मिस्री रहस्यवाद - पथ के साधक
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About this ebook
यह पुस्तक आपको दिखाती है कि किस प्रकार प्राचीन मिस्र कीमिया और वर्तमान सूफ़ी मत का मूल है, और कैसे मिस्री रहस्यवादियों ने इस्लाम के बारीक आवरण के अंदर अपनी प्रथाओं को जिंदा रखा। यह पुस्तक रहस्यवादी मार्ग से ज्ञान की ओर अग्रसर होने का वर्णन, उसके मूल तत्वों और व्यवहारों के सुसंगत विवरण के आलोक में करती है। यह प्राचीन मिस्री कैलेंडर और ब्रह्मांड के ब्रह्मांडीय चक्र के बीच संबंधों को दर्शाती है।
Moustafa Gadalla
Moustafa Gadalla is an Egyptian-American independent Egyptologist who was born in Cairo, Egypt in 1944. He holds a Bachelor of Science degree in civil engineering from Cairo University. From his early childhood, Gadalla pursued his Ancient Egyptian roots with passion, through continuous study and research. Since 1990, he has dedicated and concentrated all his time to researching and writing. Gadalla is the author of twenty-two published internationally acclaimed books about the various aspects of the Ancient Egyptian history and civilization and its influences worldwide. In addition he operates a multimedia resource center for accurate, educative studies of Ancient Egypt, presented in an engaging, practical, and interesting manner that appeals to the general public. He was the Founder of Tehuti Research Foundation which was later incorporated into the multi-lingual Egyptian Wisdom Center (https://www.egyptianwisdomcenter.org) in more than ten languages. Another ongoing activity has been his creation and production of performing arts projects such as the Isis Rises Operetta and Horus The Initiate Operetta; to be followed soon by other productions. Check Egyptian Wisdom Center website regularly.
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मिस्री रहस्यवाद - पथ के साधक - Moustafa Gadalla
पथ के साधक
मुस्तफ़ा गदाला
तेहुति रिसर्च फाउंडेशन
ग्रीन्सबोरो, उत्तरी कैरोलिना संयुक्त राज्य अमरीका
मिस्री रहस्यवाद
पथ के साधक
मुस्तफा गदाला कृत
अंग्रेजी से अनुवाद वाक्यांश की बारी
समीक्षा के तौर पर संक्षिप्त उद्धरण शामिल किए जाने को छोड़ कर, इस पुस्तक का कोई भी अंश, लेखक के लिखित अनुमति के बिना, फोटोकॉपी, रिकार्ड अथवा सूचना संग्रहण एवं प्राप्ति की तकनीक सहित किसी भी इलेक्ट्रॉनिक या यांत्रिक तरीके से पुर्नउत्पादित या प्रेषित नहीं किया जा सकता है।
कॉपीराइट 2017 मुस्तफा ग़दाला, सर्वाधिकार सुरक्षित।
प्रकाशकः
तेहुति रिसर्च फाउंडेशन
पी.ओ. बॉक्स 39,491
ग्रीन्सबोरो, उत्तरीकैरोलिना, 27438, यूएसए
विषय-सूची
––––––––
मिस्री रहस्यवाद - पथ के साधक
मिस्री रहस्यवाद
लेखक के बारे में
प्रस्तावना
मानक और शब्दावली
मिस्र और आसपास के देशों का नक़्शा
भाग I: छिपे ख़ज़ाने
अध्याय 1: मिस्री रहस्यवाद और इस्लामी सूफ़ीवाद
1.1 शुद्धतावादी मार्ग और रहस्यवादी मार्ग
1.2 मिस्रवासीः सबसे अधिक धार्मिक
1.3 सूफ़ीवाद का स्रोतः
अध्याय 2: अंदर का ख़ज़ाना
2.1 ईश्वर की छवि
2.2 संवेदी अंग
2.3 प्रेम की शक्ति
भाग II: मिट्टी से सोने में ढलना
अध्याय 3: कीमियाई मार्ग
3.1 अतम/आदमः कीमियाई लक्ष्य
3.2 प्रगतिशील बुवाई और कटाई
3.3 आपके मार्गदर्शक फ़रिश्ते
3.4 अनुबिस—आद्यप्ररूपीय कीमीयाई मुर्शिद
3.5 तिहरा थोथ
अध्याय 4: शुद्धिकरण प्रक्रिया
4.1 खरा सोना (हृदय और भाषा को शुद्ध करना)
4.2 स्वस्थ शरीर
4.3 बक्से से बाहर निकलना
4.4 अंदर के दुश्मनों (अशुद्धि) से लड़ना:
4.5 अहंकार—व्यक्तिगत शत्रु #1
4.6 क्या करें और क्या न करें
4.7 रंक राजा होता है
अध्याय 5: प्रकटन का मार्ग
5.1 कोई चुना हुआ नहीं है
5.2 रे—अनेकता की एकता
5.3 द्वैत—सृष्टि का सार
5.4 द्वैत का समन्वयन (गाँठ को बांधना/खोलना)
5.5 आध्यात्मिक रहस्योद्घाटन (ज़िक्र) द्वारा ज्ञान
5.6 एकीकरण और ईश्वरत्व
5.7 पीरः एक पावर हाउस
भाग III: लोक मेले
अध्याय 6: चक्रीय नवीनीकरण पर्व (उर्स)
6.1 नवीनीकरण की आवश्यकता
6.2 मिस्र में मीलादों का इतिहासः
6.3 पर्व के नियामक (इसिस और ओसिरिस)
6.4 तिथियों का निर्धारण (कायाकल्प चक्र)
अध्याय 7: मिस्र के जीवंत मेले (मीलाद)
7.1 परिवार का पुनर्मिलन
7.2 मीलादः गतिविधियों की समूची योजनाएं
भाग IV: एक आएं सभी आएं
अध्याय 8: समागम की स्थापना
8.1 मिस्री रहस्यवाद का विश्वविद्यालय
8.2 अनगिनत तरीके
8.3 समागम के मूलतत्व
परिशिष्ट कः विविध सूफ़ी शब्द और उनकी प्राचीन मिस्री जड़ें
क.1 चिंकारा का प्रतीक
क.2 पाषाण का संगीत
क.3 ईश्वर का शब्द
क.4 ईश्वर के नाम
क.5 लेखन, पवित्र ज्यामिति इत्यादि
क.6 दिल और ज़ुबान
क.7 कैनोपस का रहस्यवादी सिद्धांत
क 8 जवानी का झरना
शब्दावली
चयनित ग्रंथसूची
स्रोत और विवरण
टीआरएफ प्रकाशन
मिस्री रहस्यवाद
पथ के साधक
मुस्तफ़ा ग़दाला
मा खेरु (सत्य वचन)
तेहुति रिसर्च फाउंडेशन
अंतर्राष्ट्रीय मुख्यालयः ग्रीन्सबोरो, उत्तरी कैरोलिना, संयुक्त राज्य अमरीका
लेखक के बारे में
सन् 1944 में मिस्र के काहिरा में पैदा हुए मुस्तफ़ा गदाला मिस्री मूल के एक स्वतंत्र अमेरिकी मिस्री-पुरातत्वशास्त्री हैं। उन्होंने काहिरा विश्वविद्यालय से सिविल इंजीनियरिंग में स्नातक किया है।
गदाला, प्राचीन मिस्र के इतिहास और सभ्यता के विभिन्न पहलुओं और उसके विश्वव्यापी प्रभावों के बारे में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसित बाईस पुस्तकों के लेखक हैं। उनकी कई अन्य रोमांचक किताबें और वीडियो श्रृंखलाएं निकट भविष्य में प्रकाशित होने के इंतज़ार में हैं।
वह तेहुति रिसर्च फाउंडेशन के संस्थापक और अध्यक्ष हैं (www.इजिप्ट-tehuti.org) – जो प्राचीन मिस्र के अध्ययन के लिए समर्पित अमेरिका स्थित, एक अंतरराष्ट्रीय गैर-लाभकारी संगठन है। वह ऑनलाइन इजिप्शियन मिस्टिकल यूनिवर्सिटी (www.इजिप्शियनMysticalUniversity.org) के भी संस्थापक और प्रमुख हैं।
गदाला बचपन से ही, पूरे जोशो-जुनून के साथ अपने प्राचीन मिस्री जड़ों को निरंतर अध्ययन और अनुसंधान के माध्यम से तलाशते रहे हैं। 1990 के बाद से उन्होंने, अपना सारा ध्यान और समय शोध और लेखन के लिए समर्पित कर दिया।
प्रस्तावना
––––––––
500 ई.पू. में हेरोडोटस ने कहा था, दुनिया के सारे राष्ट्रों की तुलना में, मिस्रवासी सबसे खुशमिजाज़, सबसे स्वस्थ और सबसे अधिक धार्मिक हैं।
प्राचीन मिस्र में धार्मिकता का मतलब था, संपूर्ण ब्रह्मांडीय चेतना। मिस्र की इस अवधारणा को अब पूर्व में सूफ़ीवाद तथा पश्चिम में कीमिया के रूप में जाना जाता है।
यह पुस्तक आपको बताती है कि किस प्रकार प्राचीन मिस्र, कीमिया और वर्तमान सूफ़ी मार्ग का मूल है, और कैसे मिस्री रहस्यवादियों ने इस्लाम के बारीक़ आवरण के अंदर अपनी प्रथाओं को ज़िंदा रखा। यह पुस्तक रहस्यवादी मार्ग से ज्ञान की ओर अग्रसर होने का वर्णन, मार्ग के मूल तत्वों और व्यवहारों के सुसंगत विवरण को रोशन करती है। यह प्राचीन मिस्री कैलेंडर और ब्रह्मांड के ब्रह्मांडीय चक्र के बीच सामंजस्य को दर्शाती है।
रहस्यवाद का मिस्री स्वरूप बाहरी संसार, या आस्तिकों के किसी संप्रदाय, मत, शास्त्रों, नियमों, या अनुष्ठानों से संबंधित नहीं है। यह केवल इतना ही मानना नहीं है कि यह ईश्वर है या वोह ईश्वर है । यह किसी को केवल विश्वास
करने के लिए कहना मात्र नहीं है, कि जिसके बाद वह ख़ुद-ब-ख़ुद ईश्वर के कृपा में शामिल हो जाता है। रहस्यवाद के मिस्री स्वरूप में, विचार और साधना हैं, जो किसी भी आध्यात्मिक साधक के लिए, परमात्मा से एकाकार
होने वाले हर कीमियाई मार्ग में आगे जाने का साधन प्रदान करते हैं।
मोक्ष की ओर जाने वाले इस आध्यात्मिक पथ पर साधक को आंतरिक और बाहरी शुद्धि के प्रति सख़्त और कभी-कभी पीड़ादायी (मगर आनंदपूर्ण), प्रतिबद्धता की
ज़रूरत होती है। आध्यात्मिक साधक को हक़ीकत/सत्य का ज्ञान प्राप्त करना चाहिए, हर काम को अच्छी तरह से करना चाहिए, और जो कुछ सीखे उसे संसार में इस्तेमाल करना चाहिए। यह एक जीवन दर्शन है, यह उच्चतम नैतिकता और आंतरिक सुख एवं शांति हासिल करने के लिए किए जाने वाले व्यक्तिगत व्यवहार का एक तरीक़ा है।
रहस्यवाद की सामान्य धारणा है कि निश्चित ध्यान से प्राप्त अन्र्तज्ञान के माध्यम से आध्यात्मिक सत्य के ज्ञान को प्राप्त करके, ईश्वर से एकाकार हो पाना संभव है। ज्ञान प्राप्त करने का मिस्री स्वरूप, बुद्धि और अन्र्तज्ञान दोनों के उपयोग पर आधारित है।
मिस्री स्वरूप में, कोई चुने हुए लोग
नहीं होते हैं, जिन्हें भगवान या धर्माधिकारियों द्वारा चुना जाता है। इंसान को प्रेम की कठोर तपस्या के ज़रिए ईश्वर को तालाशना चाहिए। जो लोग ईश्वर का साक्षात्कार करने में सफल होते हैं, उन्हें जनता द्वारा चुना और सम्मानित किया जाता है।
इस पुस्तक का उद्देश्य है, कि ग़ैर विशेषज्ञ पाठकों के लिए सरल भाषा में ठोस ज्ञान पर आधारित जानकारी प्रदान की जाए। तकनीकी शब्दो को कम से कम रखा गया है। शब्दसूची में इनकी व्याख्या जितनी हो सके उतनी ग़ैर तकनीकी रखी गई है। यह किताब चार भागों में विभाजित है, जिसमें कुल आठ अध्याय और एक परिशिष्ट शामिल है।
भाग I: छिपे ख़ज़ाने में दो अध्याय हैं:
अध्याय 1: मिस्री रहस्यवाद और इस्लामी सूफ़ीवाद, में शुद्धतावादी मार्ग और रहस्यवादी मार्ग के बीच के अंतरों पर प्रकाश डाला जाएगा और दिखाया जाएगा कि किस प्रकार सूफ़ीवाद और कीमिया का स्रोत प्राचीन मिस्र है।
अध्याय 2: अंदर का ख़ज़ाना, में मनुष्य के संवेदी अंगों की सीमाओं के बारे में बातें होंगी तथा बताया जाएगा कि इन सीमाओं के साथ हक़ (सत्य/ईश्वर) को कैसे प्राप्त करें।
भाग II मिट्टी से सोने में ढलना, 3 से लेकर 5 तक तीन अध्यायों को समेटता हैः
अध्याय 3: कीमियाई मार्ग में कीमिया के स्रोत के रूप प्राचीन मिस्र की भूमिका पर बातें होगीं, तथा कीमियाई मार्ग के साथ उत्थान और प्रक्रिया में मुर्शिद या गुरु की भूमिका को समेटा जाएगा।
अध्याय 4: शुद्धिकरण प्रक्रिया में सांसारिक ज़िंदगी को जीते हुए बाहरी तथा अंदरूनी शुद्धि को हासिल करने की बातें होंगी।
अध्याय 5: प्रकटन का मार्ग उन तरीकों को समेटेगा, जिसके द्वारा रहस्य का खोजी रहस्योद्घाटन के माध्यम से ज्ञान प्राप्त कर सकता है।
भाग III: लोक मेले दो अध्याय 6 और 7 शामिल हैं
अध्याय 6: चक्रीय नवीनीकरण पर्व (उर्स) में वार्षिक पर्वों को मनाने और उसमें भाग लेने के महत्व को शामिल किया जाएगा।
अध्याय 7: मिस्र के जीवंत मेले (मीलाद) में विशिष्ट पर्व के मुख्य तत्वों को समेटा जाएगा।
भाग IV: एक आएं सभी आएं में केवल एक अध्याय है—8
अध्याय 9: समागम की स्थापना में रहस्यवादी समागम (सूफ़ी सिलसिला) की स्थापना करने या समागम में शामिल होने के आम ढांचे और रिवाजों को शामिल किया गया है।
दोनों परिशिष्टों की सामग्री प्रत्येक के शीर्षक से स्पष्ट होती है, जैसा कि नीचे दिया गया हैः
परिशिष्ट कः विविध सूफ़ी शब्द और उनकी प्राचीन मिस्री जड़ें
मुस्तफ़ा ग़दाला
मानक और शब्दावली
––––––––
1 – प्राचीन मिस्री शब्द, नेतेर और उसके स्त्रीलिंग नेतेर्त, का लगभग सभी विद्वानों द्वारा गलत तरीके से और संभवतः जानबूझकर ‘देवी और देवता’ के तौर पर अनुवाद किया गया। वास्तव में नेतेरु (नेतेर/नेतेर्त का बहुवचन) उस ‘एक सर्वशक्तिमान परमेश्वर’ के दिव्य तत्व और कार्य हैं।
2 – आपको आमेन/आमोन/आमुन या पीर/पेर जैसे प्राचीन मिस्री शब्दों के लेखन में अंतर मिल सकता है। इसका कारण मिस्री के ग्रंथों के अनुवाद में पाए जाने वाले ‘स्वर’ हैं, जो वास्तव में ध्वनियों के केवल अनुमान मात्र हैं, इनका इस्तेमाल पश्चिमी मिस्री-पुरातत्वशास्त्रियों द्वारा प्राचीन मिस्री शब्दों का आसानी से उच्चारण करने के लिए किया जाता है।
3 – हम हिन्दी-भाषियों के लिए नेतेर/नेतेर्त (देवता, देवी) फ़िरऔन या शहर जैसे जाने पहचाने शब्दों का उपयोग करेंगे और उसके बाद उन शब्दों की अन्य विविधताओं को सामने रखेंगे।
यह ध्यान देने वाली बात है, कि देवताओं के ब्रह्मांडीय शक्ति की रक्षा के लिए उनका (देवी-देवताओं) असली नाम गुप्त रखा गया था। नेतेरु को उनके विशेष गुणों, विशेषता और/या उनकी भूमिकाओं का वर्णन