ऑस्ट्रेलिया की खोज
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भारत चीन तथा यूरोप के बीच भौतिक व्यापार सिल्क मार्ग तथा लाल-सागर के जरिए ईसा पूर्व 2000 साल से चल रहा था । विज्ञान, गणित, खगोल शास्त्र, ज्योतिष शास्त्र, रसायन शास्त्र, चिकित्सा शास्त्र तथा शिक्षा संस्कृति से जुड़े ज्ञान- सूत्र, समीकरण, परिकल्पना, प्रमेय तथा आधिभौतिक अवधारणा- का आदान प्रदान भारत तथा यूनान के बीच निर्बाध चल रहा था । इस्लाम के उदय तथा पश्चिम एशिया में इस्लामिक ओटोमन साम्राज्य के निर्माण के बाद ये दोनों मार्ग (सिल्क रूट और लाल सागर मार्ग) ओटोमन साम्राज्य के अन्दर आ गये । मार्ग से गुजरने वाले व्यापारियों तथा शिक्षा जन्य यात्रियों के लिए ओटोमन शासकों ने कठिन नियम एवं शर्त लागू कर दिए जिसका पालन करना उनके लिए काफी कष्टदायक तथा असंभव था ।लूट पाट के कारण यूरोप से भारत एवं चीन जाने वाले व्यापारियों और विद्यार्थियों के लिए यह मार्ग पूरी तरह असुरक्षित हो गया । दोनों मार्ग के बंद होने के कारण यूरोप का संपर्क भारत से पूरी तरह खत्म हो गया । पूरा यूरोप अज्ञानता तथा अंधविश्वास के गहरे कुआं में डूब गया । 15वीं सदी में यूरोप में जागरण पैदा हुआ । यूरोप के नाविकों ने समुद्र मार्ग से भारत पहुँचने की ठान ली । जिनोआ का कोलंबस स्पेन की महारानी की निगरानी में तीन जहाज के कारवां के साथ भारत की खोज में निकल पड़ा । संयोगवश वह भारत तो नहीं पहुंच सका लेकिन उसने अमेरिका जैसे बड़े भूखंड को खोज लिया । कोलंबस की असफलता से सबक लेते हुए पुर्तगाल का वास्को डा गामा भारत की खोज में 1497 में निकल पड़ा तथा 14 मई 1498 को भारत के कालीकट बंदरगाह पर पहुंच गया । कोलंबस और वास्को की सफलता से प्रभावित हो कर हिन्द प्रशांत क्षेत्र में नये भूखंडों की खोज के लिए यूरोपीय देशों के नाविकों में होड़ मच गई । नीदरलैंड के नाविक अबेल जिंजर टास्मान ने हिन्द प्रशांत क्षेत्र में एक बड़े भूखंड की खोज की जिसका नाम उसने दिया - न्यू हॉलैंड । यह - न्यू हॉलैंड - 1770 के कैप्टन जेम्स कुक के पहुंचने के बाद तथा 1788 में आर्थर फिलिप के विजय के बाद इंग्लैंड का नया उपनिवेश - आस्ट्रेलिया- बन गया । जिस -भारत की खोज - श्रृंखला की शुरुआत कोलंबस ने प्रारम्भ की थी - ऑस्ट्रेलिया उसकी अंतिम कड़ी बना ।
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Book preview
ऑस्ट्रेलिया की खोज - Shambhu Prasad Singh
आस्ट्रेलिया की खोज
AUTHORS CLICK PUBLISHING
Area no.55, Ashok Vihar, Phase 2,
Bilaspur, Chhattisgarh 495001.
www.authorsclick.com
Copyright © 2023, Shambhu Prasad Singh
All Rights Reserved
ISBN: 978-81-19368-58-7
Price: 149/-
Printed in India
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आस्ट्रेलिया
की
खोज
शम्भू प्रसाद सिंह
अनुक्रमणिका
आस्ट्रेलिया की बर्तमान ज्योग्राफीएवं डेमोग्राफी
भारत खोज क्रम की अन्तिमकड़ी आस्ट्रेलिया
कोलंबस द्वारा भारतकी खोज यात्रा
वास्को डिगामा द्वारा सागर मार्गसे भारत की खोज
बेड़े में वास्को के खिलाफनाविकों का बिद्रोह।
20 मई 1498 को वास्को डिगामा भारत के कालीकट पहुँचा
कोलंबस एवं वास्को डिगामा ने वैश्विक साम्राज्यबाद की बुनियाद रखी
पेड्रो अलबारोस ने ब्राजिल को इंडिया समझ कर पुर्तगाली उपनिवेश बसाया
डच नाविक आबेल टस्मान द्वारा न्यूजीलैंड, टस्मानिया तथाफिजी की खोज
डचों का न्यू-हालैंड
इंग्लैंड का आस्ट्रेलिया
बना
टस्मान की दूसरी समुद्र यात्रा
इंग्लैंड की ईस्ट-इंडिया-कम्पनीऔर आस्ट्रेलिया
अमेरिका कनाडा की भरपाइ अंग्रेजों ने भारत और आस्ट्रेलिया से की
अमेरिका कनाडा में अंग्रेजी उपनिवेश का अन्त तथा भारत आस्ट्रेलिया में स्थापना
आस्ट्रेलिया की बर्तमान ज्योग्राफी
एवं डेमोग्राफी
आस्ट्रेलिया देश में आठ प्रान्त हैं – विक्टोरिया, न्यूसाउथवेल्स, कैनबरा, क्वीन्सलैंड, उत्तर आस्ट्रेलिया, पश्चिम आस्ट्रेलिया, दक्षिण आस्ट्रेलिया एवं टस्मानिया। मैं अभी विक्टोरिया प्रान्त की राजधानी मेलबौर्न के उप शहर क्रायोडान में ठहरा हूँ। यह घर मेरे लड़के सिद्धार्थ और उसकी पत्नी अश्विनी का है। ये दोनो अपनी पुत्री अमाया तथा पुत्र अर्जुन के साथ यहाँ रहते हैं। मेरी नतिनी शैली (लड़की अनुपमा एवं दामाद मनोज कुमार की पुत्री) उस समय टूरिस्ट वीसा पर आयी थी। उसका योगदान भी इस संदर्भ में उल्लेखनीय है। मैं यहाँ 01 मार्च 2023 को पहुँचा। सुरक्षा, पर्यावरण संतुलन, जनसंख्या नियंत्रण, आन्तरिक विधि ब्यवस्था, उदार धार्मिक नजरिया तथा अभेद्य भौगोलिक किलाबन्दी के कारण यह देश अन्य मुल्कों की अपेक्षा अधिक सुरक्षित समझा जाता है। आस्ट्रेलिया का क्षेत्रफल 66 लाख वर्ग किलोमीटर तथा यहाँ की कुल जनसंख्या तकरीबन 03 करोड़ है। दूसरी तरफ भारत की जनसंख्या 135 करोड़ तथा क्षेत्रफल 32 लाख वर्ग किलोमीटर है। यह विशाल भूखंड चारों तरफ से समुद्र से घिरा हुआ एक सुरक्षित टापू है। यह 10 तथा 44 डिग्री दक्षिण अक्षांश, 113 एवं 153 डिग्री पूर्वी देशान्तर के बीच फैला हुआ हुआ है। इसका सुदूर दक्षिण प्रान्त टस्मानिया एक टापू है तथा बास स्ट्रेट द्वारा आस्ट्रेलिया की मुख्य भूमि से अलग होता है। इसके चार दक्षिणी प्रान्त- टस्मानिया, विक्टोरिया, न्यूसाउथवेल्स और दक्षिण आस्ट्रेलिया एन्टार्टिका से काफी करीब हैं। टस्मानिया की राजधानी होबार्ट से इसकी दूरी 3400 किमी के करीब है जिसके कारण दक्षिण ध्रुव से आने वाली ठंढ हवाएँ बिना किसी रोक टोक के यहाँ पहँच जाती है तथा इन क्षेत्रों में, खासकर मई जून एवं जुलाई के महीने में काफी ठंढ पैदा कर देती हैं। दक्षिणी गोलार्ध में होने के कारण यहाँ का मौसम एवं जलवायु भारत तथा उत्तरी गोलार्ध के विपरीत होता है। जब भारत में ठंढा का मौसम होता है तो आस्ट्रेलिया में गर्म। ठंढ मौसम में विक्टोरिया एवं टस्मानिया प्रान्त में तापक्रम अपेक्षाकृत अधिक गिर जाता है। आकाश में बादल छाए रहते हैं, तेज हवाएँ चलती है, रूक रूक कर वर्षा होती रहती है तथा तापक्रम शून्य तक पहुँच जाता है लेकिन बर्फ शायद ही जमती है। दिन काफी छोटा तथा रात काफी बड़ी हो जाती है। सूर्योदय उत्तरी-पूर्वी आकाश में होता है तथा सूर्य उत्तरी क्षितिज से गुजरता हुआ उत्तर-पश्चिम दिशा में डूब जाता है। य़ह सिलसिला 21 मार्च से शुरू होता है तथा 21 जून को चरम पर पहुँच जाता है। सूर्य उत्तर आकाश के सबसे निचले स्तर या ऊँचे आक्षांश से गुजरता हुआ अस्त हो जाता है। प्रत्यक्ष रूप में ऐसा महसूस होता है कि दिन में भी सूर्य नही दिखाइ दे रहा है अर्थात उस दिन सूर्योदय हुआ ही नहीं। य़ह घटना विशेष रूप में टस्मानिया तथा विक्टोरिया प्रान्त में उजागर होता है। जैसे जैसे हम उत्तर की ओर बढ़ते हैं घटना की तीब्रता कम हो जाती है। अगर दक्षिण की ओर एन्टार्टिका क्षेत्र में बढ़ते हैं तो वहाँ छव महीने की रात का एहसास होता है। इसके विपरीत नार्वे, स्वेडन, ग्रीनलैंड एवं कनाडा के उत्तरी क्षेत्र में 24 घंटे दिन का आभास होता है। भारत में एक स्टैंडर समय है जो ग्रिनवीच समय से 5.30 घंटा आगे है। हमारे देश के आफिस का कामकाज इसी समय द्वारा निर्धारित होता है। भारत में सूदूर पूर्व नागालैंड तथा दूरस्थ गुजरात के स्थानीय समय में दो घंटे का अन्तर होता है। जब नागालैंड तथा मणिपुर में सूर्यास्त के बाद घोर अंधेरा हो जाता है उस समय द्वारका के आकाश में प्रखर सूर्य नजर आता है। दूसरी तरफ आस्ट्रेलिया के पश्चिमी शहर पर्थ तथा पूर्वी क्षेत्र के टापू के समय का अन्तर 03 घंटे का अन्तर होता है। पर्थ में चमकीला सूर्य दिखाई देता है तो पूरब के ब्रिसबेन तथा प्रशान्त महासागर के आस्ट्रेलियन टापू में घोर अंधेरा रहता है। दुनिया को इस प्रकाशीय भौतिक