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कहानियाँ सबके लिए (भाग 6)
कहानियाँ सबके लिए (भाग 6)
कहानियाँ सबके लिए (भाग 6)
Ebook233 pages1 hour

कहानियाँ सबके लिए (भाग 6)

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About this ebook

बिक चुकी आत्मा
दर्द दोनों तरफ
सावन
सुख ही सुख
कदम
आभास
गतिमय प्रेम
प्यार का आदर
भूल जाना अच्छा है
फिर से आये
प्यार की बारिश
कुत्ता कमीना
पुस्तक की बिक्री
मृत प्रेम
अंतिम मुलाक़ात
खेल दौलत का
धोखाधड़ी
श्रष्टि
बेटी
वो आंसुओं से भीगे हुए रूमाल
इंग्लैंड और पंजाब
असफल प्रेम
होने वाली जीवन संगिनी
आपा खो बैठे
तट पर
हवस
शादी का दिन

दो शब्द

ये कहानी वाला समूह के विभिन्न लेखकों के द्वारा लिखी गयी अनेकों विषयों पर बहुत ही रोचक कहानियाँ है। इस श्रंखला में आपको करीब तीस पुस्तकें मिलेंगी। ये सभी कहानियाँ आप अपने मोबाइल, कंप्यूटर, आई पैड या लैपटॉप पर सिर्फ कुछ पैसे चुकाकर ही पढ़ सकते हैं।

इस संग्रह को आप डाउनलोड करके सेव भी कर सकते हैं बाद में पढ़ने के लिए। हमें आपके सहयोग की जरूरत है इसलिए इन कहानियों को अपने मित्रों के साथ भी सांझा कीजिये!

धन्यवाद

कहानी वाला

Languageहिन्दी
PublisherRaja Sharma
Release dateJan 8, 2023
ISBN9798215704233
कहानियाँ सबके लिए (भाग 6)

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    कहानियाँ सबके लिए (भाग 6) - कहानी वाला

    बिक चुकी आत्मा

    रात दुनिया पर अपना पहरा छोड़कर अपनी जगह आगे का दिन का पहरा सुबह को दे गयी थी। अलार्म घड़ी ने आज्ञा का पालन किया और मधुर ध्वनि के साथ झूम उठी।

    कुछ देर पहले रात भर हुई बरसात रुक गयी थी। बालकनी में लगे सुन्दर नहाये हुए पौधे और फूल अब सूरज की सुबह की किरणों का इंतजार कर रहे थे।

    कोई दरवाजे पर लगातार दस्तक दे रहा था। वह और सोना चाहती थी, पर आधी बंद आँखों से उसने समय देखा, सुबह के 10। 30 बज रहे थे।

    उसने अंगड़ाई ली और उठकर खड़ी हो गयी। उसने बालों को मेज से एक क्लिप उठाकर बांध लिया।

    उसने आलस्य से दरवाजा खोला और फिर अंगड़ाई ली। बाहर सिम्मी चिल्लाई मीरा। बस जल्दी से तैयार हो जाओ। कमला मासी चाहती हैं कि अगले 5 मिनट में सभी लोग नीचे आ जाएं।

    अगर तुम अगले कुछ मिनटों में नीचे नहीं आती हो तो मौसी ऊपर आ जाएगी और तुम जानती हो के वो कितनी कठोर है! जल्दी आ जाओ।"

    मीरा ने अपनी आँखों को मलकर कहा,अब क्या हो गया है, सिम्मी? मैं तो रातभर काम करके सुबह सात बजे सोयी थी। अब मौसी को और क्या चाहिए है?

    सिम्मी ने कहा,"आज महीने की पंद्रह तारीख है और जांच के लिए मौसी ने डॉक्टर को बुलाया है। जल्दी आ जाओ।

    अब फिर से सोना मत! तुम दिन को सो लेना बहुत समय होगा। दिन को तो हमें वैसे भी कोई काम नहीं होता है।"

    सिम्मी अन्य कमरों से और लड़कियों को भी जगाने के लिए चली गयी। मीरा को मौसी के आदेश को मानना ही था।

    उसने जल्दी से अपने चेहरे को धोया और फिर अपना दुपट्टा लेकर नीचे चली गयी।

    कमला मौसी ने मुस्कुराकर कहा,आओ मेरी जान, मीरा! तुम आ ही गयी।

    मौसी ने अपनी आंख से थोड़ा सा काजल लेकर मीरा के एक कान के पीछे छोटी काली बिंदी बना दी ताकि उस सुन्दर लड़की को किसी की नजर ना लग जाए।

    मौसी मीरा को बहुत प्यार करती थी क्योंकि मीरा के कारण ही मौसी को बहुत अधिक कमाई होती थी।

    मीरा को मौसी के पास लाया गया था जब वह सिर्फ 17 साल की थी। मीरा को उसके पड़ोसी ने कमला मौसी को बेच दिया था।

    शुरुआत में मीरा कभी किसी से बात नहीं करती थी, वह हर किसी से दूरी बनाए रखती थी जो कि जिस धंधे में वो जा रही थी उसके लिए नुकसानदेह था।

    धीरे-धीरे कमला मौसी ने उन्हें काफी बहादुर बना दिया। मीरा उनके लिए खास थी।

    नीचे आने के बाद सबसे पहले उसने मौसी के पाँव छुवे और फिर गले से लिपट गयी। क्या हुआ मौसी? कुछ हफ्ते पहले ही तो हमारी डाक्टरी जांच हुई थी। फिर से क्यों? मेरी तो नींद भी पूरी नहीं हुई है। मीरा ने मौसी से शिकायत भरे लहजे में कहा।

    यह सब तुम लड़कियों के लिए है। मैं चाहती हूं कि मेरी सभी लड़कियां स्वस्थ रहें।तुम अच्छी तरह से जानती हो, चारों ओर बहुत सारे संक्रमण और बीमारियां हैं, मैं नहीं चाहती कि तुम में से कोई भी बीमार हो और बड़ी परेशानियों से गुजरे, क्या तुमने नहीं सुना, रोकथाम इलाज से बेहतर है। सुनो, मेरे पास तुम्हारे लिए कुछ बुकिंग हैं।

    मीरा ने मौसी को सूनी नज़रों से देखा और कहा,मासी, तुम्हें पता है कि आज शनिवार है।

    मासी ने अपना हुक्का एक तरफ रख दिया और कहा,मैं अच्छी तरह से जानती हूं, इसलिए सभी बुकिंग रात 8 बजे के बाद की हैं। तब तक तुमको तैयार होने के लिए पर्याप्त समय मिलेगा।

    मीरा ने झूमते हुए मौसी को गले से लगा लिया, उसने कहा,आई लव यू। थैंक्स। मैं जाऊंगी और अब डॉक्टर से अपनी जांच करवाऊंगी।

    कमला मासी ने उससे पूछा,तुम हमेशा कैसे सुनिश्चित हो जाती हो कि वह आएगा?

    मुझे पता है, वह मेरी ही मांग करेगा, मीरा ने आत्मविश्वास से भरी मुस्कान के साथ उत्तर दिया।

    शाम के 8:30 बजे थे, उसने बार-बार आईने में खुद को चेक किया। वह सुंदर लग रही थी, वह घड़ी पर नजर रखे हुए थी।

    घड़ी की टिक टिक कर रही थी, लेकिन उसके दरवाजे पर कोई नहीं था।

    वह नीचे से कमला मासी को सुन सकती थी मीरा! क्या तुमको यकीन है, वह आएगा? मेरे पास अन्य ग्राहक हैं जो तुम्हें पूछ रहे हैं।

    मौसी, धैर्य रखो, वह कहीं फंस गया होगा, वह जल्द ही यहाँ होगा मीरा ने उत्तर दिया।

    जब वह पहली बार उस आदमी से मिलीं तो ही वो मीरा को अच्छा लगा था। वो उसकी यादों में खो गयी।

    वह उसका नाम नहीं जानती थी, लेकिन उसे हवलदार जी के रूप में संबोधित करती थी।

    पिछले 8 महीनों से, वह उसका नियमित ग्राहक था, हो सकता है कि उसकी सुंदरता ने उसे आकर्षित किया हो।

    वह हर शनिवार की रात आता था, सुबह तक रहता था और उसके लिए अतिरिक्त भुगतान करता था।

    मौसी किसी और लड़की को ग्राहक के साथ दो घंटे से ज्यादा का समय नहीं देती थी भले ही वो ग्राहक ज्यादा पैसे देने को तैयार हो।

    लेकिन हवलदार जी एक अपवाद था, मासी ने कभी कोई आपत्ति नहीं दिखाई जब हवलदार जी मीरा के लिए ही पूछते थे। उसकी वजह से मासी का व्यवसाय सुरक्षित रूप से चल रहा था।

    मौसी वहां की हर लड़की को सलाह देती थी कि सपने में भी किसी मर्द के प्यार के नशे में न पड़ें, क्योंकि उनकी दुनिया में 'प्यार' एक खतरनाक शब्द था।

    मीरा छोटी सी उम्र में बहुत मुश्किल दौर से गुज़री थी। उसके पड़ोसी ने अपहरण कर लिया था। 3 दिनों तक उसका शारीरिक शोषण किया और बाद में उसे यहां बेच दिया। उसे यह भी नहीं पता था कि उसके परिवार ने उसे खोजने की कोशिश की थी या नहीं।

    यद्यपि वह अभी 21 वर्ष की थी, इस गंदी दुनिया में जीवित रहते हुए, उसका हृदय शुद्ध था। लोग उसे या उसके जैसी अन्य लड़कियों को वेश्या कह सकते हैं, लेकिन वह खुश थी कि उसके मन में यह विचार था कि वह हर दिन कई लड़कियों को बलात्कार होने से बचा रही थी।

    मीरा को पता नहीं कब हवलदार जी के लिए उसकी भावना विकसित हो गई। उसने पाया कि वह उससे प्यार करती थी। वह हर शनिवार की शाम का बेसब्री से इंतजार करती थी।

    शुरुआत में, वह उसके लिए एक सामान्य ग्राहक की तरह था, लेकिन समय के साथ और पिछले 8 महीनों से उसके साथ नियमित संपर्क के साथ, वह उसके प्यार में डूब गयी थी। वह अच्छी तरह जानती थी कि वह उसकी दुल्हन तो कभी नहीं बन सकती थी लेकिन उसने उससे प्यार करना कभी नहीं छोड़ सकती थी। उसे कहीं न कहीं लगा कि हवलदार जी भी उसे पसंद करता था और उससे प्रेम करने लगा था।

    मीरा के मन में ख्याल चल रहे थे पर उसकी यादों की श्रंखला टूट गयी जब किसी ने दरवाजा खटखटाया।

    खुशी-खुशी उसने दरवाजा खोल दिया यही यकीन करते हुए के हवलदार जी ही आये थे।

    उसकी खुशी अचानक गायब हो गई, वह दरवाजे पर एक मूर्ती की तरह खड़ी हो गई। एक अजनबी आदमी बाहर खड़ा था, उसके साथ मौसी भी थी।

    मौसी ने सख्त लहजे में कहा,मैं अपने ग्राहकों को जाने नहीं दे सकती, अब रात के 9:30 बज चुके हैं।

    मीरा ने अपनी निराशा दिखाई और कहा,आप जानती हैं के आज शनिवार है और मैं हवलदार जी" का इंतजार कर रही हूं। वह आएगा, वह मेरे पास ही आयेगा।

    मैं दूसरों को समय नहीं दे सकती। वह किसी भी क्षण आ सकता है," मीरा ने मौसी को समझाने की कोशिश की।

    मौसी ने आवाज उठाई,मीरा, तुम मेरी बातों के खिलाफ जाने की हिम्मत मत करो

    मीरा अभी भी वहीं खड़ी थी। मौसी अब बहुत गुस्से में थी। उसने उसे एक जोरदार थप्पड़ मारा, उसे कमरे में खींच लिया, उसे बिस्तर पर धकेल दिया और उस आदमी से दरवाजा बंद करने को कहा।

    मीरा चिल्लाती रही और उसके चंगुल से बाहर आने के लिए बहुत संघर्ष करती रही, लेकिन उसकी हड्डियाँ इतनी कमजोर थीं कि उससे लड़ नहीं सकी। उसे लेटना पड़ा।

    अभी 10 मिनट ही हुए थे जब उसने हवलदार जी की आवाज सुनी,नमस्कार मौसी, क्या मीरा है?

    मीरा ने फिर से उस आदमी की पकड़ से बाहर निकलने की कोशिश की, लेकिन उसने उसे थप्पड़ मार दिया; उसने कहा, मैंने पूरे पैसे दिए है, बस मेरे आदेशों का पालन कर या मैं तुम्हें फिर से मारूंगा, कुतिया!

    वह अब असहाय महसूस कर रही थी, वह मदद के लिए उसके पास जाना चाहती थी। वह जानती थी कि वह उसके लिए बोलेगा।

    ओह हवलदार जी! मीरा एक और ग्राहक के साथ व्यस्त है, आप सिमी या किसी अन्य लड़की के साथ जा सकते हैं, वे सभी वहां बैठे हैं, मासी ने मुस्कुराते हुए चेहरे के साथ बाईं ओर एक कमरे की ओर इशारा करते हुए कहा।

    "ठीक है, क्या फ़र्क पड़ता है अगर मैं मीरा या सिमी के साथ जाऊं, सब एक जैसे हैं। उन्हें बंडलों में भुगतान करें, कोई भी आपको खुश कर सकता है।

    वैसे भी मैं तुम्हारी लड़कियों से ऊब चुका हूं, इसलिए अगले हफ्ते से एक अलग बगीचे की कुछ नई कलियों को आजमाने जा रहा हूं। चिंता न करें, इससे हमारे आपसी व्यापार पर कोई असर नहीं पड़ेगा, मैं 6 महीने बाद फिर से यहां आ सकता हूं, तब तक कृपया यहां कुछ नए चेहरे लाएं।"

    क्या हवलदार जी ने सच में ऐसा कहा था? नहीं, वह मजाक कर रहा होगा मीरा उन सभी कड़वे शब्दों को सुन सकती थी।

    उसे विश्वास नहीं हो रहा था कि जिस आदमी से वह प्यार करती थी, उसने ऐसा कहा था।

    वह जानती थी कि, उसके जैसी लड़कियों के लिए जीवन कभी आसान नहीं था लेकिन लगता है कि सपने देखते हुए वह अपनी आँखें बंद करना भूल गई थी।

    उसने उसकी उपस्थिति को अपने पास महसूस किया, उसने अपना चेहरा खिड़की की ओर कर लिया।

    वहाँ हवलदार जी सिमी के साथ था। वह उन्हें अपनी खिड़की से एक साथ स्पष्ट रूप से देख सकती थी।

    उसका दिल रोया। उसे लगा कि उसकी आत्मा उसके शरीर को छोड़ना चाहती थी।

    उसे लगा कि वह

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