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अनकही परिकथा के जैसी
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Ebook64 pages34 minutes

अनकही परिकथा के जैसी

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About this ebook

"अनकही परिकथा के जैसी", एक ऐसी दिलकश प्रेम कहानी जो आपको भावनाओं के समंदर में डूबने पर मजबूर कर देगी।

राजा शर्मा द्वारा लिखित, यह पुस्तक आनंद और सुगंधा की प्रेम यात्रा की दास्तान है। सात वर्षों के इस रिश्ते में प्रेम के साथ-साथ अनगिनत उतार-चढ़ावों का सामना करना पड़ता है।

कॉलेज के दिनों का वह मासूम प्यार, जो समय-समय पर छोटे-छोटे झगड़ों और गलतफहमियों की आग में तपता है, आखिरकार एक ऐसे मोड़ पर आकर टूट जाता है जहाँ सब कुछ बिखर जाता है।

आनंद, एक प्रतिभाशाली ग्राफिक डिज़ाइनर और अद्वितीय चित्रकार, इस विछोह के बाद जीवन के अंधेरों में खो जाता है। वह अपनी संकलित की गई तस्वीरों में बार-बार सुगंधा को ढूंढने की कोशिश करता है, अपनी बीती यादों में डूबता है, लेकिन इस खोज में उसे सिर्फ गहरा दुःख ही मिलता है। उसका हर चित्र, हर रंग सुगंधा की यादों को ताजा कर देता है और उसकी तन्हाई को और भी गहरा बना देता है।

फिर एक दिन, एक दुर्घटना के बाद, कहानी एक निर्णायक मोड़ पर पहुँचती है। आनंद को यह कड़वा सच स्वीकार करना पड़ता है कि हर परिकथा का सुखद अंत नहीं होता। लेकिन, इस 'लेकिन' में ही छिपी है एक नई शुरुआत की उम्मीद की किरण।

यह कहानी आपको अपने साथ प्रेम, विछोह और आशा की एक अनूठी यात्रा पर ले जाएगी। "अनकही परिकथा के जैसी" आपको सोचने पर मजबूर करेगी कि क्या सच में हर कहानी का सुखद अंत होना जरूरी है, या फिर हर अंत अपने आप में एक नई शुरुआत का संकेत होता है।

यदि आप दिल की गहराइयों से प्रेम और दर्द को महसूस करना चाहते हैं, तो इस पुस्तक को अवश्य पढ़ें। यह कहानी आपके दिल में एक अनकही कसक छोड़ जाएगी और आपको प्रेम के नए आयामों से परिचित कराएगी।

Languageहिन्दी
PublisherRaja Sharma
Release dateJun 22, 2024
ISBN9798224027361
अनकही परिकथा के जैसी
Author

Raja Sharma

Raja Sharma is a retired college lecturer.He has taught English Literature to University students for more than two decades.His students are scattered all over the world, and it is noticeable that he is in contact with more than ninety thousand of his students.

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    अनकही परिकथा के जैसी - Raja Sharma

    दो शब्द

    अनकही परिकथा के जैसी, एक ऐसी दिलकश प्रेम कहानी जो आपको भावनाओं के समंदर में डूबने पर मजबूर कर देगी।

    राजा शर्मा द्वारा लिखित, यह पुस्तक आनंद और सुगंधा की प्रेम यात्रा की दास्तान है। सात वर्षों के इस रिश्ते में प्रेम के साथ-साथ अनगिनत उतार-चढ़ावों का सामना करना पड़ता है।

    कॉलेज के दिनों का वह मासूम प्यार, जो समय-समय पर छोटे-छोटे झगड़ों और गलतफहमियों की आग में तपता है, आखिरकार एक ऐसे मोड़ पर आकर टूट जाता है जहाँ सब कुछ बिखर जाता है।

    आनंद, एक प्रतिभाशाली ग्राफिक डिज़ाइनर और अद्वितीय चित्रकार, इस विछोह के बाद जीवन के अंधेरों में खो जाता है। वह अपनी संकलित की गई तस्वीरों में बार-बार सुगंधा को ढूंढने की कोशिश करता है, अपनी बीती यादों में डूबता है, लेकिन इस खोज में उसे सिर्फ गहरा दुःख ही मिलता है। उसका हर चित्र, हर रंग सुगंधा की यादों को ताजा कर देता है और उसकी तन्हाई को और भी गहरा बना देता है।

    फिर एक दिन, एक दुर्घटना के बाद, कहानी एक निर्णायक मोड़ पर पहुँचती है। आनंद को यह कड़वा सच स्वीकार करना पड़ता है कि हर परिकथा का सुखद अंत नहीं होता। लेकिन, इस 'लेकिन' में ही छिपी है एक नई शुरुआत की उम्मीद की किरण।

    यह कहानी आपको अपने साथ प्रेम, विछोह और आशा की एक अनूठी यात्रा पर ले जाएगी। अनकही परिकथा के जैसी आपको सोचने पर मजबूर करेगी कि क्या सच में हर कहानी का सुखद अंत होना जरूरी है, या फिर हर अंत अपने आप में एक नई शुरुआत का संकेत होता है।

    यदि आप दिल की गहराइयों से प्रेम और दर्द को महसूस करना चाहते हैं, तो इस पुस्तक को अवश्य पढ़ें। यह कहानी आपके दिल में एक अनकही कसक छोड़ जाएगी और आपको प्रेम के नए आयामों से परिचित कराएगी।

    Chapter 2

    छे घंटे पहले

    समय बीतने का नाम ही नहीं ले रहा था; मैंने पिछले तीन घंटे बहुत ही मुश्किल से बिताये थे; यूं लग रहा था जैसे के वो तीन घंटे नहीं तीन वर्ष बन गए थे।

    मैंने नजरें उठाकर चारों तरफ देखा। लंबा गलियारा एक अँधेरी गहरी लम्बी सुरंग के जैसा ही दिख रहा था। मैं इस बात को सोचकर बहुत ही हैरान था के लगभग सभी अस्पतालों में ऑपरेशन थिएटर गलियारे के अंत में ही क्यों होते थे। किसी और जगह पर भी तो बनाये जा सकते थे जहां काफी प्रकाश हो और माहौल थोड़ा सा खुशनुमा हो।

    दवाइयों की गंध मेरे नथुनों से मेरे शरीर में प्रवेश कर रही थी। मुझे अपनी सांस रुकती हुई सी महसूस हो रही थी। अँधेरा भी धीरे धीरे बढ़ता चला जा रहा था।

    अचानक मुझे लगा के अँधेरा तो इतना नहीं हुआ था पर शायद मेरी आँखों में ही कोई खराबी आ गयी थी! मुझे सबकुछ धुंधला धुंधला सा दिखाई दे रहा था और मुझे

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