बाग-ए -अनवार
By मो. दानिश
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About this ebook
या रब तू ही अव्वल तू ही आखिर
तू ही जाहिर तू ही बातिन इक और
करम फरमा मुझ पर मेरे सारे जंग उतार
या रब ! और अपना रंग चढा मुझ पर।
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Book preview
बाग-ए -अनवार - मो. दानिश
बाग
-ए -
अनवार
AUTHORS CLICK PUBLISHING
Area no.55, Ashok Vihar, Phase 2,
Bilaspur, Chhattisgarh 495001.
www.authorsclick.com
Copyright © 2024, Moh. Danish
All Rights Reserved
ISBN: 978-81-19368-59-4
Printed in India
No part of this book may be reproduced, transmitted, or stored in a retrieval system, in any form or by any means, electronic, mechanical, magnetic, optical, manual, photocopying, or otherwise, without permission in writing from the author.
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बाग
-ए -
अनवार
मौला अली की अनमोल बातें (हिन्दी में)
दुनिया व आखिरत की कामयाबी की
बातें.। हमेशा याद रखने वाली बातें
––––––––
मो. दानिश
अनुक्रमणिका
1. माँ
2. दोस्त
3. तीन बातें
4. मोहब्बत
5. पांच चीजें
6. दौलत
7. अख़लाक़
8. गुनाह
9. इबादत
10. दुनिया
11. दुआ
12. इल्म
13. सब्र (धैर्य)
14. प्यारी बातें
15. 11 औरतें बेवफा होती है।
16. तीन ल़डकियों से शादी नहीं करनी चाहिए
17. चार बातें कभी अपनी बीवी से नहीं बताना।
18. इंसान को जिंदगी में दुःख क्यों मिलता है?
19. कामयाब जिंदगी के उसूल
20. सबसे बड़ा
21. जुबान
22. तीन लोगों को अपना राज मत बताना
23. चार आदतें जिनसे दिमाग कमजोर होता है।
24. पाँच बातें नेकियो को पहाड़ जैसा बना देती है।
25. छह चीजों की शिकायत मत करना
26. जिस घर में चार चीजें दाखिल हो जाती है वह घर बर्बाद हो जाता है।
27. सिर में तेल लगाने के फायदे
28. कामयाबी का राज
29. दुनिया फतह का राज
30. अल्लाह को तीन घरों से नफरत है।
31. तीन शख्स जो हमेशा धोखा खाते हैं।
32. मेहमान की फजीलत
33. हज़रत अली की ईद
34. ए दुनिया जा किसी और को धोखा दे।
35. एक नेकी का अर्ज दस गुणा मिलता है।
36. मैय्यत का अपने कर्ज के सबब महबूस होना
37. ये दिल बर्तन की तरह है।
38. मुझे तकदीर के बारे में बताए
39. क़ीमती मोती
40. सख्त जाड़े और गर्मी का असर ना होना
41. कटे हुए हाथ को जोड़ना
42. चश्मा उबल पड़ा
43. पानी पर हुकूमत
44. माँ की बद्दुआ
45. हजरत इमाम अलै का घोड़ा चोरी हो गया।
46. मौला अली की सादगी
47. मौला अली का दबदबा शेरों और दरिंदों पर
48. जंगे खैबर
49. जंग -ए – ओहद
50. जंग ए खंदक
51. हजरत अली की शहादत का पूरा वाक्या
1. माँ
☆अपनी माँ से तेज़ आवाज में बात न करें जिसने आपको सिखाया कि कैसे बोलना है।
☆जब भी फारिग (कार्य से निवृत्त) वक्त मिले तो अपनी माँ के पास जाकर बैठा करो क्योंकि माँ के साथ गुजारा हुआ वक्त कयामत के दिन निजात (मौत के बाद होने वाले कष्ट से छुटकारा) का जरिया बनेगा।
☆मुझे ताज्जुब (आश्चर्य) है उस शख्स पर की जिस कि मां जिंदा हो और वह दुआ के लिए दूसरों को कहे कि मेरे लिए दुआ करना हर वो दिन तुम्हारे लिए ईद है जिस दिन तुम अपनी मां से मुस्कुराते बात करो।
माँ का मुकाम अहलेबैत की नजर में
☆अल्लाह के रसूल ने फरमाया कि अपनी माँ के सामने उफ तक न कहो जब भी बात करो तो एक गुलाम बनकर बात करो।
☆इमाम अली अलैहिस्सलाम ने फरमाया जो इंसान अपनी माँ को राजी करता है वो ये समझ ले कि उसने अल्लाह को राजी कर दिया।
☆बी. बी. सैय्यदा फातिमा जहरा सलामुल्लाह अलैहा ने फरमाया कि माँ के कदमों के नीचे अल्लाह ने जन्नत इसलिए रखी है ताकि इन्सान समझ जाए कि जन्नत कि पहली सीढ़ी माँ की खिदमत है।
☆इमाम हसन अलैहिस्सलाम ने फरमाया-अल्लाह के दरबार में जो सबसे पहली दुआ पहुंचती है वो दुआ है जो एक माँ अपने औलाद के लिए करती है।
☆इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम ने फरमाया अगर कोई औलाद अपनी पूरी जिंदगी अपनी मां की खिदमत करता है यहां तक की उनके कदमों में मर जाये तब भी वो उस एक रात का कर्ज भी नहीं अदा कर सकता जो बचपन में एक माँ अपने औलाद के लिए गुजारती है।
☆इमाम अली जैनुल आबदीन अलैहिस्सलाम ने फरमाया -अपनी जबान की तेजी उस माँ पर मत चलाओ जिसने तुम्हें बात करना सिखाया।
☆इमाम मोहम्मद बाकिर अलैहिस्सलाम ने फरमाया -अगर तुम मुसतहब नमाज पढ़ रहे हो और तुम्हारी माँ तुम्हें बुला रही है तो तुम नमाज छोड़ कर अपनी माँ के पास चले जाओ वरना अल्लाह तुम्हारी इबादत कबूल नहीं करेगा।
☆इमाम जाफर सादिक अलैहिस्सलाम ने फरमाया तुम कोशिश करके खाना अपनी माँ के साथ खाया करो और जब तक तुम्हारी माँ खाना खाना शुरू न करें तो तुम उससे पहले निवाले ना उठाया करो।
☆इमाम अली रजा अलैहिस्सलाम ने फरमाया जो इंसान माँ को नाराज करता है तो दुनिया में उसके रिजक की राहें तंग हो जाती है और आखिरत में भी वो तबाह हो जाता है।
☆इमाम मोहम्मद तकि अलैहिस्सलाम ने फरमाया- माँ की दुआ औलाद के लिए ऐसे है जैसे कोई नबी अपनी उम्मत के लिए दुआ करता है।
☆इमाम अली नकी अलैहिस्सलाम ने फरमाया-माँ की खिदमत करने से इंसान का नसीब बदल जाता है और कामयाबी मिल जाती है।
☆इमाम हसन असकरी अलैहिस्सलाम ने फरमाया-अगर किसी की माँ भूखी हो और औलाद पेट भर खाना खाए तो फरिश्ते उस इन्सान पर लानत करते हैं।
☆इमाम मोहम्मद मेंहदी अलैहिस्सलाम ने फरमाया अगर कोई इंसान पूरी जिंदगी इबादत करें और अपनी पूरी दौलत राहे खुदा में खर्च कर ले और अल्लाह के लिए शहीद भी हो जाये तब भी उसकी शिफाअत नहीं होगी अगर उसकी माँ उससे नाराज है।
☆☆☆☆☆
2. दोस्त
☆गरीब वो है जिसका कोई दोस्त न हो।
☆अगर किसी के बारे में जानना चाहते हो तो पता करो वह शख्स किसके साथ उठता बैठता है।
☆इल्म (ज्ञान) की वजह से दोस्तों में इजाफा (बढ़ोतरी) होती है। दौलत की वजह से दुश्मनों में इजाफा होता है।
☆अच्छा दोस्त चाहे जितनी बार रूठे उसे हर बार मना लेना चाहिए क्योंकि तस्वीह के दाने चाहे कितनी बार बिखरे चुन लिए जाते हैं।
☆जो जरा सी बात में दोस्त न रहे वो दोस्त था ही नहीं जिसको ऐसे दोस्त की तलाश हो जिसमें कोई खामी (त्रुटि) न हो उसे कभी भी दोस्त नहीं मिलता।
☆दोस्त से संभल कर दोस्ती करो हो सकता है वह किसी दिन तुम्हारा दुश्मन बन सकता है और दुश्मन से संभल कर दोस्ती करो हो सकता है वह कल तुम्हारा दोस्त बन जाए।
☆अच्छा दोस्त चाहे कितना बुरा बन जाये कभी इससे दोस्ती मत तोड़ना क्योंकि पानी चाहे कितना भी गंदा हो आग बुझाने के जरूर काम आता है।
☆हर उस दोस्त पर भरोसा करो जो मुश्किल में तुम्हारे काम आया हो।
☆मुफ़लिस (गरीब) दोस्त के अंदर उतना प्यार छिपा होता है जैसे एक छोटे से बीज के अंदर पूरा दरख्त (पेड़) ।
☆सच्चे दोस्त खुशियों में जीनत (शोभा) और परेशानियों में सहारा होते हैं।
☆दोस्ती और मोहब्बत उनसे करो जो निभाना जानते हैं, नफरत उनसे करो जो भुलाना जानते हैं, और, गुस्सा उनसे करो जो मनाना जानते हैं।
☆कभी अपने दोस्त की सच्चाई का इम्तिहान मत लो क्या पता वो उस समय मजबूर हो और तुम एक अच्छा और सच्चा दोस्त खो बैठो।
☆अगर दोस्त बनाना तुम्हारी कमजोरी है तो तुम दुनिया के सबसे ताकतवर इंसान हो।
☆इंसान के बीमार होने की एक बड़ी वजह दोस्तों की जुदाई होती है।
☆लंबी दोस्ती के लिए दो चीज़ों पर अमल करो, 1.अपने दोस्त से गुस्से से बात मत करो, और, 2.अपने दोस्त की गुस्से में कही गई बात को दिल पर मत लो।
☆मुझे वो दोस्त पसंद है जो महफिल में मेरी गलतियों को छुपाये और तन्हाई में मेरी गलतियों पर तनकीद (आलोचना) करे।
☆दोस्त की कोई बात बुरी लगे तो खामोश हो जाये। अगर वो दोस्त है तो उसे उस बात का रंज होगा। अगर न हुआ तो समझ लेना कि वो तुम्हारा दोस्त ही नहीं।
☆खास और आम दोस्त में इतना ही फर्क़ होता है कि आम दोस्त सिर्फ़ तारीफ़ करता है। खास दोस्त तारीफ के साथ तनकीद (आलोचना) भी करता है।
☆दोस्ती की जीनत (शोभा) एक दूसरे की बात को बर्दाश्त करना है। बे ऐब दोस्त तलाश मत करो, वरना अकेले रह जाओगे।
☆लाखों को दोस्त बनाना कोई बड़ी बात नहीं, बड़ी बात तो ये है कि ऐसा दोस्त बनाओ जो तुम्हारा साथ उस वक्त दे जब लाखों तुम्हारे दुश्मन हो।
☆बुरा दोस्त आग की तरह होता है, अगर जलता है तो आप को भी जला देगा और अगर बुझता है तो आप के हाथ काले कर देगा।
☆दोस्तों के ग़म में शामिल हुआ करो लेकिन खुशियों में तब तक न जाना जब तक वो खुद ना बुलाए।
☆अपने दुश्मन को हजार मौके दो की वह तुम्हारा दोस्त बन जाये लेकिन अपने दोस्त को एक भी मौका मत दो की वह तुम्हारा दुश्मन बन जाए।
☆जिस शख्स में वफादारी न हो उसके साथ दोस्ती करने का मतलब खुद को जलील (बेइज्जत) करना है।
☆जो जरा-जरा सी बात पर दोस्त न रहे समझ लेना की वह कभी दोस्त था ही नहीं।
☆अगर तुम सारी जिंदगी के लिए किसी को दोस्त रखना चाहते हो