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प्यार किसी को नहीं बख्शता: सत्य घटनाओं पर आधारित
प्यार किसी को नहीं बख्शता: सत्य घटनाओं पर आधारित
प्यार किसी को नहीं बख्शता: सत्य घटनाओं पर आधारित
Ebook60 pages28 minutes

प्यार किसी को नहीं बख्शता: सत्य घटनाओं पर आधारित

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About this ebook

तस्वीर
नए चरण का आगमन
बातचीत
अप्रत्याशित फ़ोन
एक साल बाद
जीवन की दिशा
खेद

यह कहानी एक सच्ची घटना पर आधारित है लेकिन पात्रों की निजता को ध्यान में रखते हुए हमने उनके नाम बदल दिए हैं।

कहानी स्कूल और कॉलेज मे साथ साथ पढ़कर बड़े हुए दो ऐसे इंसानो की जीवन की घटनाओं पर आधारित है जो वर्षो से एक दूसरे के साथ कदम से कदम मिलाकर चलते रहे, लेकिन एक मोड़पर आकर दोनों ने अपने अपने रास्ते बदल लिए।

सुगंधा और मनहर एक दूसरे से अलग होकर अपने अपने जीवन में व्यस्त हो जाते हैं लेकिन नियति में कुछ ऐसा लिखा था जिसने उनको फिर से मिला दिया लेकिंन वो मिलन हमेशा के लिए नहीं था क्योंकि मनहर अपने सपनी की लड़की को अपनी पत्नी के रूप में पा चुका था।

भाग्य सुगंधा को एक ऐसे मोड़पर लाकर खड़ा कर देता है जहां वो चलने फिरने को भी मजबूर हो जाती है। मनहर की जिंदगी में भी एक तूफ़ान आ जाता है जब उसको मालूम चलता है के उसकी सपनी की रानी, उसकी पत्नी, नंदिनी, किसी और से प्रेम करती है। फिर क्या होता है? जी इसके लिए तो आपको पूरा उपन्यास पढ़ना ही होगा।।

तो आईये, टी. सिंह जी के द्वारा सत्य पर आधारित इस कहानी की दुनिया में प्रवेश कीजिये और कहानी को पढ़ते पढ़ते खो जाइये कल्पना की दुनिया में!

शुभकामना

Languageहिन्दी
PublisherRaja Sharma
Release dateNov 27, 2023
ISBN9798215828793
प्यार किसी को नहीं बख्शता: सत्य घटनाओं पर आधारित

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    प्यार किसी को नहीं बख्शता - टी सिंह

    तस्वीर

    उस दिन जब मैं घर आया तो माँ ने मुझे चाय का कप देने के बाद मेरे पिता जी को भी वहाँ बुला लिया। मेरे मम्मी डैडी दोनों ही मेरे सामने बैठ गए। मैं समझ गया के वो कुछ ख़ास बात करना चाहते थे।

    जैसे ही मैंने चाय की पहली चुस्की ली, मेरी माँ ने मेरे हाथ में एक लड़की की फोटो दे दी। उस लड़की को मेरे मम्मी डैडी ने मेरी संभावित दुल्हन के रूप में चुना था। हमारे घर में मेरे लिए भावी दुल्हन खोजने के प्रयास कई दिनों से चल रहे थे। हर दो तीन दिन में मेरे हाथ में किसी ना किसी लड़की की तस्वीर थमा दी जाती थी ताकि मैं उसको पसंद कर लूँ।

    जैसे ही उस दिन मैंने मम्मी के द्वारा दी गयी तस्वीर पर नजर डाली, मेरे माथे पर चिंता की लकीरें आ गयी। मैं उस तस्वीर को लेकर अपने कमरे मे चला गया और एक तकिये को गोदी मे लेकर बिस्तर के कोने में बैठ गया। मैंने मम्मी डैडी को कोई जवाब नहीं दिया था लेकिन शादी की बात मेरे दिमाग पर हावी होने लगी थी।

    ऐसा नहीं है के मैं शादी नहीं करना चाहता था और किसी सुन्दर और बहुत ही प्रेम करने वाली भावी पत्नी की कामना नहीं करता था, मेरे दिल में भी किसी लड़की का प्रेम पाने की इच्छा होती थी और मैं भी अपनी दुल्हन के साथ प्रेम के बहुमूल्य क्षण सांझा करना चाहता था। मैं भी शादी के बंधन में बंधकर जीवन की एक नयी यात्रा शुरू करना चाहता था।

    लेकिन फिर भी मेरे अंदर एक संघर्ष चल रहा था। वही संघर्ष मुझे कोई निर्णय लेने से रोक रहा था। बार बार मेरे दिमाग में मेरे साथ पढ़ने वाले दो दोस्तों सुगंधा और मनहर की कहानी आ जाती थी।

    उन दोनों की कहानी ने मेरे दिमाग में एक ऐसी छाप छोड़ी थी जिसको मैं मिटा नहीं सका था। जब भी मैं शादी के बारे में सोचता था मेरे सामने उन दोनों की तस्वीर आ जाती थी। उनकी कहानी से मेरे अंदर उथल पुथल मच जाती थी और मैं कोई निर्णय नहीं ले पाता था।

    मनहर और सुगंधा की दर्दभरी कहानी ने मुझे ना जाने कितने ही समय तक जैसे गूंगा बहरा ही बना दिया था। उनके जीवन में हुई घटनाओं के बारे में सोचकर ही मैं शादी नाम से ही सिहर जाता था। आप भी सोच

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