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बिना शब्दों के
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बिना शब्दों के

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वो एक पन्ना
डायरी के और पन्ने
अगले दिन
मैं और उसकी सहेली
वापिस स्कूल में
शब्द बदल गए
आगे के दिनों की सुँदरता
डायरी एक बार फिर से

इस उपन्यास में राजा शर्मा जी ने एक बहुत ही साफ़ सुथरी प्रेम कहानी अपनी सरल लेकिन सुन्दर भाषा शैली में प्रस्तुत की है।

"बिना शब्दों के" राजा शर्मा जी द्वारा एक ऐसा उपन्यास है जो आपके मन में उमंग के साथ साथ कई प्रश्न भी भर देगा और आप भी सोचने लगेंगे के अगर वास्तविक जीवन में भी ऐसा होने लगे तो ये दुनिया स्वर्ग ही हो जाए!

ये कहानी मुख्यतः हमारी नायिका अनुषा के इर्द गिर्द घूमती है जो बिना शब्दों के ही वो सबकुछ कह देती है जो एक लड़की कहना चाहती है। शब्दों के बिना वो लड़की खुद को बहुत ही असहाय महसूस करती है लेकिन उसके जीवन में एक लड़के के आगमन के बाद सब कुछ तेज़ी से बदल जाता है।

आप इस कहानी को पढ़ने के बाद महसूस करने लगेंगे के हमें कभी भी कमजोर लोगों का उपहास नहीं उड़ाना चाहिए और उनको जितना हो सके प्रेम देना चाहिए। हमारी कहानी का नायक प्रेम के देवता के रूप में ही प्रकट होता है और अनुषा के जीवन में सबकुछ बदल कर रख देता है।

शुभकामना

Languageहिन्दी
PublisherRaja Sharma
Release dateJun 23, 2024
ISBN9798224165179
बिना शब्दों के
Author

Raja Sharma

Raja Sharma is a retired college lecturer.He has taught English Literature to University students for more than two decades.His students are scattered all over the world, and it is noticeable that he is in contact with more than ninety thousand of his students.

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    बिना शब्दों के - Raja Sharma

    वो एक पन्ना

    "घर में बच्चे का जन्म घरवालों के चेहरों पर ख़ुशी और उमंग दिखलाने लगता है और सभी उस नए आये बच्चे के बारे में अपने अपने विचार देने लगते हैं, लेकिन जब मेरा इस दुनिया में आगमन हुआ था हर तरफ शांति थी।

    जब किसी भी घर में नए बच्चे का आगमन होता है तो सभी तरफ उमंग ही उमंग होती है लेकिन जब मैं इस दुनिया में आयी थी तो हर तरफ मौत का सा मातम छाया हुआ था और सभी के चेहरे लटके हुए थे। उसी समय से मेरे दिल में जो खालीपन था उसको एकांत ने भर दिया था।

    आज भी मैं वही एकांत का जीवन जी रही हूँ और हर दिन ही मरती हूँ। मैं बस इसी एक उम्मीद के साथ जी रही हूँ के किसी दिन उस सर्वशक्तिमान भगवान् से कुछ प्रश्न पूछ सकूंगी,"क्यों? तुमने मुझे एक खामोश फुसफुसाने वाली क्यों बनाया? मेरी आवाज़ क्यों नहीं गूंजी और मेरा दर्द क्यों व्यक्त नहीं हुआ? मेरी आवाज़ में साँस क्यों नहीं है? मेरी चीख तुम्हें सुनाई क्यों नहीं देती? क्यों कटु भावनाएँ मुझे सताती हैं और हर रात को मेरे लिए समकालिक बनाती हैं? मैं अपने ही अँधेरे में क्यों डूबी जा रही हूँ? तुमने मुझे क्यों अभिशाप दिया है? इस पुरानी चुप्पी ने मेरे जीवन को क्यों डंक मार दिया है? क्या तुम मेरा दर्द नहीं देख सकते? प्रभु, क्या तुमको मेरी जैसी एक अबोध बच्ची का दुःख दिखाई नहीं देता है? आपने मुझे गूँगी क्यों पैदा किया?

    मेरा जीवन तुच्छताओं और पांडित्यपूर्ण चीज़ों से भरा हुआ है। मेरे जन्म से ही, तुम मुझसे बात करते रहे हो। जब मैं पैदा हुई, तो तुमने मेरी आवाज़ छीन ली। जब मैं 6 साल की थी, तो तुमने मेरे माता-पिता को छीन लिया। जब मैं 13 साल की थी, तो आपने मेरे दादा-दादी को ले लिया और अब 3 दिन में मैं 15 साल की हो जाउंगी और आप मुझे जन्मदिन के तोहफे के रूप में जीवन भर का दर्द दे रहे हैं, मेरा

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