़ार करना चाहिए था |
भरोसा कर लिया मैंने लोगो के झूठी बातो पर
उसकी नज़रों को पढ़ना चाहिए था |
और ख़ुशी की तरह बिल्कुल रोने के लिए भी
मुझको कोई अपना चाहिए था |
आखरी सांस पर ही जन्नत का एहसास हो जाता
उसकी बाहों में मरना चाहिए था |
बात जब तबियत पर आई तो जाकर पता चल्ला
उसकी आँखों से बचना चाहिए था |