एक मसीही प्रभु के साथ कब गहरी बातचीत कर सकता है? - मत्ती के सुसमाचार पर उपदेश (I)
By Paul C. Jong
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प्रेरित मैथ्यू हमें बता रहा है कि यीशु का वचन इस दुनिया में हर किसी को सुनाया गया था, क्योंकि उसने यीशु को राजाओं के राजा के रूप में देखा था। अब, दुनिया भर के ईसाई, जो पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करके नया जन्म ले चुके हैं जिसे हम फैला रहे हैं, वास्तव में जीवन की रोटी खाने के लिए तरस रहे हैं। परन्तु उनके लिए सच्चे सुसमाचार में हमारे साथ सहभागिता करना कठिन है, क्योंकि वे सब हमसे बहुत दूर हैं। इसलिए, राजाओं के राजा यीशु मसीह के इन लोगों की आध्यात्मिक जरूरतों को पूरा करने के लिए, इस पुस्तक में उपदेश उनके आध्यात्मिक विकास को पोषित करने के लिए जीवन की नई रोटी के रूप में तैयार किए गए हैं। लेखक घोषणा करता है कि जिन लोगों ने राजाओं के राजा, यीशु मसीह के वचन पर विश्वास करके अपने पापों की क्षमा प्राप्त की है, उन्हें अपने विश्वास की रक्षा करने और अपने आध्यात्मिक जीवन को बनाए रखने के लिए उनके शुद्ध वचन पर भोजन करना चाहिए। यह पुस्तक आप सभी को, जो विश्वास के द्वारा राजा की शाही प्रजा बन गये हैं, जीवन की वास्तविक आध्यात्मिक रोटी प्रदान करेगी। अपने चर्च और सेवकों के माध्यम से, भगवान आपको जीवन की यह रोटी प्रदान करते रहेंगे। भगवान का आशीर्वाद आप सभी पर हो जो पानी और आत्मा से फिर से पैदा हुए हैं, जो यीशु मसीह में हमारे साथ सच्ची आध्यात्मिक संगति की इच्छा रखते हैं।
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एक मसीही प्रभु के साथ कब गहरी बातचीत कर सकता है? - मत्ती के सुसमाचार पर उपदेश (I) - Paul C. Jong
प्रस्तावना
अध्याय 1
· यीशु मसीह की वंशावली (मत्ती 1:1-6)
· आइए हम हमारे प्रभु को धन्यवाद दे जो हमें बचाने के लिए आया (मत्ती 1:18-25)
· यीशु जो पवित्र आत्मा के द्वारा गर्भ में धारण हुआ (मत्ती 1:18-25)
अध्याय 2
· हम प्रभु को उचित रीती से कहाँ मिल सकते है? (मत्ती 2:1-12)
अध्याय 3
· सच्चा सुसमाचार और यीशु के धर्मी कार्य का प्रसार करे (मत्ती 3:1-17)
· यीशु जो आपके पापों को मिटाने के लिए आया (मत्ती 3:13-17)
अध्याय 4
· परमेश्वर का भय मानना और परमेश्वर की सेवा करना ही आशीष है (मत्ती 4:1-11)
अध्याय 5
· पहाड़ी उपदेश (मत्ती 5:1-16)
अध्याय 6
· प्रार्थना के बारे में प्रभु की शिक्षा (1) (मत्ती 6:1-15)
· प्रार्थना के बारे में प्रभु की शिक्षा (2) (मत्ती 6:5-15)
· अपना मन प्रभु पर लगाकर जियो (मत्ती 6:21-23)
· अपने जीवन के बारे में चिंता मत करो, केवल परमेश्वर पर भरोसा रखो (मत्ती 6:25-34)
· आज के लिए आज ही का दुःख बहुत है (मत्ती 6:34)
अध्याय 7
· सुसमाचार की सामर्थ पर विश्वास करते हुए, हमें सकरे द्वार से प्रवेश करना चाहिए (मत्ती 7:13-14)
· यदि अंत के दिन में प्रभु ने हमें त्याग दिया तो हम क्या करेंगे? (मत्ती 7:21-23)
· वह विश्वास जो पिता परमेश्वर की इच्छा पूरी कर सकता है (मत्ती 7:20-27)
· हम स्वर्ग में तभी प्रवेश कर सकते है जब हम पिता की इच्छा को जानते हो और उस पर विश्वास करते हो (मत्ती 7:21-27)
· झूठे भविष्यवक्ताओं से सावधान जो केवल आपके पैसो के पीछे है (मत्ती 7:13-27)
अध्याय 8
· आत्मिक कोढ़ियों की चंगाई (मत्ती 8:1-4)
· केवल मुख से कह दे
(मत्ती 8:5-10)
· पहले प्रभु का अनुसरण करो (मत्ती 8:18-22)
प्रस्तावना
सरे संसार में, बहुत से लोग पाप की माफ़ी प्राप्त कर रहे हैं। परिणामस्वरूप, हमें लोगों की आवश्यकता है कि वे उनका नेतृत्व करें और प्रभु यीशु मसीह के साथ चलने में उनका मार्गदर्शन करें। हमें उन लोगों को कलीसिया में नेतृत्व करना चाहिए जिन्होंने अपने सभी पापों की क्षमा प्राप्त की है। मुझे पूरी उम्मीद है कि दुनिया के हर देश में कई अगुवे उठ खड़े होंगे। मेरी इच्छा है कि मैं अपने सभी कर्मचारियों को परमेश्वर के दूतों के रूप में, मिशनरियों के रूप में दुनिया में जाने के लिए भेज सकूं। हालाँकि, यदि उन्हें अन्यजातियों में भेजा गया, तो दीवट की गाँठ के रूप में परमेश्वर के कार्य के लिए धार्मिकता के सुसमाचार का समर्थन कौन कर सकता है? इसलिए, मैं आशा और प्रार्थना करता हूं कि परमेश्वर के कार्यकर्ता अपने देश में उठ खड़े होंगे।
यह प्रकाशन छुड़ाए गए लोगों के भावी अगुवों के लिए मेरी आत्मिक विकास श्रृंखला की पहली पुस्तक है। जब मैं प्रभु की सेवा करता हूं, मुझे विश्वास है कि परमेश्वर के लोग उठ खड़े होंगे। भविष्य के अगुवों की प्रत्याशा में, मैंने इन उपदेशों को टेप पर तैयार किया है, जो अब मैं आपके सामने प्रस्तुत करता हूँ। उपदेश, जिन्हें कल के अगुवों को प्रशिक्षित करने के उद्देश्य से संपादित और अनुवादित किया गया है, आपके दिल में आत्मा-पोषण संदेश लाएंगे।
मुझे विश्वास है कि ये उपदेश वास्तव में सभी लोगों के लिए आत्मिक भोजन होगा। क्योंकि हम सभी के लिए अन्य राष्ट्रों के सभी विश्वासियों और परमेश्वर के कार्यकर्ताओं के साथ आमने-सामने की संगति करना असंभव है, मुझे आशा है कि इस पुस्तक को साझा करने के माध्यम से, मैं उनके साथ आत्मिक संगति कर सकता हूँ, जो पहले से ही परमेश्वर के पानी और आत्मा के सुसमाचार में विश्वास करते है। हम सभी आभारी हैं कि उसने हमें जीवन का भोजन खिलाकर हमें अपना कार्यकर्ता बनाया।
हमने अब तक अंग्रेजी में 10 पुस्तकें प्रकाशित की हैं। और हमने पाया है कि जिन लोगों ने पुस्तकें पढ़ी हैं उनमें से बहुत से पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करने के द्वारा पाप की माफ़ी प्राप्त करने के लिए आभारी हैं। अब, उनके आत्मिक विकास के उपदेशों के माध्यम से, मैं एक बार फिर गवाही दूंगा कि पानी और आत्मा का सुसमाचार ही एकमात्र सत्य है जो जीवन देता है। मुझे यकीन है कि तब वे समझेंगे कि सम्पूर्ण पवित्रशास्त्र पानी और आत्मा के सुसमाचार की सच्चाई से भरा हुआ हैं। और अंत में, दुनिया के सभी लोग गहराई से समझ जाएंगे कि पानी और आत्मा का सुसमाचार ही एकमात्र सत्य है। एक बार जब वे सत्य को जान लेते हैं और अपने भावना-उन्मुख विश्वास को त्याग देते हैं, तो उनके हृदय पानी और आत्मा के सुसमाचार से भर जाएंगे जो कि अनन्त छुटकारे का एकमात्र मार्ग है। इसलिए, दुनिया भर में लोग मसीह के शिष्यों के रूप में जिएंगे। अब, हम खोई हुई आत्माओं को बचाने वाले साधन बन जाएंगे और हम पानी और आत्मा के सुसमाचार की शक्ति में विश्वास के साथ राष्ट्रों में खोई हुई भेड़ों के लिए परमेश्वर का कार्य करेंगे।
जैसे हर पौधा खिलता है और फिर फल लाता है, मेरा मानना है कि सच्चे सुसमाचार की शक्ति न केवल उन लोगों को आशीष देती है जो इसमें विश्वास करते हैं बल्कि उन्हें परमेश्वर के सेवकों के रूप में अपना जीवन जीने की अनुमति भी देती हैं। उन्हें शारीरिक और आत्मिक रूप से आशीष मिलेगी। अब, सभी राष्ट्रों में परमेश्वर के कार्यकर्ता पानी और आत्मा के सुसमाचार के बीज बोएंगे, और अनगिनत लोगों को उनके पापों से बचाएंगे। जब हम पानी और आत्मा के सुसमाचार का प्रचार करते हैं, तो हम जीतना जारी रखेंगे। हम पानी और आत्मा के इस सच्चे सुसमाचार में विश्वासियों के रूप में परमेश्वर के राज्य के लिए अधिक फल उत्पन्न करेंगे। हम कटनी के समय में जी रहे हैं और हमारे पास उद्धार के फलों की अधिक उपज होगी। अब, हम उसके वचनों पर विश्वास करेंगे, उसके प्रति कृतज्ञ होंगे, और उसकी महिमा करेंगे।
यदि परमेश्वर अनुमति देता है, तो हम ये चीजे और बहुत कुछ करेंगे। और मुझे विश्वास है कि वह हम में से प्रत्येक को आशीष देगा। पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करने वाले प्रत्येक व्यक्ति को परमेश्वर प्रचुर मात्रा में आत्मिक और भौतिक आशीषें - स्वर्ग के पवित्र विश्वास की आशीषें और पृथ्वी की उत्तमता - दें।
पॉल सी. जोंग
अध्याय 1
यीशु मसीह की वंशावली
< मत्ती 1:1-6 >
अब्राहम की सन्तान, दाऊद की सन्तान, यीशु मसीह की वंशावली। अब्राहम से इसहाक उत्पन्न हुआ, इसहाक से याकूब उत्पन्न हुआ, याकूब से यहूदा और उसके भाई उत्पन्न हुए, यहूदा और तामार से फिरिस व जेरह उत्पन्न हुए, फिरिस से हिस्रोन उत्पन्न हुआ, और हिस्रोन से एराम उत्पन्न हुआ, एराम से अम्मीनादाब उत्पन्न हुआ, अम्मीनादाब से नहशोन, और नहशोन से सलमोन उत्पन्न हुआ, सलमोन और राहाब से बोअज उत्पन्न हुआ, बोअज और रूत से ओबेद उत्पन्न हुआ, और ओबेद से यिशै उत्पन्न हुआ, और यिशै से दाऊद राजा उत्पन्न हुआ।
यीशु मसीह की वंशावली का हिस्सा बनने के लिए, हमें उसके उद्धार में विश्वास करने की आवश्यकता है। दूसरे शब्दों में, उसके उद्धार में विश्वास करना ही एकमात्र तरीका है जिससे हम उसकी वंशावली का हिस्सा बनते हैं।
हमारे पिता परमेश्वर ने हमें बचाने के लिये दूत नहीं भेजे, उसने अपने एकलौते पुत्र को छोड़ और किसी को नहीं भेजा। यह यीशु मसीह ही था जिसे हमारे पिता परमेश्वर ने हमें हमारे पापों से बचाने के लिए भेजा। उसने एक वाचा बाँधी कि जो कोई भी यीशु पर विश्वास करता है, जो कि परमेश्वर का पुत्र और हमारा उद्धारकर्ता है, उसके सभी पापों को हमेशा के लिए क्षमा कर दिया जाएगा। ऐसे संदर्भ में, मत्ती 1:1 कहता है, अब्राहम की सन्तान, दाऊद की सन्तान, यीशु मसीह की वंशावली।
यहाँ, यीशु मसीह की वंशावली
का तात्पर्य आत्मिक दुनिया से है कि कैसे हम यीशु मसीह को जानने और उस पर विश्वास करने के द्वारा, अंधकार की शक्ति से छुटकारा पाकर परमेश्वर की संतान बन सकते हैं।
यह सन्दर्भ वर्णन करता है कि एक पापी से अपने पापों से बचने और परमेश्वर की सन्तान बनने के लिए क्या आवश्यक है। दूसरे शब्दों में, परमेश्वर की सन्तान बनने के लिए, व्यक्ति को वही विश्वास होना चाहिए जो अब्राहम के पास था। परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करने के लिए किस प्रकार के विश्वास की आवश्यकता है? हमें अब्राहम की तरह परमेश्वर के वचन पर पूरी तरह विश्वास करने की आवश्यकता है। अब्राहम के विश्वास के बारे में ऐसी क्या बात है जो परमेश्वर को प्रसन्न करती है? वह परमेश्वर के वचन पर पूरी तरह से विश्वास करता था और वह आशा करता था जो मानव तर्क द्वारा असंभव था। जैसा उसने कहा था, वह परमेश्वर की वाचा में विश्वास करता था, जो मानवीय कल्पना से परे था। यह उनके विश्वास की पूर्ण सीमा थी। भले ही अब्राहम की पत्नी बच्चे पैदा करने की उम्र पार कर चुकी थी और इसलिए उसके लिए एक बच्चे को गर्भ धारण करना असंभव था, अब्राहम ने उसके साथ परमेश्वर की वाचा में विश्वास किया कि उसकी संतान आकाश के तारों के समान बहुत सी होगी। इस कारण परमेश्वर ने इस बात को उसके लिए धामिर्कता गिना, और उस से प्रसन्न हुए। इस प्रकार अब्राहम विश्वास के द्वारा धर्मियों का पिता बना।
आप और मैं आज अब्राहम को सभी विश्वासियों के पिता के रूप में देखते हैं क्योंकि उसने ठीक वही विश्वास किया जो परमेश्वर ने कहा था। उसी तरह, हमें भी यीशु के राज्य में प्रवेश करने के लिए उस तरह का विश्वास होना चाहिए जो अब्राहम के पास था। एक पापी के लिए पाप की क्षमा प्राप्त करने और एक धर्मी व्यक्ति बनने का यही एकमात्र तरीका है। हम यीशु को अपने प्रभु और उद्धारकर्ता के रूप में स्वीकार करके परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करते है और उसका उद्धार प्राप्त करते है।
यीशु मसीह की वंशावली का हिस्सा बनने के लिए हम कैसे यीशु पर अपने उद्धारकर्ता के रूप में विश्वास करते हैं? दूसरे शब्दों में, हम पापियों के लिए उसके उद्धार में कैसे विश्वास करते हैं? हमें पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करने की आवश्यकता है क्योंकि यह हमें दिया गया है।
हमारे पिता परमेश्वर ने अपने पुत्र यीशु को संसार के उद्धारकर्ता के रूप में संसार के सारे पापों को दूर करने के लिए इस संसार में भेजा। इसलिए, हमें यह स्वीकार करना चाहिए कि यीशु ने यरदन नदी में यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से बपतिस्मा लेने की विधि द्वारा पापियों के सभी पापों को अपने ऊपर ले लिया। और सच्चा विश्वास यह विश्वास करना है कि वह हमारे पापों के लिए क्रूस पर चढ़ाया गया, लहू बहाया और क्रूस पर मरा, मरे हुओं में से जी उठा, और अपने विश्वासियों को पूरी तरह से बचाया। यीशु ने उसको यह उत्तर दिया, ‘अब तो ऐसा ही होने दे, क्योंकि हमें इसी रीति से सब धार्मिकता को पूरा करना उचित है।‘ तब उसने उसकी बात मान ली। और यीशु बपतिस्मा लेकर तुरन्त पानी में से ऊपर आया, और देखो, उसके लिए आकाश खुल गया, और उसने परमेश्वर के आत्मा को कबूतर के समान उतरते और अपने ऊपर आते देखा।
(मत्ती 3:15-16)।
यह भाग इस बात का सत्य है कि कैसे यीशु ने अपने बपतिस्मा के द्वारा संसार के पापों को अपने ऊपर ले लिया। हमारे पिता परमेश्वर ने हमारे प्रभु यीशु को पापियों के पास भेजा और जैसे उसने यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले से बपतिस्मा लिया उसने हमारे सारे पापों को अपने ऊपर ले लिया ताकि हमारे हृदय बर्फ की तरह सफेद हो जाएँ और परमेश्वर के राज्य का द्वार खुल जाए। उनके वचन को अपने हृदय में स्वीकार कर हम धर्मी बन सकते हैं और उनके परिवार के सदस्य बन सकते हैं। कोई भी जो उस कार्य में विश्वास करता है जो यीशु ने किया वह एक पापी से एक निष्पाप व्यक्ति में बदल सकता है। परमेश्वर के साथ एक परिवार बनने का मार्ग पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करना है।
एक पापी को परमेश्वर की सन्तान बनने के लिए, उसके पास विश्वास होना चाहिए जो विश्वास करता है कि यीशु पापियों का उद्धारकर्ता है। पवित्रशास्त्र में, दाऊद के पुत्र
का अर्थ है कि यीशु यहूदा का वंशज है। पुराने नियम में, परमेश्वर ने एक वाचा बाँधी कि वह याकूब के एक पुत्र, यहूदा के गोत्र से राजा बनाएगा (उत्पत्ति 49:10)। दाऊद यहूदा के गोत्र का एक व्यक्ति है जिसके बारे में पुराने नियम ने बात की थी। और यीशु राजा के रूप में यहूदा के गोत्र से पैदा हुआ था। जैसे अब्राहम ने किया, हम परमेश्वर के वचन पर विश्वास करने के द्वारा शाही परिवार का हिस्सा बनते हैं। हम आत्मिक रूप से परमेश्वर की संतान बनते हैं। और जो कोई विश्वास के द्वारा यीशु मसीह की वंशावली का भाग बना है, वह पहले से ही परमेश्वर की सन्तान बन चुका है। अब्राहम से इसहाक, इसहाक से याकूब, याकूब से यहूदा और उसके भाई उत्पन्न हुए, और वे अपने वंश को उत्पन्न करते रहे। जो लोग परमेश्वर के वचन में विश्वास करते हैं वे परमेश्वर की संतान को जन्म देना जारी रखते हैं।
वे सभी जो विश्वास के द्वारा यीशु की वंशावली का हिस्सा बने, ये वे लोग थे जिन्होंने परमेश्वर की दया प्राप्त की थी, और ये वे लोग नहीं थे जिनके पास अपने बारे में घमंड करने के लिए कुछ था। वे विनम्र और कमजोर थे, लेकिन परमेश्वर के वचन में विश्वास करते थे। इसलिए, वे असली राजा के साथ एक परिवार बन गए।
जैसा कि हम विश्वास के द्वारा उसकी वंशावली का हिस्सा बनते हैं, हमें यह जानने की आवश्यकता है कि यीशु मसीह की वंशावली में, राहाब नाम की एक वेश्या के साथ-साथ अन्यजातियों के मोआबियों से रूत नाम की एक महिला भी थी। फिर, एक वेश्या कैसे यीशु की वंशावली का हिस्सा बन सकती थी? यह राहाब के परमेश्वर में विश्वास के कारण है कि वह परमेश्वर के राज्य में आई। परमेश्वर हमें बताता है कि एक पापी के लिए परमेश्वर की सन्तान बनने का एकमात्र तरीका उसके वचन पर विश्वास करना है। इसका अर्थ है कि सच्चा विश्वास अच्छा काम करके एक अच्छा जीवन जीना नहीं है, बल्कि परमेश्वर के वचन में विश्वास करना है। एक वेश्या परमेश्वर की इच्छा के अनुसार कैसे जी सकती थी? हालाँकि, परमेश्वर ने एक वेश्या के समान किसी व्यक्ति के सभी पापों को जिसने बहुत से पाप किए प्रभु के उद्धार के द्वारा क्षमा कर दिया। यहां तक कि एक वेश्या भी परमेश्वर के उद्धार के सत्य में विश्वास करके परमेश्वर की संतान बन सकती है। इसका अर्थ है कि इस संसार का प्रत्येक पापी परमेश्वर की सन्तान बन सकता है।
बाइबल हमें उस विश्वास के बारे में बताती है जो उस पर और उसके वचन पर विश्वास करता है। मत्ती 1 में, बाइबल फिर से तामार के विश्वास के बारे में बात करती है। तामार कौन है? वह यहूदा की बहू थी, जो अपने ससुर के पास सोई थी। जब हम इसे नैतिक रूप से देखते हैं, तो कैसे एक महिला जिसने अपने ससुर के साथ यौन संबंध बनाए, वह यीशु की पवित्र वंशावली का हिस्सा कैसे बन सकती है? हालाँकि, तामार को उसके विश्वास के कारण स्वीकृत किया गया था जो उसके ससुर से वाचा में विश्वास करती थी। वह अपने विश्वास के द्वारा यीशु की वंशावली का एक हिस्सा बन गई, जिसने उस वचन पर विश्वास किया जो उसके ससुर ने बताया था।
इस्राएल में यह प्रथा थी कि जब पहला पुत्र मर जाता है, तो दूसरा पुत्र पहले पुत्र की पत्नी को दिया जाता है। यदि ज्येष्ठ पुत्र के मरने पर सन्तान न हो तो ससुर का यह दायित्व होता है कि वह पहले पुत्र की पत्नी का विवाह अपने दूसरे पुत्र से करे। तामार का विवाह यहूदा के पहले पुत्र से हुआ था। परन्तु पहिला पुत्र यहोवा की दृष्टि में दुष्ट था, और यहोवा ने उसको मार डाला। अत: इस्राएल की रीति के अनुसार यहूदा ने तामार को अपना दूसरा पुत्र दिया। हालाँकि, दूसरा बेटा जानता था कि वारिस उसका नहीं होगा इसलिए उसने अपना वीर्य जमीन पर गिरा दिया और परमेश्वर ने उसे मौत के घाट उतार दिया। ससुर को अपना तीसरा पुत्र अपनी बहू को देना था। हालाँकि, वह बहुत छोटा था, इसलिए ससुर ने वादा किया कि बेटा बड़ा होने पर वह अपना तीसरा बेटा देगा। तामार ने तीसरे पुत्र की प्रतीक्षा की। हालाँकि, ससुर ने उसे अपना बेटा नहीं दिया, इसलिए तामार ने एक तरकीब सोची।
वर्ष में भेड़ कतरने का दिन आया। तब तामार ने विधवा का पहिरावा उतारकर ओढ़नी ओढ़ ली, और एक खुली जगह में बैठ गई। इज़राइल में वेश्याओं ने अपने सिर और चेहरे को लपेटा और घूंघट से ढका होता था। जब यहूदा ने उसे भेड़ चरानेवाली भेड़ोंके पास जाते देखा, तब वह उसके साथ रहना चाहता था। तब उस ने उसे अपनी मुहर, बाजूबन्द, और छड़ी बन्धक के लिए दी, और उसके साथ सो गया। यहूदा नहीं जानता था कि यह उसकी बहू है। कुछ महीनों के बाद तामार का गर्भ दिखना शुरू हो गया। विधवा होने के कारण इसे व्यभिचार माना गया। इस्राएल में, व्यभिचारी को पत्थरवाह करके या जलाकर दण्डित किया जाना था। यहूदा ने उसे जलाकर मार डालने की योजना बनाई। लेकिन तामार ने उस समय कहा था, मैं इस आदमी से गर्भवती हूं जिसके पास यह लाठी और मुहर है।
यह वह प्रतिज्ञा थी जो यहूदा ने वेश्या को दी थी। इसलिए, यहूदा ने उन्हें स्वीकार कर लिया और तामार ऐसे पुत्रों को जन्म देगी जो पारिवारिक वंश को जारी रखेंगे।
इससे पता चलता है कि परमेश्वर उन लोगों को आशीष देता है जो उसके वाचा के वचन पर विश्वास करते हैं और उसके अनुसार जीते हैं। इस प्रकार, कोई भी जो यीशु की वंशावली का हिस्सा बनता है, वह परमेश्वर के वचन में अपने विश्वास के द्वारा ऐसा करता है। जैसा कि भाग में लिखा गया है, यहूदा ने तामार से पेरेस और जेरह को जन्म दिया,
तामार ने जुड़वां बेटों को जन्म दिया और यहूदा के साथ परमेश्वर की वाचा में अपने विश्वास के द्वारा यीशु की वंशावली को जारी रखा। यहाँ, किसी भी इस्राएली ने यह कहते हुए तामार की आलोचना नहीं की, तूने गलत किया है।
बल्कि उन्होंने तामार के विश्वास की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह आशीर्वाद का विश्वास है। इसी तरह, परमेश्वर उन लोगों के विश्वास को स्वीकार करता है जो परमेश्वर के वचन पर विश्वास करते हैं। तामार यीशु की वंशावली का हिस्सा बन सकी क्योंकि वह परमेश्वर की वाचा में विश्वास करती थी। यदि हम परमेश्वर के वचन में विश्वास करते हैं, तो हम भी उसकी संतान बन सकते हैं।
हम अच्छे कर्मों से धर्मी नहीं बनते। प्रत्येक पापी परमेश्वर की धार्मिकता के सुसमाचार पर विश्वास करके एक धर्मी व्यक्ति बन सकता है और परमेश्वर के साथ एक परिवार बन सकता है। बाइबल हमें बताती है कि यह हमारा पवित्र व्यवहार नहीं है जो हमें परमेश्वर की संतान बनाता है। बल्कि, हम परमेश्वर के वाचा के वचन में अपने विश्वास के द्वारा परमेश्वर की संतान बनते हैं। हम परमेश्वर की संतान बन जाते हैं और अपने विश्वास के द्वारा यीशु की दुनिया में प्रवेश करते हैं जो परमेश्वर के वचनों पर विश्वास करता है। हम परमेश्वर के वचन में अपने विश्वास के द्वारा परमेश्वर की संतान बनते हैं। हमें जानना और विश्वास करना चाहिए कि हम यीशु पर विश्वास करने के द्वारा धर्मी और निष्पाप बनते हैं।
बाइबल हमें बताती है कि वह विश्वास जो पवित्रशास्त्र पर विश्वास करता है, वही विश्वास है जो परमेश्वर की धार्मिकता में विश्वास करता है। जब हम यीशु को स्वीकार करते हैं तो धर्मी बनने के लिए हमें पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करना होगा। संसार के सभी धर्मों में प्राय: संस्कृति
शब्द का प्रयोग किया जाता है। हालाँकि, यीशु हमें बताते हैं कि ऐसा कोई नहीं है जिसने अपने आप को पवित्र किए जाने के बाद परमेश्वर के राज्य में प्रवेश किया हो। आइए पवित्रशास्त्र की जांच करें। अब्राहम ने उनकी सुरक्षा के डर से अपनी पत्नी को अपनी बहन के रूप में प्रस्तुत किया। इसहाक ने अपनी पत्नी के साथ भी ऐसा ही किया। अब्राहम ने अपनी पत्नी को बेच दिया और इसहाक भी वही व्यक्ति है जिसने वैसा ही किया। सन्दर्भ में तामार और राहाब भी कुछ ऐसे लोगों के उदाहरण थे जिन्हें यीशु की वंशावली में शामिल नहीं किया जा सकता था यदि यह उनके विश्वास के लिए नहीं होता। ईसाई धर्म में पवित्रीकरण का अर्थ है धीरे-धीरे पवित्र होना। हालाँकि, तामार का अपने ससुर के साथ यौन संबंध था, राहाब एक वेश्या थी, और रूत एक अन्यजाति थी। इनमें से किसी भी महिला के पास मानवीय परिप्रेक्ष्य में यीशु की वंशावली का हिस्सा बनने की हैसियत नहीं थी। हालाँकि, उन्हें धर्मी कहलाने और यीशु की वंशावली का हिस्सा बनने का कारण परमेश्वर की वाचा में उनका पूर्ण विश्वास है। यह उस प्रकार का विश्वास है जो हमें परमेश्वर की संतान बनने की ओर ले जाता है। परमेश्वर के धार्मिकता के वचन के द्वारा, हम विश्वास के द्वारा पानी और आत्मा के सुसमाचार को जान गए जो विश्वास करते हैं कि यीशु हमारा उद्धारकर्ता है। दूसरे शब्दों में, यह तथ्य कि हम पापरहित लोग बनेहमारे अपने अच्छे कार्यों के कारण 0.0001% भी नहीं है। यीशु को अपना उद्धारकर्ता, जो परमेश्वर का पुत्र है, और परमेश्वर के लिखित वचन, अर्थात् पानी और आत्मा के सुसमाचार पर विश्वास करने के द्वारा हम निष्पाप लोग बन गए।
यीशु को अपना प्रभु और उद्धारकर्ता स्वीकार करने के द्वारा हम परमेश्वर की सन्तान बन गए। परमेश्वर, हमारा राजा, हमें बताता है कि जो पवित्र आत्मा के साथ हैं, वे उसके लोग हैं। वह हम जैसे लोगों को मेरी संतान, नया जन्म पाए हुए
बुलाता है जो पानी और आत्मा के सुसमाचार में विश्वास करते हैं। बाइबल में, परमेश्वर की धर्मी संतान सामान्य लोगों से भिन्न हैं जो अभी तक अपने पापों से नहीं बचाए गए हैं। जिन लोगों ने पानी और आत्मा के सुसमाचार को स्वीकार किया है और उन पर विश्वास किया है, वे बाकी लोगों से अलग हैं जिन्होंने अपने पापों की क्षमा प्राप्त नहीं की है। हमें हमारे सभी पापों के लिए क्षमा किया गया है क्योंकि हम यीशु पर विश्वास करते हैं, जो हमारे उद्धारकर्ता हैं, हमारे हृदय में हमारे उद्धारकर्ता हैं। हम जानते हैं कि हमने पहले ही अपने सभी पापों की क्षमा प्राप्त कर ली है क्योंकि हम विश्वास करते हैं कि प्रभु इस दुनिया में आए और यरदन नदी में यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले से बपतिस्मा लिया और क्रूस पर मरने के द्वारा अपना लहू बहाया। इसलिए, हम परमेश्वर के पुत्र के माध्यम से और उस सत्य पर विश्वास करके परमेश्वर की संतान बने।
हाल्लेलूयाह! हम अपने परमेश्वर का धन्यवाद करते हैं जिसने हमें पानी और आत्मा का सुसमाचार, परमेश्वर की धार्मिकता दी है।
आइए हम हमारे प्रभु को धन्यवाद दे जो हमें बचाने के लिए आया
< मत्ती 1:18-25 >
"यीशु मसीह का जन्म इस प्रकार से हुआ, कि जब उसकी माता मरियम की मंगनी यूसुफ के साथ हो गई, तो उनके इकट्ठा होने से पहले ही वह पवित्र आत्मा की ओर से गर्भवती पाई गई। अत: उसके पति यूसुफ ने जो धर्मी था और उसे बदनाम करना नहीं चाहता था, उसे चुपके से त्याग देने का विचार किया। जब वह इन बातों के सोच ही में था तो प्रभु का स्वर्गदूत उसे स्वप्न में दिखाई देकर कहने लगा, ‘हे यूसुफ! दाऊद की संतान, तू अपनी पत्नी मरियम को अपने यहाँ ले आने से मत डर, क्योंकि जो उसके गर्भ में है, वह पवित्र आत्मा की ओर से है। वह पुत्र जनेगी और तू उसका नाम यीशु रखना, क्योंकि वह अपने लोगों का उनके पापों से उद्धार करेगा।‘ यह सब इसलिए हुआ कि जो वचन प्रभु ने भविष्यद्वक्ता के द्वारा कहा था, वह पूरा हो: ‘देखो, एक कुँवारी गर्भवती होगी और एक पुत्र जनेगी, और उसका नाम इम्मानुएल रखा जाएगा,’ जिसका अर्थ है – परमेश्वर हमारे साथ। तब यूसुफ नींद से जागकर प्रभु के दूत की आज्ञा के अनुसार अपनी पत्नी को अपने यहाँ ले आया; और जब तक वह पुत्र न जनी तब तक वह उसके पास न गया: और उसने उसका नाम यीशु रखा।"
हम क्रिसमस की बधाई देते हैं। ऐसा लगता है कि यह इस साल एक खामोश रात और एक पवित्र रात होने जा रही है। शहर शांत और स्थिर हो गया है। जब हम आर्थिक मंदी का सामना कर रहे हैं तो क्रिसमस की रोशनी या सजावट को सड़क पर देखना मुश्किल है। यह इन दिनों खराब अर्थव्यवस्था का प्रतिबिंब होना चाहिए। यह हमें याद दिलाता है कि हमें अपने विश्वास को कैसे बनाए रखना चाहिए क्योंकि इस वर्ष हमारे पास एक और क्रिसमस है। आइए मत्ती से नए नियम का एक भाग देखें।
वचन 21 कहता है, वह पुत्र जनेगी और तू उसका नाम यीशु रखना, क्योंकि वह अपने लोगों का उनके पापों से उद्धार करेगा।
हमारे प्रभु इस दुनिया में एक कुंवारी के माध्यम से पैदा हुए थे और उन्हें यीशु कहा जाता था। यीशु
नाम का अर्थ है कि यह वही है जो अपने लोगों को उनके पापों से बचाएगा।
हम, जो पहले ही यीशु से मिल चुके हैं, जब हम क्रिसमस की बधाई देते हैं तो आनंदित होते हैं। हालाँकि, क्रिसमस का कोई मतलब नहीं है जब तक कि हम इस दिन का अर्थ नहीं समझते। यदि हम प्रभु में क्रिसमस की बधाई नहीं देते हैं, तो यह क्रिसमस आपके लिए क्या मायने रखेगा? यदि हम प्रभु में क्रिसमस का स्वागत करते हैं, तो हम देख सकते हैं कि आपके लिए प्रभु का प्रेम प्रचुर है। क्रिसमस का अर्थ है कि परमेश्वर, राजाओं के राजा, जिन्होंने ब्रह्मांड को बनाया, उसने अपने लोगों को उनके पापों से बचाने के लिए अपने इकलौते पुत्र को इस दुनिया में भेजा। जब हम उसमें होते हैं, तो क्रिसमस सबसे आनंदमय और धन्यवाद का दिन होता है।
यही कारण है कि हम परमेश्वर को धन्यवाद देने के लिए एक दिन को क्रिसमस के रूप में नामित करते हैं। बेशक, यह ठीक वही तारीख नहीं हो सकती जिसका वर्णन बाइबल में किया गया है। कुछ लोग तर्क दे रहे हैं कि यह सूर्य देव की पूजा का दिन है। हालाँकि, हमें क्रिसमस के अर्थ को कम नहीं करना चाहिए। कुछ लोगों का मानना है कि हमारे पास यीशु के जन्म का दिन गलत तारीख है। इसकी परवाह किए बिना कि सही तिथि क्या थी, हमें क्रिसमस को यह याद रखने के लिए मनाना चाहिए कि वह इस संसार में क्यों आया। जब हम क्रिसमस मनाते हैं, तो हमें प्रभु में उनके प्रेम और उनसे मिले उद्धार के बारे में गहराई से सोचना चाहिए। मसीह में, हमें प्रभु के आगमन का जश्न मनाने की जरूरत है और यह विश्वास करके उनका धन्यवाद करना चाहिए कि उन्होंने हमें हमारे सभी पापों से बचाया। हमें सही मायने में क्रिसमस मनाने में सक्षम होने के लिए, हमें क्रिसमस के सही अर्थ को समझने की आवश्यकता है।
हम रविवार को आराधना सेवा देते हैं। अभी सुबह के 11:12 बजे है। कल भी सुबह 11:12 बजे थे और कल फिर सुबह 11:12 बजे होंगे। इसका अर्थ यह है कि संसार तब तक चलता रहेगा जब तक हमारा प्रभु वापस नहीं आता। यह संसार तब तक रहेगा जब तक कि परमेश्वर इसे समाप्त नहीं कर देता। हालांकि, यदि हम प्रभु में क्रिसमस के सही अर्थ को नहीं समझते हैं, तो इस विशेष आराधना सेवा का हमसे क्या लेना-देना है? 25 दिसंबर, सुबह के 11:12 का मतलब एक साल में यह बीते हुए समय से अधिक नहीं है। जैसे-जैसे हम वर्ष के अंत की ओर बढ़ रहे हैं, हमें प्रभु में अपने विश्वास की फिर से जाँच करनी चाहिए। मेरा मतलब है, हमें उस प्रेम को याद रखने की आवश्यकता है जो यीशु ने हमें दिया है, और जो उद्धार हमने प्राप्त किया है। इस दुनिया में सब कुछ, यहाँ तक कि स्वयं जीवन, और जो समय बीत जाता है उसका यीशु के बिना कोई अर्थ नहीं है।
दूसरी ओर, जब हम प्रभु में अभिवादन करते है तब क्रिसमस का बड़ा अर्थ है। हम अपने सारे पापों से बचाए गए है क्योंकि वह हमें बचाने आया था। यदि वह हमें बचाने नहीं आया होता, तो निश्चय ही हमारा नाश हो जाता, परन्तु यीशु ने बपतिस्मा लिया और हमारे कारण क्रूस पर चढ़ाया गया। वह अपने लोगों को उनके पापों से बचाने के लिए कंवारी मैरी के माध्यम से इस दुनिया में आए। इसलिए, मसीही होने के नाते, क्रिसमस वास्तव में एक पवित्र दिन है।
इसलिए, हमारे प्रभु के जन्म का हमारे साथ कुछ लेना-देना है जब हम इसे प्रभु में देखते हैं, जिन्होंने पूरे ब्रह्मांड को बनाया और नियंत्रित किया और शुरुआत और अंत की देखरेख की। इसलिए, हमें पानी और आत्मा के सुसमाचार के द्वारा उसके सच्चे प्रेम के कार्य को देखने की आवश्यकता है। यह दुनिया मौजूद है क्योंकि परमेश्वर ने ब्रह्मांड बनाया है। परमेश्वर ने कहा कि वह इस संसार को नष्ट कर देगा जैसा कि उसने पहले भी एक बार किया है। हम देख सकते हैं कि अंत निकट है। ठीक वैसे ही जैसे हम महसूस और समझ सकते हैं अरे, यह परमेश्वर का कार्य है!
जब हम प्रभु में वसंत, ग्रीष्म, पतझड़ और सर्दी के मौसमों के चक्र को देखते हैं, तो हम यह भी समझ सकते हैं कि वह एक नई दुनिया बना रहा है क्योंकि वह हमें हमारे सभी पापों से बचाता है।
उसने हमें अपनी सृष्टि दिखाई है, ताकि हम जान सकें कि यह ब्रह्मांड घूम रहा है क्योंकि सर्व सामर्थी का इस ब्रह्मांड पर नियंत्रण है। मनुष्य विश्वास करते हैं जब वे इसे अपने लिए अपनी मानवीय आँखों से देखते हैं। जब हम परमेश्वर में होते हैं, तो हम स्पष्ट रूप से समझ सकते हैं कि वह कैसे कार्य करता है। हालाँकि, जब हम प्रभु में चारों ऋतुओं को देखते हैं, तो हम परमेश्वर के विधान को सबसे स्पष्ट रूप से देख सकते हैं। यदि हम अपने जीवन को परमेश्वर में देखें, तो हम अपने जीवन को भी स्पष्ट रूप से देख सकते हैं। जब हम इसे प्रभु में देखते हैं, तो आम लोग मरने तक 70 या 80 साल दुखी जीवन जीते हैं। हमें दुख में जीना और दुख में मरना तय था। हम देख सकते हैं कि हमारा प्रभु इस दुनिया में आया, बपतिस्मा लियाक्रूस पर चढ़ाया गया, और हमें बचाने के लिए मरे हुओं में से जी उठा, जो हमारे पापों के कारण विनाश के लिए नियत थे। मसीह में, हम पानी और आत्मा के सुसमाचार के द्वारा हमारे सारे पापों से बचाए गए, और विनाश और श्राप से बाहर निकाल गए। इसलिए, हमें सभी बातों को मसीह में विश्वास की आँखों से देखना चाहिए।
कुछ लोगों को संदेह है कि मरियम, एक कुंवारी होने के नाते, वास्तव में एक बच्चा पैदा कर सकती है। वास्तव में, यहाँ तक कि कुछ पादरियों को भी संदेह है कि यीशु का जन्म कुँवारी मरियम के माध्यम से हुआ था। जैसा कि वे उपदेश देते हैं और उनके अवतार का जश्न मनाने का नाटक करते हैं, वास्तव में, वे यह नहीं मानते हैं कि यीशु चमत्कारिक रूप से कुँवारी मरियम द्वारा गर्भ धारण और पैदा हुआ था। ऐसे लोग अपनी मूर्खता ऐसे ही दिखाते हैं। जब हम प्रभु में विश्वास की आँखों से परमेश्वर के कार्यों को नहीं देखते हैं, तो हम उनमें से किसी पर भी विश्वास नहीं कर सकते हैं। यह भाग हमें बताता है कि पवित्र आत्मा द्वारा गर्भ में आने के बाद यीशु का जन्म हुआ था, और उसके जन्म से पहले परमेश्वर ने बच्चे का नाम यीशु रखने के लिए कहा था। यह सब जो कहा गया था उसे पूरा करने के लिए हुआ था।
यीशु के जन्म से 700 साल पहले, परमेश्वर ने यशायाह भविष्यद्वक्ता के द्वारा भविष्यवाणी की थी कि कुँवारी गर्भवती होगी और एक पुत्र जनेगी, और उसका नाम इम्मानुएल रखेगी
(यशायाह 7:14)। यह एक भविष्यवाणी थी कि मनुष्य को बचाने के लिए परमेश्वर मानव शरीर में इस दुनिया में आएंगे। जब हम इसे प्रभु में देखते हैं, तो हम देख सकते हैं कि लोगों को उनके पापों से छुड़ाने के लिए यह परमेश्वर का कार्य है। यह इसलिए है ताकि हम देख सकें और विश्वास कर सकें कि परमेश्वर ने लोगों को बनाया और उसने हमें हमारे पापों से बचाया।
हालाँकि, इस पर विश्वास करना असंभव है यदि हम इसे केवल मानवीय आँखों से देखें और मानवीय तर्क से समझने की कोशिश करें। परिणामस्वरूप, कुछ लोग कहते हैं कि न केवल परमेश्वर मनुष्यों की अपनी रचना का आनंद लेता है, बल्कि भले और बुरे के पेड़ से खाकर मनुष्यों की पीड़ा का भी आनंद लेता है। परिणामस्वरूप, कभी-कभी, कुछ लोग यह कहते हैं: परमेश्वर मनुष्यों की अपनी रचना का आनंद लेता है। और वह यह भी सोचता है कि भले और बुरे के ज्ञान के वृक्ष से मनुष्य को पीड़ित होते देखना बहुत ही हास्यास्पद है। लेकिन, साथी ईसाई, तथ्य यह है कि पृथ्वी और अन्य सभी ग्रह अपनी निर्दिष्ट कक्षा में घूमते हैं, और एक आकाश गंगा है, इस पृथ्वी में मानव जीवन के लिए एकदम सही स्थिति है, कि दिन और रात है, और सभी रहस्यपूर्ण कार्य और जीवन के चमत्कार सटीकता के साथ जिन्हें आधुनिक विज्ञान समझ नहीं सकता है, हमें बताते हैं कि भलाई का एक परमेश्वर है।
जब प्रभु इस दुनिया में आया, तो वह पवित्र आत्मा द्वारा गर्भ में आया, पैदा हुआ, और अपनी वाचा को पूरा करने के लिए इम्मानुएल
बन गया। दूसरे शब्दों में, उसने ब्रह्मांड के निर्माण से पहले अपने उद्धार के विधान को निर्धारित किया, और हम मनुष्यों से इसका वादा किया और इसे जैसा है वैसा ही पूरा किया। केवल यह तथ्य कि वह अकेले एक कुंवारी के द्वारा आया हमारे लिए एक आशीष है और हम इसके लिए परमेश्वर को धन्यवाद देते हैं।
जब हम अपना भरोसा यीशु पर रखते हैं, तो हमें संदेहास्पद रवैया नहीं रखना चाहिए। जब हम संदेह करते हैं तो सब कुछ संदिग्ध लगने लगता है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि जब हम अपने पापों से अंधे हो जाते हैं और हम सन्देह करने लगते हैं और हमारा विश्वास अधूरा हो जाता है, तो हम परमेश्वर के पूर्ण अच्छे कार्यों को पूरी तरह से नहीं देख सकते हैं। लेकिन, जब हम परमेश्वर पर पूरी तरह से भरोसा करते हैं, तो पवित्र आत्मा द्वारा हमारी आंखें खुल जाती हैं, और हम अपने पापों से बचने के लिए यीशु को स्वीकार करने में सक्षम हो जाते हैं। हम, जो परमेश्वर की धार्मिकता में विश्वास करते हैं, यीशु मसीह में विश्वास करने के द्वारा हमारे पापों से बच गए है, क्योंकि हम वास्तव में प्रभु की धार्मिकता में उनके कार्यों को देखते हैं। हमें लाभ हुआ क्योंकि हमने इसे प्रभु की धार्मिकता में देखा। लेकिन जो लोग परमेश्वर की धार्मिकता में विश्वास नहीं करते वे क्रिसमस का किसी भी मतलब के साथ स्वागत नहीं कर सकते।
यीशु हमारे साथ रहने के लिए इम्मानुएल के रूप में इस संसार में आया। वह पवित्र आत्मा द्वारा गर्भ में आया था और बालक यीशु के रूप में पैदा हुआ था। और उसने 30 वर्ष की आयु में बपतिस्मा लेकर सभी मनुष्यों के पापों को उठा लिया, दुनिया के सभी पापों को लेकर क्रूस पर चढ़ाया गया, मृत्यु से