मेरे निजी पल : 17 मई 2024, शुक्रवार का पूरा वृतांत
By अंकित
()
About this ebook
मैंने उससे मना कर दिया। वह रुक गया, तो लड़की का तुरंत फोन आ गया। पहले वह उठा नहीं रहा था, पर फिर उठा लिया।
फिर उसने स्पीकर खोल दिया, क्योंकि लड़की घर वालों से छिपकर बहुत धीमी आवाज में बात कर रही थी। लड़की गुस्से में थी।
"तुमने बात क्यों नहीं की?" वह भड़की।
"यार काम बहुत था समय ही नहीं मिला।" भाई ने कहा।
"इतना भी टाइम नहीं मिला कि मेरे मेसेज का रिप्लाय कर सको?"
"कैसे करता दिन भर घर पर ही था," वह डर रहा था, मैं उसके व्यवहार पर गुस्सा हो रहा था कि कैसे भीगी बिल्ली बना हुआ है।
"मैंने कितने फोन किए, एक भी नहीं उठाया, मेसेज किए कोई रिप्लाय नहीं।"
वह हूँका भरता हुआ सुनता रहा, लड़की आगे बोली,
"करो काम, तुम दिन भर काम करो" लड़की की आवाज में डर था कि कहीं घर वाले पकड़ न लें, मुझे उस पर भी गुस्सा आ रही थी, वह झूठ बोल कर, धोखा देकर, अपनी ही आत्मा को कमजोर कर रही थी, "एक बार भी यह न सोचा कि मेरी क्या हालत होगी," लड़की ने लड़कों को फँसाने वाली एक और चाल खेल दी, वह कितना बेहतरीन नाटक कर रही थी, आगे बोली, "जब काम था तो सुबह बता ही देते। हम इतने फोन तो न करते। आप अब कर लो काम हम तो सोने जा रहें हैं।"
रुठने की चाल खेली गई, हर लड़की दिन में कईयों पर आशिकों को कदमों में गिराने के लिए कईयों बार रुठती है, लड़का मनाने मे लगा रहता है। उसे बस एक ही चीज से मतलब है, उसके लिए नाक भी रगड़ने को तैयार हो जाता है। ऐसी लड़कियाँ यह बात अच्छे से जानती हैं।
बात और कुछ देर चलती रही। भाई पर गुस्सा आया कि वह लगातार एक के बाद एक पाप कर रहा है। घर वालों को धोखा, झूठ यह सब खुद की आत्मा को मार देते हैं, फिर आदमी में बहुत ताकत नहीं बचती है।
Related to मेरे निजी पल
Related ebooks
मन का वैक्सीन: Motivational, #1 Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsध्यान भरे लम्हे: Meditative Moments Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsQuality Life (Hindi) Rating: 5 out of 5 stars5/5Jeet Nishchit Hai: A really motivational ideas that will prod you mfor success Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsJeevan Jeena Kaise Sikhe Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsUmr Bhar Kya-Kya Sambhavanayein Ho Skate Hai Zindgi Mein Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsRog Pahchanein Upchar Jane: Identify disease and find cure here Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsKamyabi Aapki : कामयाबी आपकी Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsअनकही बातें: Fiction, #1 Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsअसमंजित अतृप्ता Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsगुदगुदाते पल (कहानी संग्रह) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsAatma Sutra - Aatma Ka Anavaran Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsसार में सिहरन: सिहरन से भरे ख़ुशियों के दो पल: झिलमिलाती गलियाँ, #4 Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsलेवेन्ससिक्लस (Jeevan Chakra) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsजीवन और समस्या Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsNirasha Chhodo Sukh Se Jiyo: Stop worrying, start living Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsSafalta Se Aage Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsकोजागरी Rating: 5 out of 5 stars5/5Aao shikhe yog Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsफिट तो रहना है, लेकिन कैसे? Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsआपका भाग्य: Dream And Development Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsचाय कुल्हड़ में Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsअपनी-अपनी व्यथा (लघुकथा संग्रह) Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsKuch Ankaha Reh Gaya Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsगुलदस्ता Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsSex Power Kaise Badayein: सैक्स शक्ति कैसे बढ़ाएं Rating: 5 out of 5 stars5/5आत्मा मार्गदर्शक: जीवन यात्रा Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsहम 'प्यार' और 'शरीर' से प्यार करते हैं Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsKathopnishad Bhag-1 Rating: 0 out of 5 stars0 ratingsकर्म का सिद्धांत Rating: 0 out of 5 stars0 ratings
Reviews for मेरे निजी पल
0 ratings0 reviews
Book preview
मेरे निजी पल - अंकित
श्री गणेशाय नमः
17 मई 2024
शुक्रवार
1.
1 मई के बाद से मेरी नींद जल्दी खुलने लगी है। उससे पहले मैं हर दिन मेहनत करता था, सोच कर सोता था तब भी जल्दी नहीं उठ पाता। पहले सूरज के लगभग ही नींद खुल रही थी। पर एक मई के बाद से यह हो रहा है कि मैं अंधेरा रहते ब्रह्म मुहुर्त ही में उठ जाता हूँ। जबकि एक मई के पहले एक साल भर तक मैं बहुत कम ब्रहम मुहुर्त में उठ पाया था। अब उठना आसान हो गया है। आप से आप ही नींद खुल जाती है।
पहले ज्यादा सोने पर भी नींद पूरी नहीं होती थी, पर अब कम सोने पर भी पूरी हो जाती है। पहले रात नौ बजे भी सो जाता था, तब भी सूरज निकलने के साथ ही उठ पा रहा था। पर अब मैं बारह बजे भी सोता हूँ तब भी 4-5 बजे नींद खुल जाती है। मतलब अब कम समय में ही नींद पूरी हो रही है। पिछले एक साल में 8-9 घंटे में भी बड़ी मुश्किल से नींद पूरी होती थी। अब 5-6 घंटे में ही पूरी होने लगी है। यह चमत्कार है। मैंने इसके लिए कोशिश नहीं की है। न ही मैं पहले की तरह कह के सोता हूँ कि जल्दी उठना है। अब तो बस उठ जाता हूँ। जितनी आसानी उठने में अब हो रही है, ऐसी अभी तक कभी भी नहीं हुई थी। दिन बैचेनी से शुरू नहीं होता हैं, संतुष्टी और खुशी से शुरू होता है। पहले मैं हर दिन चार बजे उठता था, तब भी इतनी सरलता, प्रसन्नता नहीं थी।
मैं अपने आपको हमेशा अर्ली बर्ड समझते आया था, पर पिछले एक साल में यह खत्म हो गया था। मैं औसत बर्ड बन गया था। हाँ, पिछले साल दिनचर्या के नियम कायदे ठीक चलते थे, पर उठने में हमेशा दिक्कत रह थी।
एक मई के बाद से मैंने एक और बदलाव अनुभव किया है कि मेरी भूख बड़ गई है। खाया हुआ खाना जल्दी पच जाता है और थोड़ी देर में ही दोबारा भूख लगने लगती है, जबकि मैंने व्यायाम आदि को नहीं बड़ाया है। यह आप से आप हो गया है। पिछले पूरे साल में पेट से परेशान था, मेरा पाचन तंत्र बिगड़ गया था। लगभग पूरे साल कब्ज की प्रोब्लम् बनी रही थी। कई दबाई लेने के बाद भी यह ठीक नहीं होता था। एक मई के बाद यह आप से आप ठीक हो गया है। पिछले साल इन्हीं दिनों से पेट खराब होना शुरू हुआ था और इन्हीं दिनों ठीक हो गया।
मैं अब अच्छे से खाना खाता हूँ, जो चंद घंटे में ही पच जाता है। पेट का एसिड ताकतवर हो गया है वह आंतों को जलाने लायक हो गया है।
उस एसिड की गैस गले तक आ जाती है, इससे गले में छाले हो गए हैं। मुझे छालों को मिटाने के लिए ठंडी प्रकृति का भोजन करना पड़ेगा, इससे पेट भी स्वस्थ्य रहेगा। एक तो गर्मिया पड़ रही हैं, मेरे शरीर की प्रकृति भी पित्त (गर्म तासीर) है, और पेट में भी एसिड तेज हो आ गया है। अब होता यह है कि जिस दिन में दही नहीं खाता हूँ गर्मी से बेहाल हो जाता हूँ। मुझे दही पसंद भी है, तो सुबह उठकर खा लेता हूँ। कभी होता ऐसा है कि दही बना ही नहीं होता है तो मुझे उस दिन गर्म खाने से बचना पड़ता है।
सुबह दही खा लेता हूँ तो दिन भर शांति रहती है। मेरी मम्मी दही खाने पर बहुत गुस्सा होती है, उन्हें घी इकठ्ठा करने का बहुत शौक है। पापा जी का शरीर वात प्रकृति (ठंडी तासीर) का है, उन्हें दही से सर्दी हो जाती है तो वह मुझे भी कहते हैं कि ठंड हो जाएगी जबकि ऐसा नहीं है। मैं सर्दियों में भी दही खाऊँ तो भी मुझे फायदा ही होगा। उन्हें मैं बता चुका हूँ कि मैं पित्त प्रकृति का हूँ, स्वयं आग हूँ, मुझे सर्दी नहीं होगी, मुझे गर्मी होगी।
मार्च-अप्रैल में मैं यात्रा पर गया था, तब मेरा पित्त बिगड़ गया था, माने मुझे गर्मी हो गई थी। लोगों को सर्दी होती है और मुझे गर्मी होती है। गर्मी के लक्षण भी सर्दी की तरह ही होते हैं, छीक आती हैं, खांसी आती है, नाक बहने लगती है, सिर भारी लगने लगता है। गर्मी में सर्दी से अलग एक चीज यह होती है कि पेट भी खराब हो जाता है, दस्त लग जाते हैं। घर आकर मैंने खूब मई