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Ashtakamal - Maatra Drishta
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Ebook61 pages22 minutes

Ashtakamal - Maatra Drishta

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About this ebook

"जब एक फूल  अपने आनंद में खिलता है, तो परिणाम स्वरूप उसकी सुगंध पूरेअस्तित्व में लीन हो जाती है , इसी तरह मनुष्य भी खिलने को आया है। बस यही एक  स्मरण, छोटी-छोटी पंक्तियों के माध्यम से करवाने का प्रेमपूर्वक प्रयास है। खिलो, जियो, उत्सव मनाओ और सुगंध की तरह लीन हो जाओ।"

Languageहिन्दी
Release dateApr 21, 2023
ISBN9798223832812
Ashtakamal - Maatra Drishta

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    Ashtakamal - Maatra Drishta - Dasi Kamali

    अष्टकमल - मात्र दृष्टा

    —————————————-

    दासी कमली

    ––––––––

    D:\R PUblishers\R PUB\B-W-Logo.png

    राजमंगल प्रकाशन

    An Imprint of Rajmangal Publishers

    ISBN: 978-9394920903

    Published by:

    Rajmangal Publishers

    Rajmangal Prakashan Building,

    1st Street, Sangwan, Quarsi, Ramghat Road

    Aligarh-202001, (UP) INDIA

    Cont. No. +91- 7017993445

    www.rajmangalpublishers.com

    rajmangalpublishers@gmail.com

    sampadak@rajmangalpublishers.in

    ——————————————————————-

    प्रथम संस्करण: अप्रैल 2023 – पेपरबैक

    प्रकाशक: राजमंगल प्रकाशन

    राजमंगल प्रकाशन बिल्डिंग, 1st स्ट्रीट,

    सांगवान, क्वार्सी, रामघाट रोड,

    अलीगढ़, उप्र. – 202001, भारत

    फ़ोन : +91 - 7017993445

    ——————————————————————-

    First Published: April 2023 - Paperback

    eBook by: Rajmangal ePublishers (Digital Publishing Division)

    Copyright © दासी कमली

    यह एक काल्पनिक कृति है। नाम, पात्र, व्यवसाय, स्थान और घटनाएँ या तो लेखक की कल्पना के उत्पाद हैं या काल्पनिक तरीके से उपयोग किए जाते हैं। वास्तविक व्यक्तियों, जीवित या मृत, या वास्तविक घटनाओं से कोई भी समानता विशुद्ध रूप से संयोग है। यह पुस्तक इस शर्त के अधीन बेची जाती है कि इसे प्रकाशक की पूर्व अनुमति के बिना किसी भी रूप में मुद्रित, प्रसारित-प्रचारित या बिक्रय नहीं किया जा सकेगा। किसी भी परिस्थिति में इस पुस्तक के किसी भी भाग को पुनर्विक्रय के लिए फोटोकॉपी नहीं किया जा सकता है। इस पुस्तक में लेखक द्वारा व्यक्त किए गए विचार के लिए इस पुस्तक के मुद्रक/प्रकाशक/वितरक किसी भी तरह से जिम्मेदार नहीं हैं। सभी विवाद मध्यस्थता के अधीन हैं, किसी भी तरह के कानूनी वाद-विवाद की स्थिति में न्यायालय क्षेत्र अलीगढ़, उत्तर प्रदेश, भारत ही होगा।

    ॥अष्टशक्ति को समर्पित ॥

    परिचय

    एक यात्री जो कुछ क्षणों के लिए

    धरती पर विश्राम के लिए है

    ॰॰ दासी कमली॰॰॰

    ॥ अंतर्वस्तु॥

    ॥ पंखुड़ी: मूलाधार चक्र ॥

    ॥ पंखुड़ी: स्वाधिष्ठान चक्र॥

    ॥ पंखुड़ी: मणिपुर चक्र॥

    ॥ पंखुड़ी: अनाहत चक्र॥

    ॥ पंखुड़ी: विशुद्ध चक्र॥

    ॥ पंखुड़ी: आज्ञा चक्र॥

    ॥ पंखुड़ी: सहस्त्रार चक्र ॥

    ॥ पंखुड़ी: आत्मातारा चक्र॥

    ॥ पंखुड़ी: मूलाधार चक्र ॥

    कमली बोलया जग सारा

    और वे रहे किनारे बैठ,

    मैं डूबा प्रेम-सिन्धु में

    लिए सब गो समैठ ।

    ॰॰॰॰॰॰॰॰

    हर सतगुरू करे प्रयास

    जगाकर तेरी प्यास,

    पर बंद कर

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