Discover millions of ebooks, audiobooks, and so much more with a free trial

Only $11.99/month after trial. Cancel anytime.

दिल के मामले (एक रोमांटिक उपन्यास)
दिल के मामले (एक रोमांटिक उपन्यास)
दिल के मामले (एक रोमांटिक उपन्यास)
Ebook65 pages30 minutes

दिल के मामले (एक रोमांटिक उपन्यास)

Rating: 0 out of 5 stars

()

Read preview

About this ebook

मेरा कुँवारा होना
वो डिब्बे में आयी
बातचीत
तीन महीनो के बाद
उसके साथ
अंतरंग मिलन और उसके बाद
शादी की तैयारियाँ
आँसू भीगी चिट्ठी

टी. सिंह की पुस्तक "दिल के मामले" एक मनोरम कहानी है जो आपको खुशी, प्रत्याशा और भावनाओं से भर देगी। ये कहानी आपकी आंखों में आंसू लाने के साथ साथ आपके चेहरे पर मुस्कान भी ला सकती है।

अनावश्यक अलंकरण के बिना सीधे, रोजमर्रा के शब्दों में तैयार की गई यह कथा जीवन के आवश्यक लेकिन दिल तोड़ने वाले पहलुओं को उजागर करती है।

हमें विश्वास है कि एक बार जब आप इस कहानी का अनुभव कर लेंगे, पढ़ने या सुनने के माध्यम से, तो आप लेखक टी. सिंह के उत्साही प्रशंसक बन जाएंगे, और उनकी अगली साहित्यिक रचना का उत्सुकता से इंतजार करने लगेंगे।

Languageहिन्दी
PublisherRaja Sharma
Release dateOct 18, 2023
ISBN9798215516096
दिल के मामले (एक रोमांटिक उपन्यास)

Read more from टी सिंह

Related to दिल के मामले (एक रोमांटिक उपन्यास)

Related ebooks

Reviews for दिल के मामले (एक रोमांटिक उपन्यास)

Rating: 0 out of 5 stars
0 ratings

0 ratings0 reviews

What did you think?

Tap to rate

Review must be at least 10 words

    Book preview

    दिल के मामले (एक रोमांटिक उपन्यास) - टी सिंह

    अध्याय 1

    मेरा कुँवारा होना

    ट्रेन छूटने का समय हो गया था और मुझे छोड़ने आये सभी लोग मुझे कुछ ना कुछ सलाह देने में लगे हुए थे, पर मुझे यूं लग रहा था के जैसे के मैं बिलकुल ही नादान नौजवान था जिसको कुछ भी नहीं मालुम था और जो अपने फैसले खुद नहीं ले सकता था।

    हमारे शब्दों पर ध्यान से विचार करो, अचानक मेरे पिता जी की गंभीर आवाज़ मेरे कानो तक पहुँची। उनके लहजे से ही मालूम हो रहा था के वो मेरे बारे में कुछ ज्यादा ही चिंतित थे और चाहते थे के मैं उनकी बात मान लूँ।

    पिताजी की तीव्र दृष्टि से बचने की कोशिश में, मैंने अपनी आँखें ट्रेन की खिड़की के बाहर के दृश्यों पर टिका दीं।

    एक अनुभवी बूढ़ा आदमी, जिसकी आवाज़ काव्यात्मक लय और गद्य का मिश्रण थी, यात्रियों को अमरूद बेच रहा था। भले ही लोग उससे अमरुद तो ज्यादा नहीं खरीद रहे थे पर उसकी मधुर आवाज को सुनकर एक बार रुक तो जरूर रहे थे।

    प्लेटफार्म पर बहुत अधिक गहमागहमी थी और उस अमरुद वाले की तरह ही अन्य भी बहुत से सामान बेचने वाले लोग आवाजें लगा लगाकर अपना अपना सामान बेचने की कोशिश कर रहे थे।

    तभी एक आकृति ने मेरा ध्यान उसकी तरफ खींच लिया; मैंने देखा के ढेर सारी लाल रंग की चूड़ियों से सजी एक युवा दुल्हन ट्रेन में चढ़ रही थी, उसकी हथेलियाँ ताज़ी मेंहदी के सुन्दर नमूनों से सजी हुई थीं।

    उस दुल्हन के चेहरे पर वो लाज साफ़ साफ़ झलक रही थी जो लगभग हर नयी दुल्हन के चेहरे पर शादी के बाद कुछ दिनों तक तो अवश्य रहती ही है।

    प्लेटफार्म पर बड़ी सहजता के साथ एक लंबी झाड़ू पकडे हुए, रेलवे का एक सफाई कर्मचारी पूरी लगन से प्लेटफार्म की सफाई कर रहा था, जिससे हवा में धूल फ़ैल रही थी और लोग उससे बच बचकर आगे बढ़ रहे थे। प्लेटफार्म में इतनी भीड़ के होते हुए भी वो कर्मचारी पूरी तन्मयता से अपना काम कर रहा था।

    वो झाड़ू लगाते हुए सीटी से किसी हिंदी गाने की मधुर आवाज़ भी निकाल रहा था और ऐसा लग रहा था के वो अपने काम से पूरी तरह से संतुष्ट था और उसको आने जाने वाले लोगों की कोई परवाह नहीं थी।

    मैंने पिताजी की बात को सुन तो लिया था पर कोई जवाब नहीं दिया था। ये शायद किसी को भी अच्छा नहीं लगा था।

    मेरी अवज्ञा ने मेरी माँ की दुःख भरी सिसकियों को और तीव्र कर दिया, जो उनकी सभी भावनाओं की अटूट

    Enjoying the preview?
    Page 1 of 1